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ब्लैक फंगस से भी ज्यादा खतरनाक है व्हाइट फंगस, पटना में चार नए मरीज मिले, जानें क्या हैं लक्षण और बचाव के उपाय

ब्लैक फंगस से भी ज्यादा खतरनाक है व्हाइट फंगस, पटना में चार नए मरीज मिले, जानें क्या हैं लक्षण और बचाव के उपाय

20-May-2021 08:18 AM

PATNA : राजधानी पटना में पहले कोरोना उसके बाद ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) ने तो आतंक मचा ही रखा था और अब व्हाइट फंगस नाम की इस बीमारी से अफरा तफरी मच गई है. व्हाइट फंगस को कैंडिडोसिस भी कहा जाता है. पटना में इस बिमारी के चार मरीज पिछले कुछ दिनों में मिले. इस नई बीमारी की दस्तक के बाद से ही पटना में अफरा तफरी मची हुई है. 


बता दें कि व्हाइट फंगस (कैंडिडोसिस) फेफड़ों के संक्रमण का मुख्य कारण है. फेफड़ों के अलावा, स्किन, नाखून, मुंह के अंदरूनी भाग, आमाशय और आंत, किडनी, गुप्तांग और ब्रेन आदि को भी संक्रमित करता है. पीएमसीएच में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के हेड डॉ. एसएन सिंह के अनुसार अब तक ऐसे चार मरीज मिले जिनमें कोरोना जैसे लक्षण थे. पर वह कोरोना नहीं बल्कि व्हाइट फंगस से संक्रमित थे.


मरीजों में कोरोना के तीनों टेस्ट रैपिड एंटीजन, रैपिड एंटीबॉडी और आरटी-पीसीआर निगेटिव थे. जांच होने पर सिर्फ एंटी फंगल दवाओं से ठीक हो गए. इसमें पटना के चर्चित सर्जन भी है जिन्हें एक बड़े प्राइवेट अस्पताल में कोरोना वार्ड में भर्ती कराया गया था. जांच से पता चला कि वे व्हाइट फंगस से पीड़ित हैं. एंटी फंगल दवाओं के बाद उनका ऑक्सीजन लेवल 95 पहुंच गया. 


डॉक्टरों का कहना है कि व्हाइट फंगस द्वारा फेफड़ों के संक्रमण के लक्षण एचआरसीटी में कोरोना के लक्षणों जैसे ही दिखते हैं जिसमें अंतर करना मुश्किल हो जाता है. इसलिए वैसे मरीजों में रैपिड एंटीजन और आरटी-पीसीआर निगेटिव है. एचआरसीटी में कोरोना जैसे लक्षण उनमें रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट और फंगस के लिए बलगम का कल्चर कराना चाहिए. कोरोना मरीज जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं उनमें यह फेफड़ों को संक्रमित कर सकता है.


व्हाइट फंगस के भी वहीं कारण हैं जो ब्लैक फंगस के हैं जैसे प्रतिरोधक क्षमता की कमी. डायबिटीज, एंटीबायोटिक का सेवन या फिर स्टेरॉयड का लंबा सेवन. कैंसर के मरीज जो दवा पर हैं. डॉक्टरों के अनुसार, ऐसी स्थिति में वैसे मरीज जो ऑक्सीजन या वेंटिलेटर पर हैं उन्हें ऑक्सीजन या वेंटिलेटर उपकरण विशेषकर ट्यूब आदि जीवाणु मुक्त होने चाहिए. ऑक्सीजन सिलेंडर ह्यूमिडिफायर में स्ट्रेलाइज वाटर का प्रयोग करना चाहिए. जो ऑक्सीजन मरीज के फेफड़े में जाए वह फंगस से मुक्त हो. वैसे मरीजों का रैपिड एंटीजन और आरटी-पीसीआर निगेटिव हो और जिनके एचआरसीटी में कोरोना जैसे लक्षण हो, उनका रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट करानी चाहिए. साथ ही बलगम का फंगस कल्चर का जांच भी कराना चाहिए.