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30-Apr-2020 06:18 PM
By DINESH KUMAR
NAWADA: देश में लॉकडाउन का दूसरा चरण चल रहा है. इस बीच बाहर फंसे प्रवासी मजदूरों की घर वापसी जारी है. सार्वजनिक परिवहन साधन नहीं होने के बावजूद कुछ लोग सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पैदल और साइकिल के जरिए तय कर बिहार में प्रवेश कर रहे हैं. रजौली में जांच चौकी पर मेडिकल टीम के द्वारा आवश्यक जानकारी लेने के बाद गंतव्य स्थानों की ओर प्रस्थान के लिए छोड़ा गया.
बिहार सरकार का नहीं मिला एक हजार रुपए
झारखंड के निरसा से आ रहे प्रवासी मजदूरों के जत्था ने बताया कि हम लोग जहां रहते थे. वहां के दुकानदार के द्वारा राशन सामग्री दी जा रही थी. इसलिए कार्य बंद होने के बाद भी टिके हुए थे. लेकिन जब वे लोग राशन देना बंद कर दिए तो हम लोगों को अपने घर जाने के अलावा कोई और ठिकाना नहीं रह गया था. क्योंकि राज सरकार के द्वारा दी जाने वाली 1000 रूपये की राशि स्किन टच वाले बड़े मोबाइल धारियों को ही दी जा रही थी. जिनके पास छोटा मोबाइल है, जिन पर नेट नहीं चलता है. उन्हें राशि प्राप्त नहीं हो पा रही थी. इसलिए पेट की आग को लेकर अपने घर की ओर प्रस्थान कर दिए. मजदूरों ने कहा कि मंगलवार को वहां से हम लोग अपने साथियों के साथ मुजफ्फरपुर जिले के जगन्नाथपुर गांव के निकले हैं.
सत्तू बना सहारा
उन लोगों ने बताया कि रास्ते में मिलने वाले होटलों से प्लास्टिक बैग पर खाना दे दिया जाता था. जिसे खाते हुए हम लोग अपने प्रवास की ओर जा रहे हैं. मजदूरों ने कहा कि कुछ पैसे हम लोगों के पास बचे हुए थे , जिनसे सत्तू खरीद लिए हैं. जिसे रास्ते में भूख लगने पर खाते हुए आगे निकलते जा रहे हैं. जांच के बारे में पूछने पर प्रवासी मजदूरों ने कहा कि रास्ते में बहुत से पुलिस प्रशासन के लोग मिले जो जांच के बाद आगे जाने के लिए छोड़ दिये हैं.