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03-Jul-2021 11:44 AM
DESK: संवैधानिक संकट की वजह से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पद से इस्तीफा दे दिया। विधानसभा का सदस्य नहीं रहने के कारण उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा। ऐसे में तीरथ सिंह रावत के बाद अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए भी परेशानी बढ़ सकती है। बंगाल में भी उत्तराखंड जैसी स्थिति नजर आ रही है।
तीरथ सिंह रावत ने अनुच्छेद 164 और संवैधानिक संकट का हवाल देते हुए मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा दिया। अनुच्छेद 164 के अनुसार यदि कोई मंत्री छह महीने की अवधि तक विधानमंडल का सदस्य नहीं होता तो उस समय सीमा के खत्म होने के बाद उनका कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। ऐसे में पश्चिम बंगाल की स्थिति भी उत्तराखंड जैसी ही नजर आ रही है। बंगाल में अभी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विधानसभा की सदस्य नहीं है। 4 मई 2021 को ममता बनर्जी बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं। शपथ ग्रहण के छह महीने के अंदर विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी है। यह संवैधानिक बाध्यता भी है। बंगाल में भवानीपुर सीट खाली है लेकिन ममता बनर्जी विधानसभा की सदस्य तभी बन सकेंगी जब तय अवधि के भीतर चुनाव होगा।
कोरोना महामारी के कारण चुनाव आयोग ने सभी चुनाव को स्थित कर दिया है। ऐसे में चुनाव की प्रक्रिया कब शुरू होगी इस संबंध में कुछ भी कहना मुश्किल होगा। 4 नवंबर तक यदि भवानीपुर उपचुनाव को लेकर चुनाव आयोग फैसला नहीं लेता है तो ममता बनर्जी की कुर्सी खतरे में आ सकती है। स्थिति को देखते हुए ममता बनर्जी ने विधान परिषद के लिए कोशिश की थी। विधानसभा के जरिए प्रस्ताव पास कराया कि राज्य में विधान परिषद का गठन हो लेकिन बिना लोकसभा की मंजूरी के यह संभव नहीं है। ऐसे में विधान परिषद की डगर भी मुश्किल नजर आ रही है। ऐसे में अब चुनाव आयोग के फैसले पर ही सभी की नजर टिकी हुई है।