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वैशाली में बना पत्थरों से बना भारत का पहला भव्य बुद्ध स्मृति स्तूप, जुलाई अंत में होगा उद्घाटन

वैशाली में बना भारत का पहला पूरी तरह पत्थरों से निर्मित बुद्ध स्मृति स्तूप जुलाई के अंत में उद्घाटन के लिए तैयार है। यह ऐतिहासिक संरचना भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेषों को समर्पित है, जिसमें संग्रहालय, ध्यान केंद्र और सौर ऊर्जा संयंत्र जैसी सुविधाएं हैं।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 14 Jul 2025 08:46:53 PM IST

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CM नीतीश करेंगे उद्घाटन - फ़ोटो GOOGLE

PATNA: भगवान बुद्ध की पावन धरती वैशाली में भगवान बुद्ध के स्मृति अवशेषों को सुरक्षित रखने एवं बौद्ध धर्मावलंबियों के दर्शन हेतु बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप का निर्माण किया गया है। स्तूप को आकर्षक वास्तुशिल्प एवं बेमिसाल नक्काशी से सजाया गया है। इसी महीने जुलाई के अंत तक बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप का उद्घाटन किया जाएगा, जिसकी तैयारियां की जा रही है. आज सोमवार को भवन निर्माण विभाग के सचिव श्री कुमार रवि की अध्यक्षता में स्मृति स्तूप को लेकर समीक्षा बैठक की गई। उन्होंने संबंधित पदाधिकारियों को उद्घाटन की तैयारी को लेकर आवश्यक निदेश दिया। 


स्तूप परिसर में कई स्थलों पर छोटे-छोटे कार्य किए जा रहे हैं, जिससे परिसर और सुंदर एवं मनमोहक लग सके। स्तूप के चारों ओर लिली पाउंड का निर्माण किया गया है। ग्राउंड फ्लोर पर भगवान बुद्ध की मूर्ती लगाई गई है, जिसे ओडिशा के कलाकारों द्वारा तैयार की गई है। इसके अलावा वुडेन फ्लोरिंग, बंबू फ्लोरिंग कार्य किए गए हैं।


भवन निर्माण के सचिव श्री कुमार रवि के द्वारा बताया गया कि वैशाली में भव्य स्मृति स्तूप बनकर तैयार हो गया है। यह संरचना पूरी तरह पत्थरों से निर्मित है और स्तूप में 42373 बलुआ पत्थर लगाए गए हैं। टंग एवं ग्रूव तकनीक से इन पत्थरों को लगाया गया है। 


सचिव ने बताया  कि महात्मा बुद्ध के जीवन से संबंधित घटनाओं और बौद्ध धर्म से जुड़े प्रसंगों को संग्रहालय 1 एवं 2 में दर्शाया जा रहा है।  भूकंप-रोधक क्षमता को ध्यान में रखते हुए स्मृति स्तूप को भूकंपरोधी बनाने में कई मॉडर्न तकनीकों का उपयोग किया गया है। स्तूप की मूलभूत संरचना हजारों वर्षों तक सुरक्षित रहेंगी। 


 वैशाली में पवित्र पुष्करणी तालाब एवं पौराणिक मड स्तूप के निकट ₹550.48 करोड़ रुपये की लागत से 72 एकड़ के भूखण्ड पर बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप का निर्माण किया गया है। वर्ष 1958-62 के दौरान राजा विशाल के गढ़ की खुदाई में भगवान बुद्ध का अस्थि कलश मिला है, जिसे प्रथम तल पर स्थापित किया जाएगा। 


आधुनिक भारत के इतिहास में पहली बार वैशाली में केवल पत्थरों से एक बड़े स्तूप का निर्माण किया गया है। सीमेंट, ईंट या कंक्रीट जैसी सामग्री के बिना ही निर्मित स्मृति स्तूप की कुल ऊंचाई 35.10 मीटर है। स्तूप के निर्माण हेतु राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से सैंडस्टोन का चयन किया गया। इतिहास में कई स्मारकों, ऐतिहासिक मंदिरों तथा इमारतों में इसका व्यापक उपयोग हुआ है और वर्तमान में अयोध्या में निर्मित भव्य राम मंदिर इसी बंसी पहाड़पुर के पत्थर से निर्मित है। 


बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप परिसर में स्तूप के अलावा संग्रहालय ब्लॉक, आगंतुक केंद्र भवन, पुस्तकालय भवन एवं ध्यान केंद्र भवन, अतिथि गृह तथा एम्पी थियेटर एवं सर्विस एरिया का निर्माण किया गया है। यहां गाड़ियों की पार्किंग की व्यवस्था, कैफेटेरिया, टिकट काउंटर समेत अन्य जरूरी चीजों की भी सुविधाई विकसित की गई हैं।


परिसर को सुंदर दिखाने के लिए वृहद पैमाने पर आम के पौधे लगाए गए हैं। कुल हरियाली क्षेत्र लगभग 271689 वर्गमीटर है। सौर ऊर्जा के माध्यम से विद्युत आपूर्ति हेतु 500 किलोवाट क्षमता का सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए गए हैं। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट एवं वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं। परिसर की सुंदरता बढ़ाने के लिए तालाब के किनारे अन्य जल संरचना में कुछ आवश्यक निर्माण किया गया है।

    

 नए स्तूप परिसर को ऐतिहासिक मड स्तूप से जोड़े जाने का भी प्लान है और इसके लिए आवश्यक कार्य किया जा रहा है। बौद्ध धर्मालंबियों के लिये यह एक प्रमुख आस्था तथा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। यह स्थल न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा बल्कि बिहार में पर्यटन विकास के क्षेत्र में मिल का पत्थर साबित होगा। आने वाले समय में स्तूप का भव्य अर्किटेक्चर विश्व पटल पर अपनी अनोखी पहचान बनाएगा।