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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 18 Sep 2025 10:16:15 AM IST
RBI new guidelines - फ़ोटो FILE PHOTO
RBI new guidelines : अगर आप भी हर महीने किराया चुकाने के लिए फोन-पे, पेटीएम, अमेज़न पे या क्रेड जैसी मोबाइल ऐप्स का इस्तेमाल करते थे, तो आपके लिए एक बड़ी खबर है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 15 सितंबर 2024 को नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसके बाद फिनटेक कंपनियों ने अपने प्लेटफॉर्म पर किराया भुगतान सेवा पूरी तरह रोक दी है।
आरबीआई ने पेमेंट एग्रीगेटर (PA) और पेमेंट गेटवे (PG) से जुड़े लेन-देन के लिए सख्त प्रावधान लागू किए हैं। नए नियमों के अनुसार, अब केवल उन्हीं व्यापारियों के साथ लेन-देन की अनुमति है जिनके साथ पेमेंट एग्रीगेटर या गेटवे का सीधा अनुबंध है और जिनकी KYC प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। समस्या यह है कि ज्यादातर मकान मालिक व्यापारी (Merchant) के रूप में पंजीकृत नहीं होते। यही कारण है कि ऐप्स के जरिए क्रेडिट कार्ड से किराया चुकाने की सुविधा अब संभव नहीं होगी।
इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो हर महीने क्रेडिट कार्ड से किराया भरकर रिवॉर्ड प्वाइंट्स या कैशबैक कमाते थे। साथ ही, उन्हें क्रेडिट कार्ड के ब्याज-मुक्त अवधि का फायदा भी मिल जाता था, जिससे नकदी प्रबंधन आसान हो जाता था। अब किराएदारों को पुराने तरीकों पर लौटना होगा, जैसे कि सीधे बैंक ट्रांसफर, चेक या नकद भुगतान।
किराएदारों को यह सुविधा इसलिए भी पसंद थी क्योंकि उन्हें पॉइंट्स और कैशबैक मिलते थे। मकान मालिक को तुरंत पैसा मिल जाता था। इसके अलावा क्रेडिट कार्ड से खर्च मैनेज करना आसान हो जाता था। लेकिन आरबीआई के सख्त रुख से पहले ही कई बड़े बैंकों ने इस पर लगाम लगाने की शुरुआत कर दी थी। उदाहरण के लिए, HDFC बैंक ने जून 2024 से क्रेडिट कार्ड पर किराया भुगतान करने पर 1% तक शुल्क वसूलना शुरू कर दिया था। इसी तरह ICICI बैंक और SBI कार्ड्स ने किराए के लेन-देन पर रिवॉर्ड प्वाइंट्स देना बंद कर दिया। इसका असर यह हुआ कि धीरे-धीरे इस सेवा की लोकप्रियता कम होने लगी।
दरअसल, मार्च 2024 में ही फोनपे, पेटीएम और अमेज़न पे जैसी बड़ी ऐप्स ने किराया भुगतान सेवा रोक दी थी। हालांकि, कुछ कंपनियों ने अतिरिक्त KYC प्रक्रिया जोड़कर अस्थायी रूप से इसे फिर शुरू किया। लेकिन अब आरबीआई के नए नियम लागू होने के बाद यह सेवा पूरी तरह बंद हो गई है। पिछले कुछ सालों में किराया भुगतान के लिए क्रेडिट कार्ड का चलन तेज़ी से बढ़ा था। इसके कई कारण थे—किराएदारों को रिवॉर्ड प्वाइंट्स और कैशबैक मिलता था, साथ ही महीनेभर की ब्याज-मुक्त अवधि से वे अपने कैश फ्लो को बेहतर ढंग से मैनेज कर पाते थे। मकान मालिकों को भी तुरंत भुगतान मिल जाता था। यही वजह थी कि शहरी इलाकों में यह सेवा बेहद लोकप्रिय हो गई थी।
आरबीआई के इस कदम से जहां नकदी प्रवाह पर निर्भर किराएदारों को कठिनाई होगी, वहीं डिजिटल पेमेंट कंपनियों के लिए भी यह बड़ा झटका है। फिनटेक कंपनियां अब केवल उन लेन-देन को ही मान्यता दे पाएंगी जिनमें व्यापारी का पंजीकरण और KYC पूरी तरह हो। फिलहाल किराया भुगतान के लिए क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने का विकल्प बंद हो गया है। अब किराएदारों को पारंपरिक तरीकों—बैंक ट्रांसफर, IMPS, NEFT, RTGS या चेक—का सहारा लेना होगा।