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05-May-2023 03:05 PM
By First Bihar
PATNA : बिहार में हो रही जातीय गणना पर गुरुवार को पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। चीफ जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने आदेश दिया है कि गणना तत्काल रोकी जाए। इससे पहले हाईकोर्ट में मामले को लेकर 2 दिन सुनवाई हुई थी। इसके बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसके बाद अब हाईकोर्ट के इस स्टे को लेकर पिटीशन दायर की गयी है। जिसमें कोर्ट से यह निवेदन किया गया है कि,. इस मामले में जल्द से जल्द सुनवायी की जाए। यह पिटीशन मुख्य न्यायाधीश के बेंच में दायर किया गया है।
पटना हाईकोर्ट में दायर इस याचिका में कहा गया है कि, जाति जनगणना कराने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास हैं। राज्य सरकार जातीय गणना करवा रही है। राज्य सरकार के पास इसकी गणना करवाने की ही क्षमता है। कोर्ट के तरफ से यह माना गया है कि राज्य के लोगों की निजता के अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है। जबकि सरकार से तरफ से किसी को भी बाध्य नहीं किया गया है। कोर्ट के तरफ से यह भी कहा गया है कि इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया है। इसके अलावा, माननीय न्यायालय की यह भी राय है कि हासिल करने के लिए मांगे गए किसी भी उद्देश्य को इसमें शामिल नहीं किया गया है। यह याचिका सामान्य प्रशासन के उप सचिव रजनीश कुमार ने एफिडेविड दायर किया है।
मालूम हो कि, बिहार में दो चरणों में जातिगत गणना करायी जा रही थी पहले चरण में मकानों की गणना की गई और यूनिक नंबर दिया गया था। दूसरे चरण का कार्य 15 अप्रैल से शुरू हुआ जिसे 15 मई तक इसे पूरा कर लेना था। अब हाईकोर्ट ने गणना कार्य पर रोक लगा दी है। जिसके बाद तीन जुलाई को सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की गई है।
आपको बताते चलें कि, नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार में जातीय गणना पिछले साल ही शुरू कराने का फैसला लिया था। 9 जून 2022 को बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित गणना कराने की अधिसूचना जारी की थी। सरकार की ओर से कैबिनेट में 500 करोड़ की स्वीकृति दी गई थी। 7 जनवरी 2023 से जाति आधारित गणना की प्रक्रिया शुरू हुई थी. दूसरे चरण का कार्य 15 अप्रैल से शुरू हुआ. 15 मई तक पूरा कर लेना था।