ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar Election: 4 बार के MLA और पूर्व सांसद RJD छोड़ जन सुराज में शामिल, कहा "उस पार्टी में घुटन महसूस हो रही थी" Bihar Election 2025: शाह ने BJP को लेकर बनाया खास प्लान, लालू के खास इलाके से करेंगे रैली की शुरुआत Bihar Election 2025: JDU में इस बार कुल इतने विधायकों का कटा टिकट, लिस्ट में बड़का नेता जी का नाम भी शामिल Bihar Election: 18 नहीं बल्कि इतनी सीटों पर लड़ेगी VIP, सहनी को राजद से मिला यह विशेष ऑफर महागठबंधन में नहीं सुलझ पाया है सीट बंटवारे का फॉर्मूला, कांग्रेस ने जारी की कैंडिडेट के नाम की पहली लिस्ट, इतने नेता शामिल AIMIM में टिकट बंटवारे को लेकर बवाल, प्रदेश अध्यक्ष पर टिकट बेचने का गंभीर आरोप BIHAR ELECTION 2025: बेतिया में कांग्रेस के खिलाफ अल्पसंख्यक समुदाय का विरोध, टिकट बंटवारे में अनदेखी का आरोप BIHAR ELECTION 2025: बड़हरा से RJD ने रामबाबू सिंह पर जताया भरोसा, सिंबल मिलते ही क्षेत्र में जश्न Patna Crime News: बिहार में चुनावी तैयारियों के बीच पटना से JDU नेता अरेस्ट, इस मामले में हुई गिरफ्तारी Patna Crime News: बिहार में चुनावी तैयारियों के बीच पटना से JDU नेता अरेस्ट, इस मामले में हुई गिरफ्तारी

Mahakumbh 2025: महाकुंभ मेला और वासुकि नाग का रिलेशन, शिवजी के गले में कौन सा सांप है?

महाकुंभ मेला 2025 का आयोजन प्रयागराज में शुरू हो चुका है, और इस मौके पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है। कुंभ मेला का मुख्य आकर्षण भगवान शिव से जुड़ी मान्यताओं और विशेष रूप से नागा साधुओं के आयोजन के कारण है।

Mahakumbh 2025

14-Jan-2025 07:30 AM

By First Bihar

Mahakumbh 2025: प्रयागराज में हर बार की तरह इस साल भी महाकुंभ मेला का आयोजन हो रहा है, और इस विशेष अवसर पर गंगा स्नान का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। हर कोई कुंभ मेला में पवित्र स्नान करने के लिए पहुंचता है, लेकिन इस बार महाकुंभ मेला सिर्फ इसलिए नहीं चर्चाओं में है कि यह एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि इसके साथ जुड़ी एक बहुत ही खास मान्यता भी है – शिवजी के गले में स्थित सांप का रहस्य।


शिवजी के गले में कौन सा सांप है?

भगवान शिव की छवि के बारे में हम सभी जानते हैं कि उनकी गले में एक सांप लपेटा हुआ होता है। बहुत से लोग इसे किंग कोबरा मानते हैं, लेकिन क्या वास्तव में यही सांप है? धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव के गले में किंग कोबरा नहीं बल्कि वासुकि नाग विराजमान होते हैं।


वासुकि नाग को लेकर कई धार्मिक कथाएँ प्रसिद्ध हैं, जिनमें समुद्र मंथन की विशेष भूमिका है। समुद्र मंथन के दौरान वासुकि नाग को शिवजी ने अपने गले में लपेट लिया था, और तभी से वे शिवजी के परम भक्त के रूप में पूजे जाते हैं। शिवजी ने वासुकि नाग की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें अपने गले में धारण किया और उन्हें आशीर्वाद दिया।


वासुकि नाग का अस्तित्व और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

कभी यह माना जाता था कि वासुकि नाग सिर्फ एक पौराणिक पात्र हैं, लेकिन 2005 में गुजरात के कच्छ जिले में एक विशाल सांप के अवशेष पाए गए। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह सांप करीब 10.9 से 15.2 मीटर लंबा था, और इसका वजन एक टन के करीब था। यह सांप वासुकि नाग के अवशेषों से मेल खाता था, और इस बात ने सिद्ध किया कि पौराणिक कथाओं में वर्णित विशाल नाग वास्तविक हो सकते हैं।


वैज्ञानिकों ने इस सांप को "वासुकि इंडस" नाम दिया, जो वासुकि नाग के नाम से जुड़ा हुआ है। हालांकि, इस सांप के वास्तविक अस्तित्व को लेकर कई सवाल उठते हैं, लेकिन यह शोध यह साबित करता है कि हमारे धार्मिक ग्रंथों में जिन नागों का जिक्र किया गया है, वे काल्पनिक नहीं हो सकते।


वासुकि नाग के मंदिर

भारत में वासुकि नाग के कई मंदिर हैं, और एक महत्वपूर्ण मंदिर प्रयागराज में स्थित है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यह वासुकि नाग के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। यहां आने वाले भक्तों का कालसर्प दोष समाप्त हो जाता है और उन्हें विशेष आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा, वासुकि नाग के मंदिर जम्मू के डोडा जिले में भी हैं, और हिमाचल, गुजरात तथा मुंबई जैसे अन्य क्षेत्रों में भी इस देवता के कई मंदिर स्थित हैं।


प्रयागराज का वासुकि नाग मंदिर महाकुंभ मेले के दौरान विशेष रूप से भीड़ से भरा रहता है, क्योंकि इस समय भक्तों की संख्या बहुत अधिक होती है। यहां आने से भक्तों को न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि उन्हें जीवन के विभिन्न कष्टों से मुक्ति भी मिलती है।


महाकुंभ मेला न केवल एक धार्मिक मेला है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और इतिहास की गहरी जड़ें पकड़ता है। शिवजी के गले में स्थित वासुकि नाग का धार्मिक महत्व और वैज्ञानिक प्रमाण यह साबित करते हैं कि पौराणिक कथाएँ सच्चाई से परे नहीं होती। वासुकि नाग का पूजन करने से न केवल शांति मिलती है, बल्कि भक्तों को जीवन के कठिनाइयों से उबरने का अवसर भी मिलता है। इस महाकुंभ मेला में वासुकि नाग के मंदिरों का दर्शन और वहां पूजा अर्चना करने से भक्तों को अपार आशीर्वाद मिलता है, और यह धार्मिक यात्रा उन्हें एक नए जीवन की ओर प्रेरित करती है।