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21-Oct-2025 04:21 PM
By First Bihar
Indian Railways : भारतीय रेलवे ने यात्रियों के सफर को और अधिक आरामदायक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए एसी कोचों में एक बड़ा बदलाव करने का निर्णय लिया है। अब यात्रियों को सफेद, साधारण चादरों की जगह रंग-बिरंगी और पारंपरिक राजस्थानी सांगानेरी प्रिंट वाली चादरें मिलेंगी। इस बदलाव का उद्देश्य न केवल कोचों को अधिक आकर्षक बनाना है, बल्कि यात्रियों की सफाई और सुविधा संबंधी शिकायतों को भी दूर करना है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जयपुर में इसका अनावरण किया और इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जयपुर-असरवा सुपरफास्ट एक्सप्रेस में शुरू किया गया है।
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय रेलवे ने कई सुधार और नवाचार किए हैं। वंदे भारत ट्रेन जैसी तेज रफ्तार ट्रेनों और आधुनिक सुविधाओं वाले कोचों ने यात्रियों को बेहतर अनुभव प्रदान किया है। अब रेलवे ने एसी कोच में सफेद चादरों के परंपरागत उपयोग को बदलने की योजना बनाई है। सफेद चादरों में अक्सर यात्रियों की शिकायत रहती थी कि ये जल्दी गंदे हो जाते हैं और बार-बार धोने की जरूरत पड़ती है। इसके समाधान के लिए अब राजस्थानी सांगानेरी प्रिंट वाली रंगीन चादरें और कंबल उपयोग में लाए जाएंगे।
सांगानेरी प्रिंट अपने टिकाऊपन और धोने में आसान होने के लिए प्रसिद्ध है। राजस्थान के सांगानेर में स्थित ब्लॉक प्रिंटिंग प्लांट में यह प्रिंट तैयार किया जाता है। इस प्रिंट में फूल, पत्तियां और बारीक रेखाओं जैसी खूबसूरत आकृतियों को हाथों से उकेरा जाता है, जो कपड़ों को आकर्षक बनाती हैं। इसका उपयोग एसी कोच में करने से न केवल कोचों का लुक आधुनिक और रंगीन लगेगा, बल्कि यह लंबे समय तक टिकाऊ भी रहेगा।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह पायलट प्रोजेक्ट अगर सफल होता है, तो इसे अन्य ट्रेनों के कोचों में भी लागू किया जाएगा। इस बदलाव से यात्रियों को मिलने वाले चादर और कंबल अधिक साफ-सुथरे और आरामदायक होंगे। साफ-सुथरे और सुंदर कंबल यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाएंगे और सफर को अधिक सुखद और यादगार बनाएंगे।
सांगानेरी प्रिंट का महत्व केवल सौंदर्य और टिकाऊपन तक ही सीमित नहीं है। यह राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत को भी दर्शाता है। इस प्रिंट के माध्यम से भारतीय रेलवे अपने यात्रियों को एक स्थानीय और पारंपरिक कला से परिचित करवा रही है। यात्रियों को अब सफर के दौरान न केवल आराम मिलेगा, बल्कि वे राजस्थान की कला और संस्कृति का आनंद भी उठा सकेंगे।
इस पहल से भारतीय रेलवे की छवि भी और अधिक आधुनिक, सांस्कृतिक और यात्रियों के अनुकूल बनती है। सफर के दौरान मिलने वाली रंग-बिरंगी चादरें यात्रियों के मन को प्रसन्न करेंगी और सफर को रोचक बनाने में मदद करेंगी। इसके अलावा, सांगानेरी प्रिंट की बनावट और इसकी लंबी उम्र इसे सफाई और मेंटेनेंस के लिहाज से भी उपयुक्त बनाती है।
जयपुर-असरवा सुपरफास्ट एक्सप्रेस में पायलट प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद यात्रियों की प्रतिक्रिया पर आधारित समीक्षा की जाएगी। यदि यात्रियों की प्रतिक्रियाएँ सकारात्मक रही तो रेलवे इस पहल को अन्य एसी ट्रेनों में भी लागू करेगा। इस बदलाव से रेलवे की छवि यात्रियों के नजरिए में और मजबूत होगी, और सफर का अनुभव और भी यादगार बनेगा।
यह पहल भारतीय रेलवे की आधुनिक सोच, यात्रियों की सुविधा और सांस्कृतिक संवेदनाओं का सुंदर मिश्रण है। सफेद चादरों को अलविदा कहकर रंग-बिरंगी सांगानेरी प्रिंट वाली चादरों का आगमन न केवल यात्रा को आरामदायक बनाएगा, बल्कि यात्रियों को भारतीय कला और संस्कृति से जोड़ने का एक अनोखा प्रयास भी है। भारतीय रेलवे की यह पहल यात्रियों के अनुभव को और भी यादगार और खास बनाएगी।