सहरसा सदर अस्पताल चोरी कांड का खुलासा: पुलिस छापेमारी में 6 चोर गिरफ्तार, एसी का आउटडोर यूनिट भी बरामद JP Ganga Path: दीघा से कोईलवर तक होगा जेपी गंगा पथ का विस्तार, 6495 करोड़ की लागत से बदल जाएगी सूरत; चेंज होगी पटना की कनेक्टिविटी JP Ganga Path: दीघा से कोईलवर तक होगा जेपी गंगा पथ का विस्तार, 6495 करोड़ की लागत से बदल जाएगी सूरत; चेंज होगी पटना की कनेक्टिविटी BIHAR: अब कैमूर की जंगलों में गूजेंगी दहाड़!..टाईगर रिजर्व बनाने की मंत्री ने दी मंजूरी Bihar Crime News: अपहरण के बाद युवक की हत्या से हड़कंप, 7 दिन बाद गंडक नदी से शव मिलने से सनसनी Bihar News: बिहार में वाहन जांच के दौरान पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल Bihar News: बिहार में वाहन जांच के दौरान पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल Patna Crime News: प्रकाश पर्व में अपराधियों पर भारी पड़ी पटना पुलिस की मुस्तैदी, 48 घंटे के भीतर लूट कांड का किया खुलासा Patna Crime News: प्रकाश पर्व में अपराधियों पर भारी पड़ी पटना पुलिस की मुस्तैदी, 48 घंटे के भीतर लूट कांड का किया खुलासा Bihar Highway News: पटना से छत्तीसगढ़ जाने वाली सड़क होगी 'फोरलेन'...BJP विधायक की पहल पर हरकत में RCD मंत्री, भारत सरकार के पास फिर से जाएगा प्रस्ताव
25-Apr-2025 08:59 AM
By First Bihar
Judicial system in Bihar: बिहार की निचली अदालतों में तीन साल से अधिक समय से लगभग 71% मुकदमे लंबित हैं, जो कि राज्य की न्यायिक व्यवस्था की गंभीर स्थिति को दर्शाता है। इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में सबसे अधिक लंबित मुकदमे हैं, जबकि यहां के जजों के 24% पद भी रिक्त हैं। पटना हाईकोर्ट में भी बड़ी संख्या में मुकदमे लंबित हैं, लेकिन जजों के औसत के हिसाब से स्थिति थोड़ी बेहतर है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि जनवरी 2025 तक देश के 25 राज्यों में से 22 राज्यों की निचली अदालतों में 25% से अधिक मुकदमे तीन साल से पुराने हैं। इनमें से 11 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में 45% से अधिक मुकदमे लंबित हैं। बिहार में सर्वाधिक 70.7% मुकदमे तीन साल से अधिक समय से लंबित हैं, जो कि देश में सबसे अधिक हैं।
पटना हाईकोर्ट की स्थिति कुछ बेहतर है, जहां 52.9% मुकदमे पांच साल तक के हैं। 10 से 20 साल पुराने मामलों का प्रतिशत 28.9% है, जबकि 20 साल से पुराने मामलों का 18.3% है। राष्ट्रीय औसत के मुकाबले बिहार की स्थिति में भी सुधार की आवश्यकता है।
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के अनुसार, 1987 में ला कमिशन ने प्रत्येक दस लाख की आबादी पर 50 जजों की अनुशंसा की थी। वर्तमान में, बिहार में निचली अदालतों में प्रति दस लाख आबादी पर 11.8 जज हैं, जो राष्ट्रीय औसत 14 से कम है। पटना हाईकोर्ट में जजों के 35.8% पद रिक्त हैं, जबकि बिहार के निचली अदालतों में जजों के 23.9% पद खाली हैं।
इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि बिहार में निचली अदालतों में 26.6% जज महिलाएं हैं, जबकि बिहार हाईकोर्ट में केवल 2.9% महिला जज हैं। यह आंकड़े देश भर के अन्य राज्यों के मुकाबले कम हैं, और यह दर्शाता है कि महिला जजों की संख्या में वृद्धि की आवश्यकता है। बिहार की न्यायिक व्यवस्था में लंबित मुकदमों की स्थिति और जजों के खाली पदों की समस्या को देखते हुए सुधार की आवश्यकता है, ताकि न्याय जल्दी और प्रभावी रूप से मिल सके।