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Bihar Politics: बिहार में 104 KM रेल लाइन का होगा दोहरीकरण,मोदी कैबिनेट से मिली मंजूरी; जानिए क्या है पूरा रूट

मोदी कैबिनेट की बैठक में बिहार को चुनाव से पहले एक और बड़ी सौगात दी गई है। इस सौगात से उत्तर बिहार के लोगों को बड़ा फायदा मिलने वाला है। इसके साथ ही लोगों को अब कम समय से बेहतर सुविधा भी मिल सकेगी।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 24 Sep 2025 03:41:41 PM IST

मोदी कैबिनेट बैठक

मोदी कैबिनेट बैठक - फ़ोटो FILE PHOTO

Bihar Politics :  मोदी कैबिनेट की बैठक में बिहार को चुनाव से पहले एक और बड़ी सौगात दी गई है। इस सौगात से उत्तर बिहार के लोगों को बड़ा फायदा मिलने वाला है। इसके साथ ही लोगों को अब कम समय से बेहतर सुविधा भी मिल सकेगी। इसके बाद अब लोगों में ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी हैं। तो आइए जानते हैं कि मोदी कैबिनेट में किन योजनाओं को मंजूरी दी गई है। 


जानकारी के अनुसार,आज मोदी कैबिनेट में  बख्तियारपुर–राजगीर–तिलैया रेल लाइन (104 किमी) को दोगुना करने की मंज़ूरी दी है। 2,192 करोड़ की लागत से बनने वाला यह प्रोजेक्ट नालंदा, राजगीर, पावापुरी जैसे तीर्थ स्थलों को मज़बूत कनेक्टिविटी देगा और 1,434 गाँवों व 13.46 लाख की आबादी को लाभ पहुंचाएगा।


इस बैठक में सबसे बड़ा फैसला बख्तियारपुर–राजगीर–तिलैया रेल लाइन को दोगुना करने का रहा। लगभग 104 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन को 2,192 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जाएगा। यह परियोजना पूरे क्षेत्र की जीवनरेखा साबित होगी। वर्तमान में यह रेल लाइन सिंगल ट्रैक है, जिसके चलते ट्रेनों की आवाजाही सीमित रहती है। अक्सर यात्रियों को देरी और भीड़भाड़ का सामना करना पड़ता है। लेकिन दोहरीकरण के बाद इस मार्ग पर एक साथ दोनों दिशाओं में ट्रेनें चल सकेंगी। इससे ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी, समय की बचत होगी और लोगों को अधिक आरामदायक यात्रा सुविधा मिलेगी।


यह परियोजना सीधे तौर पर नालंदा, राजगीर और पावापुरी जैसे प्रमुख धार्मिक व पर्यटन स्थलों को लाभ पहुंचाएगी। बौद्ध, जैन और हिंदू धर्म के श्रद्धालु हर साल इन तीर्थ स्थलों की यात्रा करते हैं। बेहतर रेल संपर्क से देशभर और विदेशों से आने वाले पर्यटकों के लिए यह मार्ग सुविधाजनक होगा। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, इस दोहरीकरण परियोजना से 1,434 गाँवों की लगभग 13.46 लाख आबादी को सीधा लाभ मिलेगा। इन क्षेत्रों के लोगों को अब पटना और गया जैसे बड़े शहरों तक तेज और आसान पहुंच मिलेगी। इसके साथ ही स्थानीय उत्पादों और कृषि उपज को बड़े बाजारों तक पहुंचाना आसान होगा।


मालूम हो कि रेलवे प्रोजेक्ट का मतलब सिर्फ बेहतर यातायात नहीं होता, बल्कि इससे हजारों लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलते हैं। निर्माण कार्य के दौरान स्थानीय स्तर पर मज़दूरों, इंजीनियरों, आपूर्तिकर्ताओं और ठेकेदारों को काम मिलेगा। वहीं, परियोजना पूरी होने के बाद ट्रेनों की संख्या बढ़ने से व्यापारिक गतिविधियाँ तेज होंगी।


नालंदा और राजगीर जैसे क्षेत्रों में होटल, गेस्ट हाउस, रेस्तरां और पर्यटन सेवाओं की मांग भी बढ़ेगी। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार और छोटे व्यवसायों को मजबूती मिलेगी। राजगीर और पावापुरी का नाम इतिहास और धर्म से गहराई से जुड़ा है। राजगीर न केवल बौद्ध धर्म बल्कि जैन और हिंदू आस्थाओं के लिए भी पवित्र स्थल है। महात्मा बुद्ध ने यहां लंबे समय तक प्रवास किया था। वहीं पावापुरी वह स्थान है जहां भगवान महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया था। इन स्थलों तक रेल कनेक्टिविटी मजबूत होने से धार्मिक पर्यटन को नई उड़ान मिलेगी।


बिहार में चुनावी माहौल को देखते हुए इस परियोजना को राजनीतिक दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है। उत्तर बिहार और मगध क्षेत्र की बड़ी आबादी रेलवे पर निर्भर है। ऐसे में इस तरह का बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट जनता को सीधे लाभान्वित करेगा। सरकार का संदेश साफ है कि वह क्षेत्रीय विकास को प्राथमिकता दे रही है। मोदी कैबिनेट की इस मंजूरी ने बिहार को चुनाव से पहले एक बड़ी सौगात दी है।