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Bihar News: बिहार में पशुओं को हो रही है यह खतरनाक बीमारी, जानिए... लक्षण और बचाव के उपाय

Bihar News: पशुओं में खतरनाक बीमारी एंथ्रेक्स (गिल्टी रोग) फैल रही है, जिसे लेकर केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 17 Aug 2025 09:46:31 AM IST

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बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE

Bihar News: पशुओं में खतरनाक बीमारी एंथ्रेक्स (गिल्टी रोग) तेजी से फैल रही है, जिससे मानव जीवन पर भी गंभीर खतरा मंडरा रहा है। गाय, भैंस, बकरी, भेड़ समेत अन्य पालतू पशुओं में इस बीमारी के फैलने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे सरकार ने गंभीरता दिखाते हुए नई दिशानिर्देश जारी किए हैं। केंद्र सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे समय रहते इस बीमारी के लक्षणों को पहचानें और आवश्यक एहतियात बरतें ताकि संक्रमण को रोका जा सके।


पशुओं में एंथ्रेक्स के प्रमुख लक्षणों में अचानक मौत, मल के माध्यम से खून आना, शरीर में सूजन और घावों का बनना शामिल है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह बीमारी मनुष्यों में त्वचा, श्वसन तंत्र और पाचन तंत्र के माध्यम से फैलती है। इसका सबसे सामान्य रूप क्यूटेनियस एंथ्रेक्स है, जिसमें त्वचा पर छोटे खुजली वाले घाव बनते हैं जो बाद में काले फोड़े में परिवर्तित हो जाते हैं। ये घाव अक्सर दर्द रहित होते हैं, जिससे संक्रमित व्यक्ति इसे नजरअंदाज कर सकता है। 


इसके साथ ही संक्रमित व्यक्ति को कंपकंपी, तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, और गले की ग्रंथियों में सूजन जैसी शिकायतें भी हो सकती हैं। यदि संक्रमित व्यक्ति दूषित मांस का सेवन करता है, तो उसे पेट दर्द, उल्टी, और दांतों से खून आने जैसे गंभीर लक्षण भी दिख सकते हैं। यह बीमारी विशेष रूप से किसानों, बूचड़खानों में काम करने वाले मजदूरों, ऊन और चमड़ा उद्योग से जुड़े श्रमिकों में अधिक पाई जा रही है। 


जब कोई संक्रमित पशु मरता है, तो उसका खून मिट्टी में मिलकर जीवाणु में परिवर्तित हो जाता है, जो हवा के संपर्क में आने पर और भी अधिक खतरनाक बन जाते हैं। ये जीवाणु मिट्टी में कई वर्षों तक जीवित रह सकते हैं और चरते हुए पशुओं को संक्रमित कर सकते हैं, जिससे संक्रमण का चक्र जारी रहता है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से आग्रह किया है कि पशुओं या मनुष्यों में एंथ्रेक्स के लक्षण दिखने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें और स्थानीय पशु चिकित्सा अधिकारियों को भी सूचित करें। 


साथ ही, संक्रमित पशुओं के संपर्क से बचाव के लिए उचित सैनिटाइजेशन और सुरक्षा उपायों को अपनाना अत्यंत आवश्यक है। सरकार ने पशु चिकित्सा विभाग के माध्यम से जागरूकता अभियान भी चलाए जाने की योजना बनाई है ताकि इस घातक बीमारी पर काबू पाया जा सके और इसके फैलाव को रोका जा सके।