1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Wed, 13 Aug 2025 01:21:50 PM IST
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Bihar News: फरवरी 2024 में नीतीश सरकार के विश्वासमत के दौरान सत्ता पक्ष के विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले की जांच आर्थिक अपराध इकाई कर रही है. इस मामले में ईओयू अब तक कई लोगों से पूछताछ कर चुकी है. इनमें विधायक से लेकर, प्रलोभन देने वाले, होटल बुक कराने वाले तक शामिल हैं. ईओयू की जांच का दायरा और बढ़ने वाला है. विधायकों से पूछताछ के बाद आर्थिक अपराध इकाई ने पूछताछ का दायरा बढ़ाने का निर्णय लिया है.
मिश्रीलाल यादव को तीखे सवालों का करना होगा सामना
आर्थिक अपराध इकाई ने विधायकों को प्रलोभन देने के मामले में पूछताछ के लिए एसपी ने नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम का गठन किया है. जिसमें तेजतर्रार चार डीएसपी को रखा गया है. जांच टीम ने सबसे पहले जेडीयू के तत्कालीन विधायक बीमा भारती से पूछताछ की. पूर्व विधायक बीमा भारती से 30 जुलाई को EOU कार्यालय में पूछताछ हुई . इस दौरान बीमा भारती पूरे तौर पर तनाव में दिखी. कई सवालों से साफ-साफ बचती दिख रही थीं. बीमा भारती के बाद ईओयू ने जेडीयू के दूसरे विधायक डॉ. संजीव से पूछताछ की है. अगला नंबर भाजपा विधायक मिश्री लाल यादव का है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, आर्थिक अपराध इकाई ने मिश्री लाल यादव से 18 अगस्त को पूछताछ करेगी.
ई. सुनील से एक बार फिर होगी पूछताछ
जानकारी के अनुसार, विधायकों को प्रलोभन देने के पूऱे खेल में संलिप्त ई. सुनील को एक बार फिर से पूछताछ के लिए बुलाया गया है, इनसे 19 तारीख को पूछताछ होगी. इतना ही नहीं जिनके कंधों पर रांची में होटल बुक करने की जिम्मेदारी दी थी, उनसे भी जांच टीम पूछताछ करना चाहती है. ईओयू ने होटल बुक करने वाले चार लोगों को चिन्हित किया है, जिन्हें नोटिस देकर बुलाया गया, इनमें एक ईओयू के समक्ष हाजिर हुए. बाकि तीन गायब हैं. उन्हें फिर से नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाया जायेगा. उपस्थित नहीं होने पर इसकी जानकारी कोर्ट को दी जायेगी. कोर्ट के आदेश पर वारंट जारी किया जा सकता है.
विधायकों के सरकारी बॉडीगार्ड-निजी/सरकारी कर्मियों से होगी पूछताछ
दरअसल, ईओयू की पूछताछ के दौरान विधायक सरकार के बहुमत परीक्षण के दौरान माता दर्शन करने बंगाल जाने, कोई निजी काम से बाहर जाने की बात करते रहे. पूछताछ में कई सवालों का जवाब नकारात्मक मिला. ऐसे में जांच एजेंसी पूछताछ का दायरा बढ़ाने की तैयारी कर रही है. जिन विधायकों से पूछताछ हुई है, या आगे होगी, उनके सरकारी बॉडीगार्ड, निजी-सरकारी कर्मियों से भी पूछताछ होगी. ईओयू संबंधित विधायकों के अंगरक्षकों को नोटिस देकर बुलायेगी. बता दें, सरकार सभी विधायकों को तीन-तीन बॉडीगार्ड दी हुई है, उन विधायकों से जांच टीम पूछेगी कि इस दौरान वे कहां थे, क्या आप विधायक के साथ थे ? अगर साथ थे तो विधायक कहां-कहां गए, गाड़ी से गए या ट्रेन-हवाई जहाज से ? वहीं विधायकों के निजी -सरकारी सहायकोंं से भी इस संबंध में पूछताछ होगी.
सवालों के जवाब देने में फंसने लगी थी बीमा भारती
बता दें, ईओयू ने 30 जुलाई को बीमा भारती से पूछा था- अविश्वास प्रस्ताव के दिन कहां थीं ? जवाब मिला कि बंगाल गई थीं, माता का दर्शन करने. एसपी के नेतृत्व में बैठी जांच टीम ने फिर क्रॉस किया..बंगाल कैसे गईं...हवाई जहाज से, ट्रेन से या गाड़ी से ? इस पर बीमा भारती ने जवाब दिया कि वे गाड़ी से गई थीं. इस पर फिर सवाल दागा गया, अगर गाड़ी से गई थीं तो उस गाड़ी को कौन चला रहा था, ड्राइवर कौन था ? इस पर बीमा भारती ने जवाब दिया कि ड्राइवर का निधन हो गया है. फिर सवाल पूछा गया- ड्राइवर का नाम क्या था, फोन नंबर क्या था ? इस पर उन्होंने कहा कि यह उन्हें याद नहीं. इतना कहते-कहते पूर्व मंत्री बीमा भारती पसीने से तर-बतर हो रही थीं. जांच टीम ने घेरते हुए बीमा भारती से पूछा, आप बंगाल नहीं बल्कि झारखंड के हजारीबाग व अन्य जगहों पर गई थीं. बजाप्ता प्रमाण है. इस पर उन्होंने कहा कि वे बंगाल गई थीं, हो सकता है कि 1-2 दिन आगे-पीछे का दिन हो. इतना उन्हें याद नहीं है.
बीमा भारती की सफाई- फंसाया गया
पूर्व विधायक बीमा भारती से 30 जुलाई को EOU कार्यालय में पूछताछ हुई . पूछताछ के बाद ईओयू दफ्तर से बाहर निकली बीमा भारती ने अपनी सफाई में कहा था, “मैं ग़लत नहीं हूं मुझे फंसाया गया है. साज़िश के तहत झूठा मुक़दमा किया गया है. नीतीश सरकार को अस्थिर करने का काम मैंने नहीं किया. पहली नोटिस मुझे समय से नहीं मिली थी. 21 जुलाई की शाम मुझे पहला नोटिस मिला. मैंने टीवी में देखा तो ख़ुद फ़ोन की और बोली की मुझे समय से नोटिस नहीं मिला था.
कोतवाली थाने में दर्ज हुआ था केस, फिर ईओयू को जांच का जिम्मा मिला
बता दें कि बीते वर्ष फरवरी 2024 में विश्वास मत से पहले जेडीयू विधायक सुधांशु कुमार ने पटना के कोतवाली थाने में केस दर्ज कराया था कि एनडीए विधायकों को करोड़ों रुपये का ऑफर देकर विपक्ष के पक्ष में वोट डालने को कहा गया. कई विधायकों को विधानसभा पहुंचने से रोकने और गंभीर साजिश और राजनीतिक हस्तक्षेप की शिकायत की गई. मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने जांच की जिम्मेदारी ईओयू को दी थी.