Digital Attack On Pakistan: पाकिस्तान के खिलाफ भारत का डिजिटल वॉर! 16 बड़े YouTube चैनल को किया बैन; BBC पर भी पैनी नजर Digital Attack On Pakistan: पाकिस्तान के खिलाफ भारत का डिजिटल वॉर! 16 बड़े YouTube चैनल को किया बैन; BBC पर भी पैनी नजर Bihar Mausam Update: अभी-अभी...बिहार के इन 15 जिलों में वज्रपात, आंधी एवं वर्षा का रेड अलर्ट, कौन-कौन जिले हैं शामिल, जानें Bihar Crime News: तीन बच्चों की मां से दिल्लगी पड़ी भारी, महिला के परिजनों ने बेरहमी से ले ली युवक की जान Sarkari Naukri In Bihar: बिहार में सरकारी नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं के लिए अच्छी खबर, इस विभाग में इतने पदों पर निकली बहाली BIHAR CRIME : दोस्त बना कातिल ! घर से बुलाकर सीने में दागी गोलियां, मौत के बाद परिजनों में मातम का माहौल Pahalgam Terrorist Attack: भारत में रह रहे पाकिस्तानियों के पास बस एक दिन की मोहलत, वरना हो सकती है यह सजा BIHAR NEWS : बिहार के इस जिले में BDO, CO और दारोगा समेत 27 लागों पर FIR, जानिए क्या है पूरी खबर BIHAR CRIME : बिहार में बेख़ौफ़ हुए अपराधी ! JDU नेता के घर फायरिंग, बाइक पर भागते दिखे आरोपी Bihar Rain Alert: बिहार में बदला मौसम का मिजाज, 20 जिलों में भारी बारिश ठनका और ओला का अलर्ट जारी; IMD ने दी यह सलाह
27-Feb-2025 12:49 PM
By First Bihar
बिहार में ऑनलाइन जमाबंदी रजिस्टर (रजिस्टर-2) को डिजिटल करने का काम अभी भी अधूरा है। राज्य के कई मौजा में बड़ी संख्या में रैयतों की जमीन का ब्योरा ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है। इस कारण लोग अपनी जमीन की जानकारी लेने और जमाबंदी रजिस्टर की पुष्टि के लिए अंचल कार्यालयों का चक्कर लगाने को मजबूर हैं।
सरकार ने दावा किया था कि ऑनलाइन जमाबंदी व्यवस्था से रैयतों को घर बैठे जमीन की जानकारी मिल जाएगी। लेकिन जब लोग पोर्टल पर अपनी जमीन का ब्योरा खोजते हैं तो उनका रिकॉर्ड गायब मिलता है। ऐसे में उन्हें मजबूरन अंचल कार्यालय जाना पड़ता है। लेकिन वहां भी समाधान मिलने की बजाय टालमटोल ही होता है। अधिकारी कहते हैं कि "सब कुछ ऑनलाइन उपलब्ध है, आपको यहां आने की जरूरत नहीं है।" लेकिन जब लोग बताते हैं कि उनकी जमीन का ब्योरा ऑनलाइन नहीं दिख रहा है तो उन्हें यही जवाब मिलता है कि "कुछ दिनों में दिखने लगेगा।"
पहले जब ऑनलाइन जमाबंदी व्यवस्था ठीक से काम कर रही थी, तो पुराने जमीन मालिकों के वंशजों को अपनी पुश्तैनी जमीन का रिकॉर्ड ढूंढने में आसानी होती थी। इसके अलावा, जो लोग अपने गांव या शहर से दूर रहते थे, वे भी अपने कागजात ऑनलाइन देख सकते थे। लेकिन अब अधूरे डिजिटलीकरण के कारण लोग फिर से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सभी मौजा की जमाबंदी को पूरी तरह से डिजिटल करने और गलत दर्ज विवरण को सही करने के लिए विशेष अभियान शुरू किया है। इसकी डेडलाइन 15 मार्च, 2025 तय की गई है। लेकिन सवाल यह है कि क्या प्रशासन तय समय में यह काम पूरा कर पाएगा? क्योंकि अभी तक हजारों रैयतों का रिकॉर्ड अधूरा है और कई मामलों में गलत जानकारी दर्ज है।
राजस्व विभाग ने अपने-अपने क्षेत्र के सभी मौजा के अभिलेखों को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी हल्का कर्मचारियों को दी है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह काम सुचारू रूप से हो रहा है? कई मामलों में गलत अभिलेख दर्ज होने के बाद भी सुधार नहीं किया गया है। लोगों को अपनी जमीन के मूल दस्तावेज लेकर भी कई बार अधिकारियों के पास जाना पड़ रहा है।
रैयतों की 5 बड़ी समस्याएं
ऑनलाइन पोर्टल पर जमीन का ब्योरा उपलब्ध नहीं है
अधिकारी टालमटोल कर रहे हैं
गलत जानकारी दर्ज होने से विवाद बढ़ रहे हैं
डिजिटलीकरण का काम धीमी गति से चल रहा है
रैयतों को अपनी ही जमीन की पुष्टि के लिए सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगाना पड़ रहा है