ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar News: कोर्ट से कैदी भगाने की साजिश नाकाम, 3 पिस्टल और 20 कारतूस के साथ 4 बदमाश गिरफ्तार Bihar Crime News: होटल संचालक के पिता की गोली मारकर हत्या, चोरों का विरोध करना पड़ा भारी Bihar News: जमुई में निजी स्कूल वाहन चालक की लापरवाही, बारिश में छोटे बच्चों से लगवाया वाहन को धक्का Bihar Rain Alert: बिहार के इन जिलों में आज भारी बारिश की चेतावनी, ऑरेंज अलर्ट जारी Patna Airport: पटना एयरपोर्ट पर टला बड़ा हादसा, बाल-बाल बची 173 यात्रियों की जान Patna News: पटना इनकम टैक्स ऑफिस में CBI की रेड, हिरासत में लिए गए इंस्पेक्टर और MTS कर्मी जहानाबाद में “बिहार बदलने” की पुकार, आभा रानी के नेतृत्व में नुक्कड़ नाटक से उठी तेजस्वी सरकार की मांग बिहार में कानून व्यवस्था चरमराई, सुरेंद्र केवट हत्याकांड पर बोले मुकेश सहनी..सरकार का इकबाल खत्म BIHAR: बड़हरा के करजा बरजा में क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन, अजय सिंह ने विजेताओं को पुरस्कार से किया सम्मानित बिहार लघु उद्यमी योजना के तहत 20 हजार लाभुकों को मिली पहली किस्त, 100 करोड़ से अधिक की राशि वितरित

बारा नरसंहार के मुख्य आरोपी को उम्र कैद की सजा: लालू राज में 35 लोगों की गला रेत कर हत्या कर दी गयी थी, पीड़ितो को आज भी सरकारी वादे पूरा होने का इंतजार

बारा नरसंहार के मुख्य आरोपी को उम्र कैद की सजा: लालू राज में 35 लोगों की गला रेत कर हत्या कर दी गयी थी, पीड़ितो को आज भी सरकारी वादे पूरा होने का इंतजार

02-Mar-2023 05:32 PM

By First Bihar

GAYA: गया के बहुचर्चित बारा नरसंहार के मुख्य आरोपी किरानी यादव को आज कोर्ट ने सजा सुनायी. गया के जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की अदालत ने किरानी यादव को उम्र कैद की सजा के साथ साथ पांच लाख का जुर्माना भरने का आदेश दिया. कोर्ट ने वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिये सुनवाई के दौरान किरानी यादव को सजा सुनायी. किरानी फिलहाल गया सेंट्रल जेल में बंद है. 


किरानी यादव को कठोर सजा देने की वकालत करते हुए विशेष अभियोजक प्रमोद कुमार ने कोर्ट से कहा कि प्रतिबंधित नक्सली संगठन एमसीसी से जुड़े कुख्यात आरोपी किरानी यादव ने अपने गुर्गों के साथ गया जिले के बारा गांव में  एक ही जाति के 35 लोगों को गला रेत कर मार डाला था. इनमें से 12 लोगों की हत्या तो किरानी यादव ने अपने हाथों से की थी. किरानी यादव 2007 से ही गया केंद्रीय जेल में बंद है. 


31 साल पहले हुई थी घटना

पूरे देश को दहला देने वाला बारा नरसंहार 31 साल पहले 12 फरवरी 1992 को अंजाम दिया गया था.  गया जिले के टिकारी प्रखंड के बारा गांव में नक्सली संगठन MCC के हत्यारों ने धावा बोला था. हत्यारों ने एक खास जाति के लोगों को चुन चुन कर अलग किया और फिर बारी बारी से उनका गला रेत दिया था. गांव के एक ही जाति के 35 लोगों की गला रेतकर हत्याब कर दी गयी थी. वाकये के 31 साल बाद भी बारा गांव के जख्म  भरे नहीं हैं. पीड़ित परिवारों के जेहन में भय और दर्द आज भी भरा है.गांव के लोग अब भी उस घटना को याद कर सिहर जाते हैं. 


लालू यादव की सरकार ने वादा तक पूरा नहीं किया

घटना के बाद पूरे देश में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ गुस्सा भड़का था. इसके बाद खुद लालू यादव ने मृतकों के आश्रितों को सरकारी नौकरी देने की घोषणा कर उनके जख्म पर मरहम लगाने का एलान किया था. लेकिन आज तक 11 पीड़ित परिवारों को सरकारी नौकरी नहीं मिली. बारा नरसंहार में मारे गये उसी गांव के हरिद्वार सिंह, भुषाल सिंह, सदन सिंह, भुनेष्वर सिंह, संजय सिहं, शिवजनम सिंह, गोरा सिंह, बली शर्मा, आशु सिंह और भोजपुर के अकबारी गांव के श्रीराम सिंह एवं परैया राजाहरी गांव के प्रमोद सिंह के आश्रितों को अब भी नौकरी मिलने का इंतजार है. सरकार के झूठे वादे के शिकार बने पीडितों को  अब भी उम्मीद की है  कि शायद हुक्मरानों को तरस आए और वादा पूरा हो. 


हर वादा भूल गयी सरकार 

बारा नरसंहार की के बाद तत्काेलीन मुख्यमंत्री  लालू प्रसाद यादव ने न सिर्फ नौकरी का एलान किया था बल्कि गांव को पक्की सड़क से जोड़ने, स्थायी पुलिस चौकी बनाने, स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण करने के साथ साथ बिजली, सिंचाई, पेयजल आदि सुविधाएं मुहैया कराने की घोषणा की थी.  ये घोषणाएं 31 साल में पूरी नहीं हो सकीं. बारा में सड़क बनी लेकिन वह अधूरी है. पुलिस चौकी के लिए ग्रामीण श्लो3क सिंह ने अपनी जमीन दान में दे दी, लेकिन चौकी नहीं बनी. स्वास्थ्य उपकेंद्र चालू करने की औपचारिकता निभायी गयी लेकिन उसके लिए किसी डॉक्टर-कर्मचारी का पद ही सृजित नहीं किया गया. 


गांव के लोग कहते हैं नरसंहार ने जो दर्द दिया था उससे कम दर्द सरकार ने झूठे वादे करके नहीं दिया. पूर्व सरपंच मदन सिंह ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद आश्रितों को नौकरी नहीं दिया जाना, नरसंहार में मिली पीड़ा से कम नहीं है. मदन सिह ने बताया कि नौकरी के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री और  भाजपा नेता डॉ. सीपी ठाकुर ने सरकार को पत्र भी लिखा था लेकिन उसका कोई नोटिस नहीं लिया गया.