मुंगेर के तारापुर में लगेगी 29.88 करोड़ की शिव प्रतिमा, बनेगा आधुनिक पार्क: सम्राट चौधरी

मुंगेर के तारापुर में 29.88 करोड़ की लागत से शिव प्रतिमा और पार्क का निर्माण किया जाएगा। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि धार्मिक पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 31 Jul 2025 07:28:38 PM IST

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रोजगार और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा - फ़ोटो GOOGLE

PATNA:  मुंगेर के तारापुर में 29.88 करोड़ की लागत से शिव प्रतिमा स्थापित होगी और पार्क बनेगा। इस बात की जानकारी बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने दी। कहा कि तेलडीहा मंदिर के पास शिव प्रतिमा लगने और पार्क बनने धार्मिक पर्यटन बढ़ेगा। 15.44 एकड़ भूमि अधिग्रहण के लिए 528.17 लाख रूपये की योजना है। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के एनडीए सरकार लगातार काम कर रही है। 


बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि मुंगेर जिले के तारापुर प्रखंड स्थित प्रसिद्ध तेलडीहा मंदिर के नजदीक भगवान शिव की विशाल प्रतिमा और आधुनिक पार्क निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई है। इस पर 29 करोड़ 88 लाख 45 हजार रुपये खर्च होंगे । सम्राट चौधरी ने बताया कि कांवरिया परिपथ के अन्तर्गत मुंगेर तारापुर का उक्त स्थान एक महत्वपूर्ण पर्यटक गंतव्य हैं। यहां लाखों की संख्या में प्रतिवर्ष पर्यटकों का आगमन होता है।


उन्होंने कहा कि वहां शिव प्रतिमा स्थापित होने और पार्क बनने  से  पर्यटकों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी। योजना के अन्तर्गत यहां भगवान शिव की प्रतिमा का अधिष्ठापन, चहारदिवारी का निर्माण, पार्किंग, ब्रिज एवं अन्य कार्य कराए जाएंगे। योजना का कार्यान्वयन बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा किया जायेगा। तेलडीहा मंदिर के समीप सांस्कृतिक पर्यटन के विकास हेतु रकवा- 15.44 एकड़ भूमि अधिग्रहण के निमित राशि 528.17 लाख रूपये की योजना स्वीकृत की गयी है। भू-अर्जन की कार्रवाई जिला पदाधिकारी मुंगेर द्वारा किया जा रही है। योजना 18 माह में पूर्ण होने की संभावना है।


उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार धार्मिक स्थलों के विकास और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रही है। इसी कड़ी मे तेलडीहा मंदिर के नजदीक इस निर्माण को स्वीकृति प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।