RSS: ‘सोने की चिड़िया’ नहीं, भारत को अब ‘शेर’ बनना है, दुनिया को सिर्फ शक्ति की भाषा समझ आती है: मोहन भागवत Bihar News: हमेशा के लिए बदल जाएगी बिहार के इस जिले की तस्वीर, 106 योजनाओं पर खर्च होंगे ₹59 करोड़ Bihar News: 2020 विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार होंगे कम मतदाता, पिछली बार 2005 में हुआ था ऐसा INDvsENG: टेस्ट क्रिकेट में भारत ने बनाया नया वर्ल्ड रिकॉर्ड, 148 साल से नहीं हुआ था यह कारनामा Bihar Weather: बिहार के इन जिलों में आज बारिश का अलर्ट, वज्रपात को लेकर भी IMD ने किया सावधान अमरनाथ एक्सप्रेस की बोगी में महिला ने दिया बच्चे को जन्म, समस्तीपुर में भर्ती फतुहा में पुनपुन नदी में नाव पलटी, दो लापता; 18 लोग तैरकर बचे नीसा देवगन बनीं ग्रेजुएट, काजोल ने चिल्लाकर कहा.. ‘कम ऑन बेबी’, वीडियो वायरल अरवल: हत्या के दो फरार आरोपियों के घर पुलिस ने चिपकाया इस्तेहार, 30 दिन में सरेंडर का आदेश बिहार में शराब तस्करी का खेल जारी: अंडे की कैरेट के बीच छिपाकर मुजफ्फरपुर ले जाई जा रही थी 3132 लीटर विदेशी शराब, ट्रक जब्त
16-Sep-2023 03:56 PM
By First Bihar
DELHI: एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर पूरे देश में चर्चा जोरों पर है। इसको लेकर पिछले दिनों पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन भी किया गया था। ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। आगामी 23 सितंबर को कमेटी की पहली बैठक होने जा रही है। खुद कमेटी के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसकी जानकारी दी है।
एक समाचार एजेंसी पर बातचीत के दौरान कमेटी के चेयरमैन और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि कमेटी की पहली बैठक 23 सितंबर 2023 को होगी। कोविंद की अध्यक्षता में गठित कमेटी एक साथ चुनाव कराने के लिए रूपरेखा तय करेगी। इस कमेटी में अध्यक्ष रामनाथ कोविंद के अलावा 7 अन्य सदस्यों में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आज़ाद, एनके सिंह, सुभाष कश्यप, हरीश साल्वे और संजय कोठारी शामिल हैं।
कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्र सरकार द्वारा आगामी 18 सितंबर को बुलाए गए संसद के विशेष सत्र में सरकार एक राष्ट्र एक चुनाव से जुड़ा प्रस्ताव ला सकती है। सरकार का स्पष्ट मानना है कि देश में अलग-अलग चुनाव होने से सरकार पर काफी बोझ पड़ता है और जनता के पैसों की बर्बादी होती है। ऐसे में अगर लोकसभा से लेकर पंचायत स्तर के चुनाव एक साथ कराए जाएं तो देश की जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा बर्बाद होने से बच जाएगा हालांकि केंद्र सरकार की इस दलील से विपक्षी दल सहमत नहीं हैं और आरोप लगाते हैं कि केंद्र सरकार अपने फायदे के लिए एक राष्ट्र एक चुनाव की बात कर रही है।