ब्रेकिंग न्यूज़

मैं फिर से जी गया: बेटे को मंत्री बनाने को लेकर उठे सवाल पर बोले कुशवाहा, दीपक उम्मीदों पर खरा उतरेगा Bihar ministers department : नीतीश कैबिनेट के मंत्रियों को अलॉट हुआ विभाग, जानिए किन्हें कौन सा डिपार्टमेंट? अचानक राजभवन पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मंत्रियों के विभागों की लिस्ट राज्यपाल को सौंपा Bihar ministers department : नीतीश कैबिनेट के मंत्रियों को अलॉट हुआ विभाग, जानिए किन्हें कौन सा डिपार्टमेंट Crime News: 'मेरे से अब यह SIR का काम नहीं हो सकेगा', मानसिक दबाव में BLO ने की आत्महत्या Bride runaway : “लौंडिया लंदन से लाएंगे...”, रात भर डीजे पर खूब नाची दुल्हन, सुबह होते ही बॉयफ्रेंड के साथ हो गई फरार MBBS Admission: छोटी गलती पर रद्द हुआ MBBS एडमिशन, अब कोर्ट ने दे दी बड़ी राहत भतीजे संग कमरे में थी बीवी, अचानक घर लौटा पति… जो नजारा देखा, उससे खिसक गई पैरों तले जमीन! जानिए फिर क्या हुआ Life Style: क्यों ठंड के मौसम में बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा? जानें लक्षण और बचाव के उपाय उपेन्द्र कुशवाहा के बेटे को मंत्री बनाये जाने पर RJD सांसद ने बोला हमला, कहा...प्रधानमंत्री जी के चुनावी नारे हवा-हवाई होते हैं

MBBS Admission: छोटी गलती पर रद्द हुआ MBBS एडमिशन, अब कोर्ट ने दे दी बड़ी राहत

MBBS Admission: गुजरात हाईकोर्ट ने डॉक्टर बनने का सपना देखने वाली एक छात्रा को बड़ी राहत दी है, जिसका एमबीबीएस एडमिशन एक छोटी गलती के कारण रद्द हो गया था।

MBBS Admission

21-Nov-2025 03:18 PM

By First Bihar

MBBS Admission: गुजरात हाईकोर्ट ने डॉक्टर बनने का सपना देखने वाली एक छात्रा को बड़ी राहत दी है, जिसका एमबीबीएस एडमिशन एक छोटी गलती के कारण रद्द हो गया था। हाईकोर्ट ने एडमिशन कमिटी फॉर प्रोफेशनल कोर्सेज (ACPC) को निर्देश दिया है कि वह नरेंद्र मोदी मेडिकल कॉलेज में फर्स्ट ईयर में इस छात्रा का दाखिला तुरंत कंफर्म करे। एसीपीसी ही गुजरात में स्टेट मेडिकल काउंसलिंग करती है।


दरअसल, यह 18 वर्षीय छात्रा मेडिकल काउंसलिंग के सेकेंड राउंड में डॉ. एनडी देसाई फैकल्टी ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च, नाडियाड में एडमिट हुई थी। इसके बाद, तीसरे राउंड में उसने नरेंद्र मोदी मेडिकल कॉलेज में अपग्रेड का ऑप्शन चुना और अलॉटमेंट ऑर्डर डाउनलोड कर फीस का भुगतान भी कर दिया। लेकिन अहमदाबाद स्थित कॉलेज में एडमिशन लेने के दौरान उसने हेल्प सेंटर में प्रोविजनल एडमिशन ऑर्डर जमा नहीं किया, जिसके कारण उसे नॉन-रिपोर्टिंग माना गया और उसका एडमिशन कैंसिल कर दिया गया।


हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान छात्रा की गलती को मानते हुए कहा कि उसे कॉलेज स्टाफ की गलत सलाह और भ्रम की वजह से प्रोविजनल डॉक्यूमेंट जमा करने में देर हुई। छात्रा ने कोर्ट से कहा कि उसने फीस भुगतान कर लिया है और लेक्चर भी अटेंड कर रही है। एसीपीसी और कॉलेज ने इसके बावजूद विरोध जताया और कहा कि छात्रा की लापरवाही और बेपरवाह बर्ताव की वजह से अन्य स्टूडेंट को नुकसान हुआ।


कोर्ट ने इस मामले में छात्रा की करियर सुरक्षा को प्राथमिकता दी और कहा कि एक काबिल छात्र का भविष्य नुकसान में नहीं जाना चाहिए। न्यायमूर्ति निरजर देसाई ने आदेश दिया कि छात्रा को छह महीने की एक्स्ट्रा रूरल सर्विस देने के बदले एडमिशन कंफर्म किया जाए। छात्रा इसके लिए अंडरटेकिंग देगी। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि छात्रा अपना प्रोविजनल एडमिशन ऑर्डर तुरंत जमा करे और कॉलेज की औपचारिकताएं पूरी करे।


साथ ही हाईकोर्ट ने 5000 रुपये का फाइन भी लगाया है, ताकि छात्रा भविष्य में दोबारा ऐसी गलती न करे। कोर्ट ने कहा कि इससे राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों को एक क्वालिफाइड डॉक्टर की अतिरिक्त सेवा मिल रही है और छात्रा की गलती का निपटारा हो जाएगा।


इस फैसले से छात्रा का डॉक्टर बनने का सपना बरकरार रहेगा और उसे एमबीबीएस कोर्स में दाखिला मिलने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा का अनुभव भी मिलेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि हाईकोर्ट का यह निर्णय न केवल छात्रा के करियर के लिए अहम है, बल्कि यह यह भी दिखाता है कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं में छोटी गलतियों के बावजूद योग्य छात्रों को अवसर देने की जरूरत है।