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Bihar Teacher: BDO के नए फरमान के बाद फूटा शिक्षकों का गुस्सा, आदेश को बताया "अनुशासन के नाम पर उत्पीड़न"

Bihar Teacher: दरभंगा के हनुमाननगर में BDO का शिक्षकों पर मोबाइल जमा करने का फरमान। शिक्षक संघ और जनप्रतिनिधियों में भारी आक्रोश, आंदोलन की दी चेतावनी।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 26 May 2025 08:49:43 AM IST

Bihar Teacher

प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google

Bihar Teacher: बिहार के दरभंगा जिले में हनुमाननगर प्रखंड के ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (BDO) द्वारा जारी एक आदेश ने शिक्षकों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। इस आदेश में स्कूल के समय शिक्षकों के मोबाइल फोन रखने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई है। शिक्षकों को अब स्कूल में प्रवेश करते ही अपना मोबाइल प्रधानाध्यापक को जमा करना होगा, जो छुट्टी के बाद ही वापस मिलेगा।


यह फरमान प्रखंड स्तरीय बैठक में कुछ शिकायतों के आधार पर जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि कुछ शिक्षक कक्षा के दौरान मोबाइल का दुरुपयोग कर रहे हैं। आपात स्थिति में परिजनों को प्रधानाध्यापक से संपर्क करने को कहा गया है। लेकिन इस सख्ती ने शिक्षक समुदाय को नाराज कर दिया, और इसे निजता का हनन और अपमान करार दिया जा रहा है। शिक्षक संगठनों ने इस आदेश को गैरजरूरी और अधिकार क्षेत्र से बाहर का कदम बताया है।


इस बारे में बात करते हुए प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रधान सचिव नारायण मंडल ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि यदि मोबाइल दुरुपयोग की शिकायत थी, तो इसकी जांच और कार्रवाई ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर (BEO) के स्तर पर होनी चाहिए थी। BDO को बिना कानूनी प्रक्रिया और अधिकार के इस तरह का आदेश जारी करने का हक नहीं है।


शिक्षकों का कहना है कि यह आदेश उनकी निजता और मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है। कई शिक्षकों ने इसे दमनकारी और अनुशासन के नाम पर उत्पीड़न बताया, जिससे उनका मनोबल टूट रहा है। अब इस विवाद में जनप्रतिनिधि भी शिक्षकों के समर्थन में उतर आए हैं। जिला परिषद सदस्य सुनीता यादव ने BDO के आदेश की कड़ी निंदा की और कहा कि सरकारी अधिकारी शिक्षकों को निशाना बनाना आसान समझते हैं, लेकिन जनता की सेवा में ऐसी तत्परता शायद ही दिखाते हैं।


उन्होंने जोर देकर कहा कि शिक्षा में सुधार के लिए संवाद और सहयोग की जरूरत है, न कि डर और दबाव की। सुनीता ने सवाल उठाया कि क्या इस तरह के आदेश से शिक्षकों का सम्मान और कार्यक्षमता बढ़ेगी। उनका यह बयान शिक्षकों के आंदोलन को और हवा दे रहा है।


शिक्षक संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि यह आदेश तुरंत वापस नहीं लिया गया, तो वे जिला और राज्य स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। कुछ जगहों पर शिक्षकों ने मौन प्रदर्शन की योजना बनानी शुरू कर दी है। शिक्षक संघों का कहना है कि यह आदेश न केवल अव्यवहारिक है, बल्कि शिक्षकों को अनावश्यक रूप से संदेह के घेरे में लाता है।