मुजफ्फरपुर में बेपटरी हुई मालगाड़ी, बाल-बाल बचा रेल कर्मी, ट्रेनों का परिचालन बाधित Bihar News: नहाने के दौरान डूबने से दो लड़कियों की मौत, दादा को खाना पहुंचाने गई थीं दोनों बच्चियां आरा में 22 जून को 'संत सम्मेलन' का आयोजन, जन जागरण सेवा कल्याण संस्थान का कार्यक्रम JDU विधायक के भांजे की हत्या का खुलासा, मुख्य आरोपी गिरफ्तार, प्रॉपर्टी के लिए छोटे भाई ने घटना को दिया था अंजाम Bihar News: काली कमाई से अकूत संपत्ति बनाने वाले अपराधियों की खैर नहीं, इस नए कानून को हथियार बनाएगी बिहार पुलिस Bihar News: काली कमाई से अकूत संपत्ति बनाने वाले अपराधियों की खैर नहीं, इस नए कानून को हथियार बनाएगी बिहार पुलिस IOCL में प्रबंधन की तानाशाही के खिलाफ आमरण अनशन, पूर्वी क्षेत्र के सभी लोकेशनों पर विरोध प्रदर्शन जारी Patna Metro: यहां बनेगा पटना मेट्रो का सबसे बड़ा अंडरग्राउंड स्टेशन, हर दिन 1.41 लाख यात्री करेंगे सफर Patna Metro: यहां बनेगा पटना मेट्रो का सबसे बड़ा अंडरग्राउंड स्टेशन, हर दिन 1.41 लाख यात्री करेंगे सफर Bihar News: गयाजी के सूर्यकुंड तालाब में सैकड़ों मछलियों की मौत, भीषण गर्मी या है कोई और वजह?
30-Apr-2020 06:18 PM
By DINESH KUMAR
NAWADA: देश में लॉकडाउन का दूसरा चरण चल रहा है. इस बीच बाहर फंसे प्रवासी मजदूरों की घर वापसी जारी है. सार्वजनिक परिवहन साधन नहीं होने के बावजूद कुछ लोग सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पैदल और साइकिल के जरिए तय कर बिहार में प्रवेश कर रहे हैं. रजौली में जांच चौकी पर मेडिकल टीम के द्वारा आवश्यक जानकारी लेने के बाद गंतव्य स्थानों की ओर प्रस्थान के लिए छोड़ा गया.
बिहार सरकार का नहीं मिला एक हजार रुपए
झारखंड के निरसा से आ रहे प्रवासी मजदूरों के जत्था ने बताया कि हम लोग जहां रहते थे. वहां के दुकानदार के द्वारा राशन सामग्री दी जा रही थी. इसलिए कार्य बंद होने के बाद भी टिके हुए थे. लेकिन जब वे लोग राशन देना बंद कर दिए तो हम लोगों को अपने घर जाने के अलावा कोई और ठिकाना नहीं रह गया था. क्योंकि राज सरकार के द्वारा दी जाने वाली 1000 रूपये की राशि स्किन टच वाले बड़े मोबाइल धारियों को ही दी जा रही थी. जिनके पास छोटा मोबाइल है, जिन पर नेट नहीं चलता है. उन्हें राशि प्राप्त नहीं हो पा रही थी. इसलिए पेट की आग को लेकर अपने घर की ओर प्रस्थान कर दिए. मजदूरों ने कहा कि मंगलवार को वहां से हम लोग अपने साथियों के साथ मुजफ्फरपुर जिले के जगन्नाथपुर गांव के निकले हैं.
सत्तू बना सहारा
उन लोगों ने बताया कि रास्ते में मिलने वाले होटलों से प्लास्टिक बैग पर खाना दे दिया जाता था. जिसे खाते हुए हम लोग अपने प्रवास की ओर जा रहे हैं. मजदूरों ने कहा कि कुछ पैसे हम लोगों के पास बचे हुए थे , जिनसे सत्तू खरीद लिए हैं. जिसे रास्ते में भूख लगने पर खाते हुए आगे निकलते जा रहे हैं. जांच के बारे में पूछने पर प्रवासी मजदूरों ने कहा कि रास्ते में बहुत से पुलिस प्रशासन के लोग मिले जो जांच के बाद आगे जाने के लिए छोड़ दिये हैं.