Dsp Suspend: बीपीएससी पेपर लीक कांड के आरोपी DSP को दुबारा किया गया सस्पेंड, हाल ही में हुए थे निलंबन मुक्त Bihar Crime News: गया में 6 वर्षीय बच्ची संग हैवानियत, आरोपियों की तलाश में जुटी पुलिस Bihar News: बिहार में बुनियादी ढांचे का विस्तार, बौंसी ROB के लिए वर्क ऑर्डर जारी Bihar Transport: फोटो भेजें...वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट लें ! बिहार में फिर शुरू हुआ पुराना खेल, सभी ऑटोमेटेड परीक्षण केंद्र पर उठने लगे सवाल, एक दिन में इतना सर्टिफिकेट ? Bihar News: सोन नदी में डूबने से दो किशोरों की मौत, दादी के दाह संस्कार के बाद हुआ दुखद हादसा बेतिया: निजी क्लिनिक में इलाज के दौरान मरीज की मौत, परिजनों ने किया हंगामा, डॉक्टर पर गंभीर आरोप Bihar Crime News: मोकामा में पुलिस टीम पर हमला, SI का सिर फटा; कई कर्मी घायल Success Story: कौन हैं पटना के नए IG जितेंद्र राणा? जानिए... ‘नो नॉनसेंस’ IPS की सफलता की कहानी IND vs ENG: लापरवाह फील्डरों पर बुमराह ने तोड़ी चुप्पी, 6 कैच छूटने पर युवाओं को दी खास सलाह Bihar Flood: लगातार बारिश से उफान पर बागमती नदी, कई जिलों के लिए खतरे की घंटी
18-May-2023 03:47 PM
By FIRST BIHAR
DELHI: बिहार में जातीय गणना पर हाईकोर्ट की रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गयी बिहार सरकार को करारा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने बिहार की जातीय गणना पर गंभीर सवाल उठाते हुए इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा रखा है. हाईकोर्ट ने ये भी कहा है कि वह इस मामले पर जुलाई में सुनवाई कर आगे का फैसला सुनायेगी. बिहार सरकार ने हाईकोर्ट के इसी फैसले पर रोक लगाने और जातीय गणना का काम शुरू करने की मंजूरी के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगायी है.
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को जस्टिस एएस ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने कहा कि वह इस मामले में फिलहाल कोई आदेश नहीं पारित करेगी क्योंकि पटना उच्च न्यायालय इस पर 3 जुलाई को सुनवाई करने वाला है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी कारण से उच्च न्यायालय बिहार सरकार की रिट याचिका पर सुनवाई नहीं करती है तो वह 14 जुलाई को इस पर विचार करेगी.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा "हम इस मामले में फिलहाल हस्तक्षेप नहीं कर सकते. उच्च न्यायालय 3 जुलाई को इस मामले की सुनवाई करने वाला है. उच्च न्यायालय ने अभी प्रथम दृष्टया निष्कर्ष निकाल कर अंतिरम रोक लगायी है. उसे अभी और सुनवाई करनी है. अभी हम यह नहीं कह रहे हैं कि हम हाईकोर्ट के फैसले की पुष्टि करेंगे या हम उसमें हस्तक्षेप करेंगे. हम केवल यह कह रहे हैं कि आज इस मामले में कोई फैसला सुनाना मुश्किल है. हम यह भी नहीं कह रहे हैं कि इस मामले पर आगे सुनवाई नहीं करेंगे."
बता दें कि बिहार सरकार की याचिका पर बुधवार को ही सुनवाई होनी थी. ये मामला जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजय करोल की बेंच के सामने आया तो जस्टिस करोल ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. जस्टिस करोल पिछले 6 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट का जज बनने से पहले पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे. उन्होंने ये कहते हुए खुद को इस मामले से अलग कर लिया उन्होंने जातीय जनगणना पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई की थी और वे इस मामले में पक्षकार रह चुके हैं.
सुप्रीम कोर्ट में आज बिहार सरकार की ओर से पेश हुए वरीय अधिवक्ता श्याम दीवान ने तर्क दिया कि ये जातीय गणना नहीं बल्कि सर्वेक्षण है और इसके लिए सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गयी थी. पटना उच्च न्यायालय को इस पर रोक नहीं लगानी चाहिए थी. बिहार सरकार के वकील ने कहा कि राज्य सरकार विकास के लिए सही नीति बनाने के लिए सर्वे करा रही है और सही आंकड़ा होने पर ही सही नीति बन पायेगी.
लेकिन सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि हमें ये देखना होगा कि क्या बिहार सरकार सर्वेक्षण के नाम पर जातिगत जनगणना कराने की कोशिश कर रही है. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस राजेश बिंदल ने कहा कि बहुत सारे दस्तावेज़ ऐसे हैं जो बता रहें हैं कि ये सर्वेक्षण नहीं बल्कि जनगणना है.
मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ये आदेश दिया है.
"हम निर्देश देते हैं कि इस याचिका को 14 जुलाई को सुनवाई के लिए लाया जाये. यदि किसी कारण से पटना हाईकोर्ट में रिट याचिका की सुनवाई 14 जुलाई से पहले शुरू नहीं होती है तो हम बिहार सरकार की ओर से दायर याचिका पर दलीलों को सुनेंगे।"
हालांकि सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार के वकील ने पूरी कोशिश की कि जातीय जनगणना पर लगी रोक हट जाये. बिहार सरकार के वकील श्याम दीवान ने कहा कि बिहार सरकार गणना नहीं बल्कि सर्वेक्षण करा रही है. ये स्वैच्छिक है. ये जनगणना से अलग है, जो कि अनिवार्य होता है.
बिहार सरकार के वकील ने कहा कि जनगणना और सर्वे में अंतर है. जनगणना में आपको जवाब देना होता है यदि आप नहीं करते हैं तो आप पर जुर्माना लगाया जाता है. बिहार सरकार सर्वेक्षण करा रही है इसमें अगर आप सूचना नहीं देते हैं तो आप पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जायेगा. श्याम दीवान ने कहा कि भारतीय संविधान में ऐसा प्रावधान है जिसके तहत राज्य सरकार अपने लोगों से पूछताछ और उनके डेटा को इकट्ठा कर सकती है.
कोर्ट ने जातीय गणना में निजता के अधिकार का उल्लंघन होने की भी बात कही है. बिहार सरकार के वकील श्याम दीवान ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राज्य सरकरा ने सर्वेक्षण में इकट्ठा किये गये डेटा की गोपनीयता को सुरक्षित रखने का पर्याप्त भरोसा दिलाया है. सारे आंकड़े सिर्फ बिहार सरकार के सर्वर पर स्टोर किये जायेंगे और वहां किसी दूसरे की पहुंच नहीं होगी. ये फूल प्रूफ सिस्टम है. फिर भी अगर कोर्ट इसमें कोई सलाह दे तो हम उस पर विचार करने को तैयार हैं.
लेकिन सुप्रीम कोर्ट की बेंच बिहार सरकार के वकील की दलीलों से सहमत नहीं दिखी. जस्टिस ओका ने कहा कि हाई कोर्ट इस सर्वेक्षण में कई गड़बड़ियां दिखी हैं. जिस तरह से डेटा की काउंटर-चेकिंग की जानी है उसमें उच्च न्यायालय ने कई गलतियां पाई हैं. इन सभी चीजों का परीक्षण करने की जरूरत है.
बता दें कि पटना उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि प्रथम दृष्टया ये लग रहा है कि जाति आधारित सर्वेक्षण जनगणना के समान है. जनगणना कराने के लिए राज्य सरकार के पास कोई अधिकार नहीं है. राज्य के पास जाति-आधारित सर्वेक्षण करने की कोई शक्ति नहीं है. जनगणना कराने का अधिकार केंद्र सरकार और संसद को है. हाईकोर्ट ने कहा है कि बिहार सरकार संसद के अधिकारों का अतिक्रमण नहीं कर सकती.
पटना हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की बेंच ने कहा था कि निजता का अधिकार भी एक अहम मुद्दा है जो मामले में उठता है. बिहार सरकार जातीय जनणना कासरकार राज्य विधानसभा के विभिन्न दलों, सत्तारूढ़ दल और विपक्षी दल के नेताओं के साथ डेटा साझा करने का इरादा रखती है जो कि बहुत चिंता का विषय है. पटना हाईकोर्ट ने फिलहाल अंतरिम आदेश के जरिये जातीय जनगणृना पर रोक लगायी है. इस पर अगली सुनवाई 3 जुलाई, 2023 को होनी है.
बता दें कि जातीय गणना पर रोक का आदेश हाई कोर्ट ने यूऩ फॉर इक्वैलिटी संस्था की याचिका पर दिया था. मामाल सुप्रीम कोर्ट में दायर हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को याचिका को ट्रांसफर करते हुए कहा था कि वह 3 दिनों के भीतर इस याचिका पर आदेश दे. हाईकोर्ट ने 6 दिन बाद आदेश सुनाया था. जिसमें जातीय जनगणना पर रोक लगा दी गयी थी.
बिहार सरकार ने 7 जनवरी, 2023 को जाति सर्वेक्षण शुरू किया था. इसमें पंचायत से जिला स्तर तक में मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से डिजिटल रूप से प्रत्येक परिवार का डेटा संकलित करने की योजना है. इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर हुई थी कि जनगणना का विषय भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची 1 में आता है और केवल केंद्र सरकार को जनगणना कराने का अधिकार है. याचिका में कहा गया है कि जनगणना अधिनियम 1948 के अनुसार, केवल केंद्र सरकार के पास नियम बनाने, जनगणना कर्मचारी नियुक्त करने, जनगणना करने के लिए सूचना प्राप्त करने की शक्ति जैसे अधिकार हैं. कोर्ट में दायर याचिका में ये भी कहा गया है कि भारतीय संविधान का जनगणना अधिनियम जाति आधारित गणना की मंजूरी नहीं देता. लेकिन बिहार सरकार ने संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन कर जातीय गणना कराने का फैसला लिया है।