ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar Crime News: बिहार में वार्ड पार्षद की शर्मनाक करतूत, मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के नाम पर लड़की के साथ किया गंदा काम BIHAR NEWS : 15 सितंबर तक सड़क और पुल निर्माण शुरू करें ठेकेदार, वरना होगी सख्त कार्रवाई Bihar Politics: राहुल-तेजस्वी पर गिरिराज सिंह का जोरदार हमला, ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’ पर खूब बरसे बिहार में शराबबंदी लागू करने में पुलिस नाकाम, खुद शराब की दुकानें बंद करवाने का ग्रामीणों ने उठाया बीड़ा Bihar Police Transfer: बिहार के इस जिले में 19 पुलिस अधिकारियों का तबादला, 4 नए थानाध्यक्षों की तैनाती Bihar Police Transfer: बिहार के इस जिले में 19 पुलिस अधिकारियों का तबादला, 4 नए थानाध्यक्षों की तैनाती SSC EXAM : नॉर्मलाइजेशन के तरीके में हुआ बड़ा बदलाव, शिफ्ट बदलने पर भी नहीं होगा मार्क्स में अंतर BPSC Prelims 2025: 13 सितंबर को होगी BPSC 71वीं PT परीक्षा, आयोग ने जारी किया नोटिस; सेंटर जाने से पहले पढ़ लें यह खबर CP Radhakrishnan: सीपी राधाकृष्णन ने राज्यपाल पद से दिया इस्तीफा, इन्हें मिली महाराष्ट्र के गवर्नर की जिम्मेवारी CP Radhakrishnan: सीपी राधाकृष्णन ने राज्यपाल पद से दिया इस्तीफा, इन्हें मिली महाराष्ट्र के गवर्नर की जिम्मेवारी

Riot रोकने में शराबबंदी कानून और डायल-112 कारगर साबित, राज्य में लगातार कम हो रहे सांप्रदायिक दंगे

बिहार में सांप्रदायिक दंगे लगातार कम होती जा रही है। पिछले 20 साल में इसमें 3 गुणा कमी आई है। 2004 में 9199 दंगे हुए थे, जो 2024 में घटकर 3 186 हो गई। 2016 में बने पूर्ण शराबबंदी कानून और 2021 में शुरू किये गये डायल 112 के बाद लगातार कमी आई है।

BIHAR POLICE

07-Apr-2025 07:34 PM

By First Bihar

PATNA: बिहार में 9 साल से पूर्ण शराबबंदी कानून लागू है। इस कानून का फायदा देखने को भी मिल रहा है। शराबबंदी कानून और डायल-112 साम्प्रदायिक दंगे रोकने में कारगर साबित हुई है। लगातार राज्य में दंगों की संख्या कम हुई है। 2004 में 9199 दंगे के मामले सामने आए थे, 2024 में घटकर इनकी संख्या 3186 हो गई। पिछले 20 वर्षों में दंगों की संख्या तीन गुणा घट गई। 2025 में 205 घटनाएं दर्ज हुई थी। 2016 में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद इनकी संख्या घटकर 11 हजार, 617 हो गयी। 2021 में डायल-112 आने के बाद इसकी संख्या में लगातार कमी आई है। 


राज्य में सांप्रदायिक दंगों की वारदातें लगातार कम होती जा रही है। पिछले 20 वर्षों में इसमें तीन गुणा की कमी दर्ज की गई है। 2004 में राज्यभर में 9 हजार, 199 दंगे हुए थे, जिनकी संख्या 2024 में घटकर 3 हजार, 186 रह गई। इसके दो प्रमुख कारण हैं, पहला वर्ष 2016 में लागू हुई पूर्ण शराबबंदी कानून और दूसरा, 2021 में शुरू हुई डायल-112 प्रणाली। पुलिस मुख्यालय से प्राप्त दंगा से संबंधित आंकड़ों के मुताबिक, 2001 में 8 हजार, 520 दंगे हुए थे। 2004 में इनकी संख्या बढ़कर 9 हजार, 199 हो गई। इसके बाद 2015 में इन घटनाओं की संख्या में थोड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 13 हजार 311 हो गई। परंतु 2016 में शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद इसमें तेजी से कमी आई। यह संख्या घटकर 11 हजार 617 तक पहुंच गई। 


इसके बाद 2021 में पुलिस महकमा ने आपातकालीन सेवा के लिए डॉयल-112 की शुरुआत की। इसके शुरू होने के बाद इन घटनाओं में तेजी से कमी दर्ज की गई और यह 2021 में घटकर 6 हजार 298 तक पहुंच गई। 2024 में यह घटकर आधी के करीब पहुंच गई और यह 3 हजार 186 तक आ गई। इस तरह पिछले 20 वर्षों में दंगों के वारदातों की संख्या में तीन गुणा की कमी आई है। 2005 में तो महज 205 मामले ही दर्ज किए गए हैं। 


इस तरह डॉयल-112 का पड़ा सकारात्मक असर  

किसी आपात स्थिति या घटना में डॉयल-112 पर कॉल करने के 15 से 20 मिनट के अंदर पुलिस घटना स्थल पर पहुंच जाती है। दंगा से जुड़ी घटनाओं या किसी झड़प के दौरान डॉयल-112 पर फोन आते ही पुलिस सक्रियता दिखाते हुए संबंधित स्थल पर पहुंच कर इसे नियंत्रित कर लेती है। कुछ एक मामलों में किसी स्थान पर पुलिस की संख्या उपद्रिवयों की तुलना में कम होने की स्थिति में झड़प की स्थिति पैदा हो जाती है। परंतु ऐसी स्थिति में भी झड़प को नियंत्रित करते हुए लोगों को घायल होने से बचाने में कामयाब रहती है। इसी वजह से 2020 में दंगा की 9 हजार, 419 घटनाएं हुई थी, जो 2021 में घटकर 6 हजार, 298 हो गई। एक वर्ष में ही 3 हजार से अधिक की कमी दर्ज की गई।


बिहार के डीजीपी विनय कुमार ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि शराबबंदी कानून और डॉयल-112 दंगा की घटनाओं को कम करने में बेहद कारगर साबित हुए हैं। दंगा की घटनाओं में लगातार कमी दर्ज की जा रही है। ऐसी किसी घटना की सख्त मॉनीटरिंग की जाती है। सभी दोषियों की तुरंत गिरफ्तारी करके सजा दिलाने की प्रक्रिया त्वरित गति से की जाती है। इन घटनाओं पर कारगर कार्रवाई करने के लिए मुख्यालय के स्तर से सतत मॉनीटरिंग की जाती है।