Bihar News: CBI की विशेष अदालत में सृजन घोटाले का ट्रायल शुरू, पूर्व DM वीरेन्द्र यादव आरोप तय Bihar News: अब बिहार सरकार नहीं बनाएगी नेशनल हाईवे, निर्माण और मरम्मत का जिम्मा NHAI के हवाले Bihar News: बिहार-झारखंड के इन शहरों के बीच फिर होगा स्पेशल ट्रेन का परिचालन, यात्रियों के लिए बड़ी राहत Bihar News: पटना में युवक की आत्महत्या से मची सनसनी, जांच में जुटी पुलिस Bihar News: बिहार के 24 जिलों में बारिश का अलर्ट जारी, बाढ़ का संकट और भी गहराया.. सहरसा में रुई के गोदाम में लगी भीषण आग, दमकल की 4 गाड़ियों ने पाया काबू अरवल में इनोवा कार से 481 लीटर अंग्रेज़ी शराब बरामद, पटना का तस्कर गिरफ्तार Bihar Crime News: कारोबारी की चाकू मारकर हत्या, गले और चेहरे पर 15 से अधिक वार; पैसों के विवाद में हत्या की आशंका Bihar Crime News: कारोबारी की चाकू मारकर हत्या, गले और चेहरे पर 15 से अधिक वार; पैसों के विवाद में हत्या की आशंका Bihar Crime News: बिहार में पेशी के दौरान कोर्ट कैंपस से कैदी फरार, पुलिस ने घर से दबोचा
21-Apr-2020 03:59 PM
DESK : हिंदी पंचांग के अनुसार वैशाख माह की अमावस्या तिथि को श्राद्ध अमावस्या भी कहा जाता है. मान्यता है की इस दिन किये गए धार्मिक कार्य, पूजा पाठ और दान पुण्य का विशेष महत्त्व होता है. ग्रंथों की माने तो इस दिन कालसर्प दोष निवारण और शनि दोष शांति के लिए विशेष पूजा की जाती है. इस बार ये पर्व 22 अप्रैल बुधवार को है. इस तिथि पर सूर्य और चंद्रमा का अंतर शून्य हो जाता है. इसलिए इन 2 ग्रहों की विशेष स्थिति से इस तिथि पर पितरों के लिए की गई पूजा और दान का विशेष महत्व होता है.
कैसे करते है पितरों का तर्पण ?
पितरों की तृप्ति के लिए पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध करना चाहिए. यदि आप इन सब को करने में असमर्थ हैं तो इस दिन संकल्प कर के व्रत करना चाहिए और अन्न जल का दान करना चाहिए. कई जगहों पर इस दिन सत्तू का दान भी दिया जाता है, इसलिए इसे सतुवाई अमावस्या भी कहा जाता है. आइये जानते हैं इस दिन क्या करें जिससे हमारे पितृ प्रसन्न रहें और उनका आशीर्वाद हम पर बना रहे:-
घर पर ही पानी में काले तिल और गंगाजल डालकर स्नान कर लें. मन जाता है की ऐसा करने से तीर्थ स्नान जैसा फल मिलता है.
स्नान के बाद पीपल के पेड़ पर जल और कच्चा दूध चढ़ाएं.
चावल के पिंड बनाकर पितरों को धूप दें.
पितरों की तृप्ति के लिए संकल्प लेकर अन्न और जल का दान करें.
संभव हो तो ब्राह्मण को भोजन करवाएं या किसी मंदिर में 1 व्यक्ति के जितना भोजन दान करें.
बनाए गए भोजन में से तीन हिस्से निकाल लें. पहला गाय फिर कुत्ते और फिर कौवे के लिए.