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09-Mar-2024 08:18 PM
By First Bihar
PATNA: प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी ने शनिवार को लालू परिवार के फाइनेंसर माने जाने वाले सुभाष यादव के कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की. बालू किंग के नाम से मशहूर सुभाष यादव अवैध बालू खनन के लिए कुख्यात ब्रॉडसन कंपनी के आका रहे हैं. ईडी कह रही है कि सुभाष यादव के ठिकानों पर छापेमारी में बड़ी -उपलब्धि हासिल हुई है. पटना के दानापुर में सुभाष यादव के दो घरों से अब तक दो करोड़ रुपये कैश के अलावा पटना, रांची समेत अन्य स्थानों पर जमीन-जायदाद से संबंधित बड़ी संख्या में कागजात बरामद हुए हैं. इसके अलावा दूसरे जगहों पर निवेश से जुड़े काफी संख्या में दस्तावेज बरामद किए जा चुके हैं.
काफी दिनों से रडार पर थे सुभाष
सुभाष यादव काफी दिनों से ईडी से लेकर आयकर विभाग के रडार पर थे. 2022 में इनकम टैक्स विभाग ने उनके कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर की थी. इसमें करोड़ों की आयकर चोरी सामने आई थी. वहीं, पिछले साल से ही बिहार में अवैध बालू खनन की जांच कर रही ईडी अवैध बालू खनन के लिए कुख्यात ब्रॉडसन कंपनी से जुड़े हरेक व्यक्ति की कुंडली खंगाल रही थी. इसी मामले में जेडीयू एमएलसी राधाचरण सेठ, उनके बेटे कन्हैया कुमार समेत अन्य लोग जेल जा चुके हैं. सारे आरोपी जेल में बंद हैं. ईडी की जांच में ये बात सामने आई थी कि ब्रॉडसन कंपनी ने बिहार के विभिन्न बालू घाटों पर अवैध खनन और बिना चालान या गलत चालान के आधार पर 250 करोड़ से अधिक की राजस्व चोरी की.
कौन हैं सुभाष यादव?
आरजेडी से जुड़ा हर शख्स सुभाष यादव की हैसियत औऱ रूतबे को जानता है. बिहार की राजनीतिक गलियारे में भी सुभाष यादव चर्चित शख्सियत हैं. वे लालू प्रसाद यादव औऱ उनके परिवार के फाइनेंसर के तौर पर जाने जाते रहे हैं. सुभाष यादव मूलरूप से दानापुर अनुमंडल में आने वाले हेतनपुर दियारा के रहने वाले हैं. राजद के एक नेता के मुताबिक सुभाष यादव ने लालू यादव के दरबार में आना शुरू किया था तो उनकी हैसियत एक आम आदमी की तरह थी. लेकिन लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के राज में उन्होंने बालू घाटों के ठेके में अपनी पैठ बनायी. कुछ ही दिनों में वे बिहार में बालू कारोबार के किंग बन गये. किसी दौर में कहा जाता था कि सुभाष यादव की मर्जी के बगैर बिहार की किसी नदी से बालू का एक कण भी उठाया नहीं जा सकता.
ईडी की जांच में ये पता चला कि बिहार के बालू कारोबार को एक सिंडिकेट चला रहा था. इस सिंडिकेट में एमएलसी राधाचरण सेठ से लेकर कई लोग जुड़े हुए थे. लेकिन सबके आका सुभाष यादव ही थे. हालांकि सुभाष यादव ने कागज पर ब्रॉडसन कंपनी का काम काफी पहले ही छोड़ दिया था. लिहाजा ईडी ने जब अवैध बालू खनन के मामले की जांच शुरू की तो वह सुभाष यादव पर हाथ डालने से बचती रही. उनके खिलाफ कागजी सबूत नहीं मिल रहे थे. लेकिन ईडी ये जान रही थी कि बालू का सारा कारोबार सुभाष यादव की इशारे पर ही हो रहा था.
सुभाष यादव की राजनीतिक महत्वाकांक्षा
एक आम कार्यकर्ता की हैसियत से लालू दरबार में एंट्री लेने वाले सुभाष यादव कुछ ही सालों में लालू फैमिली के सबसे करीबी बन गये थे. लालू यादव अपने घर से बाहर निकलते थे तो भी सुभाष यादव के साथ ही. लालू जब चारा घोटाले में सजा मिलने के बाद रांची के रिम्स में रहते थे तो सुभाष भी वहीं होते थे. लालू यादव जब किडनी ट्रांसप्लांट कराने सिंगापुर गये तो सुभाष यादव भी वहीं जमे थे. सुभाष यादव ने राजद के टिकट पर पिछला लोकसभा चुनाव झारखंड के चतरा लोकसभा सीट से लड़ा था. चर्चा ये है कि इस दफे वे झारखंड के ही कोडरमा से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. राजद सुप्रीम लालू प्रसाद यादव ने उन्हें हर हाल में टिकट देने का भरोसा दे रखा है.
एक दिन में राबड़ी देवी से खरीदे पौने दो करोड़ के फ्लैट
लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर रेलवे में नौकरी के बदले जमीन लेने समेत दूसरे घोटालों के मुकदमे चल रहे हैं. इसी जांच के दौरान पता चला कि राबड़ी देवी की जमीन पर दानापुर में मरछिया देवी कॉम्लेक्स बना है. इसमें राबड़ी देवी के कई फ्लैट थे. सुभाष यादव ने 13 जून 2017 को एक ही दिन में राबड़ी देवी के तीन फ्लैट 1 करोड़ 72 लाख रुपये में खरीद लिये थे. जांच एजेंसियां ये कहती रही हैं कि लालू परिवार के ब्लैक मनी को खपाने के लिए कागज पर ये डील की गयी थी.
ईडी की जांच जारी
वैसे ईडी ने छापेमारी के बाद जांच जारी रखा है. सुभाष यादव के 8 ठिकानों पर रेड की गयी है. इनमें दानापुर के नारियल घाट स्थित उनके घर के अलावा दानापुर में ही नासरीगंज, शाहपुर, यदुवंशी नगर, मनेर में हल्दी छपरा तथा पटना के गोल रोड, बोरिंग कैनाल रोड स्थित उनका कार्यालय समेत अन्य स्थान शामिल हैं. दानापुर में मौजूद उनके दो घरों से अब तक दो करोड़ रुपये कैश के अलावा पटना, रांची समेत अन्य स्थानों पर जमीन-जायदाद से संबंधित बड़ी संख्या में कागजात तथा अनेक माध्यमों में निवेश से जुड़े काफी संख्या में दस्तावेज बरामद किए जा चुके हैं. ईडी की टीम सारे दस्तावेज की जांच पड़ताल करने में लगी है.