vigilance bureau bihar : 5,000 रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार हुआ ASI, निगरानी ब्यूरो की बड़ी कार्रवाई Oscar Shortlist Homebound: ऑस्कर 2026 के लिए शॉर्टलिस्ट हुआ 'होमबाउंड', करण जौहर के लिए गर्व का पल Bihar IPL Cricketers: बिहार के क्रिकेटरों की धाक! IPL में ईशान किशन से लेकर वैभव सूर्यवंशी तक; यहां देखें पूरी लिस्ट IIMC Vacancy: भारतीय जन संचार संस्थान में नौकरी पाने का मिल रहा सुनहरा अवसर, योग्य अभ्यर्थी समय रहते करें आवेदन.. नितिन नबीन को राष्ट्रीय फलक पर लाना बिहार की युवा पीढ़ी का सम्मान: सम्राट चौधरी Bihar News: बिहार के इस ग्रीनफील्ड फोरलेन का काम समाप्ति की ओर, जमीन की कीमतों में भारी बढ़ोतरी से स्थानीय लोग उत्साहित Education Department : पति-पत्नी को एक साथ मिला जिला शिक्षा पदाधिकारी का नोटिस, जानिए क्या रही वजह Bihar Bhumi: बिहार के सभी ADM-DCLR और CO को पटना बुलाया गया, भू स्वामियों की सहूलियत को लेकर डिप्टी CM विजय सिन्हा की बड़ी पहल Dhurandhar OTT Release: थिएटर के बाद ओटीटी पर रिलीज के लिए तैयार है ‘धुरंधर’, जान लें डेट BIHAR SCHOOL NEWS : बिहार की शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव, सरकारी स्कूलों की कमान अब कॉम्प्लेक्स रिसोर्स सेंटर के हाथ; जानिए क्या होगा फायदा
09-Jun-2025 07:35 AM
By First Bihar
Virsa Munda : आज महान जननायक और धरती आबा बिरसा मुंडा की 125वीं पुण्यतिथि है, वह ऐसे जननायक थे जिन्होंने आदिवासियों को अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना सिखाया।इसलिए उन्हें आदिवासी समाज के लोग भगवान मानने लगें ,हालाँकि इतिहास की सबसे दर्दनाक सच्चाई यह भी है कि उन्हें अपने ही लोगों के विश्वासघात का शिकार होना पड़ा। मात्र 500 रुपये के इनाम के लालच में सात गद्दारों ने उन्हें पकड़कर अंग्रेजों के हवाले कर दिया था।
कैसे हुआ बिरसा मुंडा का विश्वासघात?
ब्रिटिश हुकूमत ने बिरसा मुंडा की गिरफ्तारी के लिए हर संभव तरीका अपनाया।ऐसा माना जाता है कि पश्चिमी सिंहभूम के बंदगांव के सेंतरा जंगल में बिरसा छिपे हुए थे, लेकिन मानमारू और जरीकेल गांव के सात लोगों ने लालच में आकर उनकी तलाश शुरू की। तीन फरवरी 1900 को इन सातों ने देखा कि सेंतरा जंगल के भीतर किसी जगह से धुआं उठ रहा है। वे छिपते हुए उस ओर बढ़े और देखा कि बिरसा दो तलवारों के साथ बैठे हैं और खाना पक रहा है। जैसे ही बिरसा ने खाना खाकर विश्राम किया, इन सातों ने उन्हें दबोच लिया और डिप्टी कमिश्नर के कैंप में ले जाकर सौंप दिया। इसके बदले में उन्हें 500 रुपये का इनाम मिला।
अंग्रेजों की साजिश और मुण्डा सरदारों का दबाव
बिरसा मुंडा के प्रभाव को कुचलने के लिए अंग्रेजी शासन ने बड़े पैमाने पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था। कई मुंडा सरदारों की संपत्तियां जब्त कर ली गईं। इस दबाव में आकर 28 जनवरी 1900 को दो प्रमुख मुंडा सरदार—डोंका और मझिया—ने आत्मसमर्पण कर दिया। साथ ही, 32 अन्य विद्रोहियों ने भी हथियार डाल दिए थे|
बिरसा की गिरफ्तारी के बाद का घटनाक्रम
बिरसा की गिरफ्तारी के बाद अंग्रेजों को यह डर सताने लगा कि उनके अनुयायी उन्हें छुड़ाने के लिए हमला बोल सकते हैं। इसलिए उन्हें खूंटी होते हुए रांची जेल भेज दिया गया।इतिहास में दर्ज है कि खूंटी के 33 और तमाड़ के 17 मुंडा समुदाय के लोगों को बिरसा के समर्थकों को पकड़वाने के बदले में इनाम दिया गया था। सिंगराई मुंडा नामक एक व्यक्ति को तो डोंका मुंडा सहित कई लोगों को गिरफ्तार कराने के लिए 100 रुपये का नकद पुरस्कार भी दिया गया था।
बिरसा का अंतिम संदेश
अपनी गिरफ्तारी के बाद बिरसा को यह आभास हो गया था कि अब उनका जीवन ज्यादा दिन का नहीं है। उन्होंने अपने अनुयायियों को यह प्रेरणादायक संदेश दिया "जब तक मैं अपनी मिट्टी का यह तन बदल नहीं देता, तुम सब लोग नहीं बच पाओगे। निराश मत होना। यह मत सोचना कि मैंने तुम लोगों को मझधार में छोड़ दिया। मैंने तुम्हें सभी हथियार और औजार दे दिए हैं, तुम लोग उनसे अपनी रक्षा कर सकते हो।"
विरासत जो आज भी जीवित है
बिरसा मुंडा का बलिदान आज भी करोड़ों लोगों के दिलों में जीवित है। उन्होंने न सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया, बल्कि आदिवासी समाज को संगठित कर आत्मसम्मान और हक की लड़ाई लड़ने का साहस दिया। उनकी शहादत भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक अमिट अध्याय है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता लिहाजा वो आज भी अमर हैं |