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                            31-Oct-2025 10:25 AM
By First Bihar
Success Story: कहते हैं मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती। अगर इंसान में हिम्मत और लगन हो, तो असफलताएँ भी सफलता की सीढ़ी बन जाती हैं। यही बात सच साबित की है महाराष्ट्र के छोटे से गांव के रहने वाले उमेश गणपत खंडबहाले ने। कभी 12वीं कक्षा की अंग्रेजी परीक्षा में फेल होने वाले उमेश आज भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारी हैं और पश्चिम बंगाल में पुलिस अधीक्षक (SP) के रूप में कार्यरत हैं।
उमेश की कहानी किसी प्रेरक फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं है। स्कूल के दिनों में वह पढ़ाई में बहुत अच्छे नहीं थे। 12वीं कक्षा की अंग्रेजी परीक्षा में उन्हें केवल 21 अंक मिले और वे फेल हो गए। इस असफलता ने उनके आत्मविश्वास को झटका दिया। परिवार की आर्थिक स्थिति भी चुनौतीपूर्ण थी, इसलिए पढ़ाई छोड़कर उन्होंने अपने पिता के साथ काम करना शुरू किया।
गांव से नासिक तक रोजाना दूध बेचने जाते हुए उन्होंने घर का खर्च चलाने में मदद की। इसके अलावा, उन्होंने खेतों में काम किया, सामान ढोया और कभी-कभी मजदूरी भी की। आर्थिक कठिनाइयों और जीवन की चुनौतियों ने उमेश को तोड़ा नहीं, बल्कि मजबूत बनाया। उन्होंने ठान लिया कि जीवन में कुछ भी असंभव नहीं।
उमेश ने ओपन स्कूल से 12वीं की परीक्षा दोबारा दी और इस बार अच्छे अंक हासिल किए। इसके बाद उन्होंने साइंस में ग्रेजुएशन की पढ़ाई शुरू की। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने अनुशासन और मेहनत के मार्ग पर खुद को ढाला। उनका लक्ष्य स्पष्ट था—UPSC परीक्षा पास कर IPS अधिकारी बनना।
आईपीएस बनने का सपना आसान नहीं था। सीमित संसाधनों में रहकर तैयारी करना, कोचिंग की सुविधा न होना और शहर के वातावरण से दूर रहकर पढ़ाई करना बड़ी चुनौती थी। लेकिन उमेश के पास था दृढ़ संकल्प, मेहनत का जज्बा और सीखने की लगन। उन्होंने रोज़ाना कई घंटे पढ़ाई की, नोट्स बनाए, किताबें पढ़ीं और हर गलती से सीख लिया।
उनकी मेहनत सफल हुई और उन्होंने UPSC परीक्षा पास कर 704वीं रैंक हासिल की। वही व्यक्ति जिसे कभी “12वीं फेल” कहकर लोग ताना मारते थे, आज देश की सेवा कर रहा है। वर्तमान में वे पश्चिम बंगाल में पुलिस अधीक्षक के रूप में जिम्मेदारियां निभा रहे हैं और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।
उमेश की कहानी यह साबित करती है कि कड़ी मेहनत, धैर्य और आत्मविश्वास से कोई भी व्यक्ति अपनी परिस्थितियों को बदल सकता है। उन्होंने अपने जीवन में यह संदेश भी दिया है कि असफलता अंत नहीं है, बल्कि सफलता की तैयारी है। आज उमेश युवा छात्रों और ग्रामीण विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। वे समय-समय पर छात्रों को मार्गदर्शन और मोटिवेशन देते रहते हैं, ताकि युवा अपने सपनों को सच कर सकें। इस कहानी से साफ है कि जीवन में कठिनाइयाँ और असफलताएँ इंसान को रोक नहीं सकतीं; अगर संकल्प मजबूत हो, तो हर चुनौती सफलता की सीढ़ी बन जाती है।