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19-Jun-2025 03:36 PM
By First Bihar
Success Story: "जब एक मां सपने देखती है, तो वह सिर्फ अपने लिए नहीं, अपने बच्चे के बेहतर कल के लिए देखती है। जब वह उन सपनों को पूरा करने निकलती है, तो उसकी हर थकान, हर त्याग, हर अधूरी नींद में भी एक पूरी उम्मीद होती है।" कुछ कहानियाँ सिर्फ सफलताओं की नहीं होतीं, वे हौसले, आत्मबल और अटूट जज़्बे की मिसाल बन जाती हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है हरियाणा के रेवाड़ी ज़िले के छोटे से गांव खुर्सपुरा की रहने वाली पुष्पलता यादव की। जिन्होंने न केवल मां बनने की जिम्मेदारी निभाई, बल्कि UPSC जैसी देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में ऑल इंडिया रैंक 80 हासिल कर यह साबित कर दिया कि मां बनना कभी भी रुकावट नहीं, बल्कि एक ताकत होती है।
पुष्पलता यादव की प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से हुई। सीमित संसाधनों और परंपरागत सोच के माहौल में पढ़ाई करना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने साइंस में ग्रेजुएशन किया और फिर MBA की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी करने के बाद एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी भी शुरू की, पर उनके भीतर कुछ बड़ा करने की चाह थी।
जॉब के साथ-साथ उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी जारी रखी। पहले उन्होंने बैंक परीक्षाएं दीं और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद में असिस्टेंट मैनेजर के रूप में चयनित हुईं। लेकिन उनका मन अब भी असंतुष्ट था। उन्होंने तय किया कि अब वह UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) की परीक्षा में बैठेंगी, जो भारत की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा मानी जाती है।
शादी के बाद जब वह मां बनीं, तब उनके सामने एक दो साल के बच्चे की परवरिश, घर-परिवार की जिम्मेदारी और समाज की अपेक्षाएं थीं। लेकिन उन्होंने अपने सपनों से समझौता नहीं किया। सुबह 4 बजे उठकर पढ़ाई करना, बच्चे को संभालना, घर का काम निपटाना और फिर किताबों में डूब जाना यही उनकी दिनचर्या बन गई। उन्होंने न कोई कोचिंग ली, न कोई बड़ा गाइड मिला, बस आत्मविश्वास और परिवार का सहयोग ही उनका सहारा था।
पहले दो प्रयासों में उन्हें असफलता मिली। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी गलतियों से सीखा, रणनीति बदली और तीसरे प्रयास में, साल 2017 में, उन्होंने UPSC परीक्षा पास कर ली। ऑल इंडिया रैंक 80 हासिल कर वह देशभर में चर्चा का विषय बन गईं।
पुष्पलता यादव IAS अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं, और उन्होंने यह साबित किया है कि सफलता का रास्ता जज़्बे और दृढ़ निश्चय से होकर जाता है। आज वह न केवल एक अधिकारी हैं, बल्कि लाखों लड़कियों, महिलाओं और माताओं के लिए एक रोल मॉडल बन चुकी हैं।
सीख जो हर किसी के काम आए पुष्पलता की कहानी हमें यह सिखाती है कि मां बनने का मतलब अपने सपनों को छोड़ना नहीं है। कठिनाइयाँ सिर्फ रास्ते की बाधा हैं, मंज़िल नहीं। समय की कमी को अनुशासन से जीता जा सकता है। आत्मविश्वास और परिवार का साथ किसी भी कोचिंग से बड़ा सहारा हो सकता है। सपने देखने की कोई उम्र नहीं होती, और मां बनने के बाद भी सपनों को जीना मुमकिन है। आईएएस पुष्पलता यादव की कहानी हर उस महिला को समर्पित है, जो अपनी पहचान को motherhood के बाद भी बनाए रखना चाहती है।