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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 02 Oct 2025 07:13:47 AM IST
Nitish Kumar - फ़ोटो File photo
NITISH KUMAR: बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना अब सिर्फ गांव तक सीमित नहीं रही, बल्कि शहरों में भी इसका असर देखने को मिल रहा है। सरकार द्वारा प्रत्येक लाभार्थिनी को 10,000 रुपये की पहली किस्त देने की शुरुआत के बाद महिलाओं में “जीविका” समूह से जुड़ने की होड़ मच गई है। आंकड़ों के मुताबिक, महज एक सप्ताह में 4.5 लाख नई आवेदन प्राप्त हुए और कुल मिलाकर लगभग 10 लाख नए आवेदन राज्य भर से आ चुके हैं।
शुरुआत में जीविका योजना ग्रामीण इलाकों तक ही सक्रिय थी, लेकिन अब इसका दायरा शहरी क्षेत्रों तक बढ़ा दिया गया है। शहरों में पहले से ही जीविका समूह सक्रिय थे, जो रसोई संचालन, अस्पतालों और सरकारी दफ्तरों में सेवाएँ दे रहे हैं। अब जब सरकार ने सीधे 10,000 रुपये की पहली किस्त महिलाओं के खाते में भेजनी शुरू की है, तो शहरी महिलाओं का रुझान भी तेजी से बढ़ा है।
राज्य सरकार ने साफ किया है कि कुल 75 लाख महिलाओं को इस योजना का लाभ दिया जाएगा। इसके लिए लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से राशि भेजी जाएगी। इस प्रक्रिया से न केवल पारदर्शिता सुनिश्चित होगी बल्कि महिलाओं की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा।
शहरी क्षेत्रों के लिए आवेदन ऑनलाइन माध्यम से लिए जा रहे हैं। प्रारंभिक जांच के बाद जीविका के कर्मचारी घर-घर जाकर भौतिक सत्यापन कर रहे हैं। इसमें महिला के पहचान पत्र, बैंक विवरण और अन्य जरूरी दस्तावेज जांचे जाते हैं। सरकार की मंशा है कि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो और सही लाभार्थी तक ही राशि पहुंचे।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस समय राज्य में 3,12,431 स्वयं सहायता समूह (Self-Help Groups) सक्रिय हैं। महिलाओं में इस समूह का हिस्सा बनने की ललक इतनी बढ़ गई है कि केवल एक सप्ताह में 5,26,323 नए आवेदन आ गए। अब तक यह संख्या बढ़कर 10 लाख से अधिक हो चुकी है।
राज्य सरकार ने यह फैसला लिया है कि सभी महिलाओं को एक साथ राशि देने के बजाय इसे चरणबद्ध तरीके से जारी किया जाएगा।
3 अक्टूबर को 25 लाख महिलाओं को पहली किस्त दी जाएगी।
इसके बाद 6 और 17 अक्टूबर को भी राशि जारी होगी।
योजना के तहत कुल वितरण प्रक्रिया 26 दिसंबर तक पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है।
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, इस योजना के अंतर्गत अब तक करीब 7,500 करोड़ रुपये 75 लाख महिलाओं को हस्तांतरित किए जा चुके हैं। जैसे-जैसे योजना आगे बढ़ रही है, और अधिक महिलाओं के आवेदन आने की संभावना जताई जा रही है। सरकार का मानना है कि इस योजना से महिलाओं को स्वरोजगार और आर्थिक आत्मनिर्भरता की नई दिशा मिलेगी।
इधर, विशेषज्ञ मानते हैं कि जीविका समूह ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना रहे हैं। इससे न केवल परिवार की आय में वृद्धि हो रही है बल्कि महिलाएँ छोटे स्तर पर व्यवसाय और रोजगार शुरू करने की दिशा में भी आगे बढ़ रही हैं।