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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 20 Sep 2025 08:29:14 AM IST
Bihar Teacher Salary - फ़ोटो file photo
Bihar Teacher Salary : बिहार में शिक्षा व्यवस्था को लेकर लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। इसी क्रम में हाल ही में एक गंभीर समस्या सामने आई है। दरअसल, बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) से चयनित हजारों प्रधान शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को पिछले लगभग दो महीने से वेतन नहीं मिला है। वेतन नहीं मिलने से ये शिक्षक काफी परेशान हैं और लगातार विभाग का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे थे। अंततः शिक्षा विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और अब जल्द राहत मिलने जा रही है।
नवरात्र तक खाते में आएगा वेतन
शिक्षा विभाग के सचिव सह माध्यमिक शिक्षा निदेशक दिनेश कुमार ने सभी जिलों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि एक सप्ताह के भीतर प्रधान शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों का लंबित वेतन भुगतान कर दिया जाए। विभाग की ओर से यह भी आश्वासन दिया गया है कि आगामी नवरात्र तक इन शिक्षकों के खाते में सैलरी पहुंच जाएगी। इससे हजारों शिक्षकों को बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि वेतन न मिलने की वजह से वे वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहे थे।
जिलों को पत्र भेजे गए
इस समस्या के समाधान के लिए शिक्षा सचिव ने बिहार के सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) को पत्र भेजा है। पत्र में यह स्पष्ट लिखा गया है कि प्राथमिक विद्यालयों के प्रधान शिक्षक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को वेतन नहीं मिलने की लगातार शिकायतें मिल रही हैं। ज्यादातर प्रधान शिक्षक या प्रधानाध्यापक को पहले से ही प्रान संख्या (PRAN Number) आवंटित की जा चुकी है और उनकी जानकारी एचआरएमएस पोर्टल पर अपडेट भी है। इसके बावजूद कई जिलों में वेतन का भुगतान नहीं हो पा रहा है। शिक्षा सचिव ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई का निर्देश दिया है।
विश्वविद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए भी राहत
प्रधान शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों के वेतन के साथ-साथ बिहार सरकार ने राज्य के पारंपरिक विश्वविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों, कर्मचारियों और सेवानिवृत्त कर्मियों के लिए भी बड़ी राहत की घोषणा की है। उच्च शिक्षा निदेशालय ने 325 करोड़ 82 लाख रुपये की राशि सितंबर माह के वेतन और पेंशन भुगतान के लिए जारी कर दी है।
इस संबंध में उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. एन.के. अग्रवाल ने शुक्रवार को पत्र जारी किया है। पत्र सभी पारंपरिक विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को भेजा गया है। इसमें पटना विश्वविद्यालय (PU), मगध विश्वविद्यालय (MU), बीआरए विश्वविद्यालय (BRAU), जयप्रकाश विश्वविद्यालय (JPU) और टीएमबीयू (TMBU) जैसे विश्वविद्यालय शामिल हैं। इस निर्णय से हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों को समय पर वेतन और पेंशन मिल सकेगी।
अब छुट्टी के लिए ऑनलाइन आवेदन
बिहार शिक्षा विभाग लगातार शिक्षकों और कर्मचारियों की कार्यप्रणाली को डिजिटल बनाने की दिशा में काम कर रहा है। इसी कड़ी में अब छुट्टियों के लिए भी नया नियम लागू किया गया है।राज्य के सभी शिक्षक, शिक्षा विभाग के अधिकारी और कर्मचारी अब छुट्टी के लिए ऑनलाइन आवेदन करेंगे। इसके लिए विभाग ने स्पष्ट किया है कि सभी को एचआरएमएस पोर्टल पर जाकर छुट्टी के लिए आवेदन करना होगा। इस संबंध में शिक्षा विभाग के निदेशक प्रशासन मनोरंजन कुमार ने सभी जिलों के डीईओ और डीपीओ (स्थापना) को पत्र भेजकर निर्देश दिया है। अब किसी भी कर्मचारी या शिक्षक की छुट्टी का आवेदन केवल ऑनलाइन ही स्वीकार होगा। इससे छुट्टी संबंधी प्रक्रिया पारदर्शी और सरल हो जाएगी।
वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता की दिशा में कदम
वेतन, पेंशन और छुट्टी जैसी प्रक्रियाओं को लेकर शिक्षा विभाग के हालिया निर्णय दो बड़े संदेश देते है। जिसमें यह कि शिक्षकों और कर्मचारियों की समस्याओं को गंभीरता से लिया जा रहा है। इसके अलावा प्रशासनिक कामकाज को डिजिटलीकरण के जरिए पारदर्शी और तेज बनाया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में अक्सर शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों ने वेतन भुगतान में देरी, पेंशन की अड़चनों और प्रशासनिक जटिलताओं की शिकायत की है। लेकिन अब विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि एचआरएमएस पोर्टल को आधार बनाकर हर समस्या का समाधान किया जाएगा।
शिक्षकों को मिली बड़ी राहत
नवरात्र से पहले वेतन जारी होने की घोषणा उन हजारों प्रधान शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों के लिए बड़ी राहत है जो लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। वहीं विश्वविद्यालयों के शिक्षकों और पेंशनभोगियों को भी समय पर भुगतान सुनिश्चित करना शिक्षा विभाग के लिए एक सकारात्मक कदम है।
इन सभी निर्णयों से साफ है कि बिहार सरकार और शिक्षा विभाग अब शिक्षा प्रणाली में कार्यरत कर्मचारियों की आर्थिक और प्रशासनिक परेशानियों को लेकर पहले से ज्यादा संवेदनशील हो गए हैं। यदि इन निर्देशों का सही तरीके से पालन जिलों में हुआ तो आने वाले समय में शिक्षकों को वेतन-पेंशन जैसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।