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Bihar Farming News: गर्मी में बिहार के किसान करें इन चीजों की खेती, दो महीने में हो जाएंगे मालामाल!

Bihar Farming News: एक्सपर्ट्स के मुताबिक, गर्मी का समय दलहनी फसलों, खासकर मूंग और उड़द की खेती के लिए सबसे उपयुक्त होता है। ये फसलें न केवल किसानों को कम समय में बेहतर आमदनी देती हैं, बल्कि मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाती है

1st Bihar Published by: KHUSHBOO GUPTA Updated Mon, 28 Apr 2025 11:54:13 AM IST

Bihar Farming News

किसान दो महीने में हो जाएंगे मालामाल! - फ़ोटो google

Bihar Farming News: गर्मी की दस्तक के साथ ही किसानों के अधिकतर खेत खाली दिखने लगते हैं। लेकिन कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, गर्मी का समय दलहनी फसलों, खासकर मूंग और उड़द की खेती के लिए सबसे उपयुक्त होता है। ये फसलें न केवल किसानों को कम समय में बेहतर आमदनी देती हैं, बल्कि मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाती हैं। 


मूंग और उड़द की बुआई के लिए मार्च से अप्रैल तक का समय सबसे उपयुक्त होता है। मूंग की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 30 किलो और प्रति एकड़ 10 से 12 किलो बीज की जरूरत होती है। खेत की अच्छी जुताई के बाद बीज की बुआई सीधे हाथ से या सीड ड्रिल मशीन से की जा सकती है। कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक, गर्मी के मौसम में मूंग और उड़द जैसी फसलें लगाना खेतों के लिए काफी फायदेमंद होता है। दलहन फसलें मिट्टी में जैविक नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाती हैं। अगली फसल के लिए खेत को तैयार करती हैं। इस कारण से इनकी खेती को खेती की चक्रव्यूह प्रणाली में एक आवश्यक कड़ी माना जाता है।


बिहार सरकार भी गर्मी में दलहनी फसलों को बढ़ावा देने के लिए ‘हरी चादर योजना’ चला रही है। इस योजना के तहत किसानों को ढैंचा, मूंग और उड़द के बीज सब्सिडी पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं, ताकि गर्मी के मौसम में खेत खाली न रहें। किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत मिल सके। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मूंग और उड़द की बुआई के लिए मार्च से अप्रैल तक का समय सबसे उपयुक्त होता है। मूंग की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 30 किलो और प्रति एकड़ 10 से 12 किलो बीज की जरूरत होती है। खेत की अच्छी जुताई के बाद बीज की बुआई सीधे हाथ से या सीड ड्रिल मशीन से की जा सकती है। बुआई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई जरूरी है, जिससे अंकुरण अच्छा हो।