आय से अधिक संपत्ति मामला: AIG प्रशांत कुमार के खिलाफ दर्ज FIR रद्द, हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी SVU

पटना उच्च न्यायालय ने बिहार निबंधन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी प्रशांत कुमार के खिलाफ दर्ज आय से अधिक संपत्ति का मामला रद्द कर दिया है. हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ विशेष निगरानी इकाई सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर करने की तैयारी में है.

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Sat, 13 Dec 2025 07:50:44 PM IST

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Bihar News: आय से अधिक संपत्ति के मामले में AIG प्रशांत कुमार के खिलाफ दर्ज केस को पटना हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। हाई कोर्ट के इस फैसले से विशेष निगरानी इकाई यानी एसवीयू संतुष्ठ नहीं है। ऐसे में उसने हाईकोर्ट के फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया है। एसवीयू इस केस को फिर से बहाल कराने के लिए हाई कोर्ट के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती देगी।


दरअसल, पटना उच्च न्यायालय ने बिहार निबंधन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और मुजफ्फरपुर के तत्कालीन एआईजी प्रशांत कुमार के खिलाफ दर्ज आय से अधिक संपत्ति के मामले को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ विशेष निगरानी इकाई (SVU) ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर करने का निर्णय लिया है।


विशेष निगरानी इकाई को विश्वसनीय सूत्रों से सूचना मिली थी कि प्रशांत कुमार ने वर्ष 1996 में बिहार निबंधन सेवा में शामिल होने के बाद अपने विभिन्न कार्यकालों के दौरान भ्रष्ट और अवैध तरीकों से बड़ी मात्रा में चल-अचल संपत्ति अर्जित की है। शिकायत के आधार पर की गई प्रारंभिक जांच में सामने आया कि उन्होंने लगभग 2.06 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति जमा की है।


जांच के अनुसार, प्रशांत कुमार की कुल आय वेतन, बैंक ऋण और अन्य स्रोतों से करीब 2.95 करोड़ रुपये आंकी गई थी, जबकि रसोई खर्च को छोड़कर अन्य मदों में उनका खर्च 2.57 करोड़ रुपये से अधिक पाया गया। इसी आधार पर उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया।


प्रारंभिक जांच के बाद विशेष निगरानी इकाई थाना कांड संख्या 15/2022 के तहत उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 120(B) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(b), 13(2) और धारा 12 के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज की गई।


एफआईआर के बाद निगरानी इकाई ने तलाशी वारंट हासिल कर पटना, सीवान और मुजफ्फरपुर स्थित उनके कार्यालयों और आवासीय परिसरों में छापेमारी की। इस दौरान 2.46 लाख रुपये नकद, 22.26 लाख रुपये के सोने-चांदी के आभूषण, एसबीआई का एक बैंक लॉकर, जिसमें 32.25 लाख रुपये के जेवरात, जमीन निवेश से जुड़े डीड और दस्तावेज, 11 बैंक खाते, शेयर संबंधी कागजात तथा एलआईसी और स्टार हेल्थ में निवेश से जुड़े दस्तावेज बरामद किए गए।


हालांकि पटना के बोरिंग कैनाल रोड स्थित अलख राज अपार्टमेंट के एक फ्लैट का मूल्य प्राथमिकी में शामिल नहीं किया गया था, इसके बावजूद तलाशी के दौरान कुल आय से अधिक संपत्ति करीब 2.03 करोड़ रुपये पाई गई।


अनुसंधान के दौरान यह भी सामने आया कि प्रशांत कुमार और उनकी पत्नी प्रीति कुमारी के नाम पर पटना और गुड़गांव में दुकान, कार्यालय, जमीन और मकान सहित कई अचल संपत्तियां हैं। साथ ही विभिन्न वित्तीय संस्थानों में निवेश और बैंक बैलेंस की भी जांच की जा रही थी। इसके अलावा उनके दोनों बेटों की उच्च शिक्षा—एक की मेडिकल पढ़ाई और दूसरे की सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय से एमबीए पर करीब एक करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान जताया गया।


इसी बीच प्रशांत कुमार ने पटना उच्च न्यायालय में प्राथमिकी रद्द करने की याचिका दायर की थी। 8 दिसंबर 2025 को हाईकोर्ट ने मामले में एफआईआर को रद्द कर दिया। बताया जा रहा है कि एक महीने के भीतर भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में प्राथमिकी रद्द होने का यह दूसरा मामला है। इससे पहले बिहार प्रशासनिक सेवा (2011 बैच) की अधिकारी श्वेता मिश्रा के मामले में भी प्राथमिकी रद्द की जा चुकी है। हाईकोर्ट के इस फैसले पर विशेष निगरानी इकाई के अपर पुलिस महानिदेशक पंकज दराद ने असंतोष जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर करने का निर्णय लिया है।