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25-Apr-2025 08:59 AM
By First Bihar
Judicial system in Bihar: बिहार की निचली अदालतों में तीन साल से अधिक समय से लगभग 71% मुकदमे लंबित हैं, जो कि राज्य की न्यायिक व्यवस्था की गंभीर स्थिति को दर्शाता है। इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में सबसे अधिक लंबित मुकदमे हैं, जबकि यहां के जजों के 24% पद भी रिक्त हैं। पटना हाईकोर्ट में भी बड़ी संख्या में मुकदमे लंबित हैं, लेकिन जजों के औसत के हिसाब से स्थिति थोड़ी बेहतर है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि जनवरी 2025 तक देश के 25 राज्यों में से 22 राज्यों की निचली अदालतों में 25% से अधिक मुकदमे तीन साल से पुराने हैं। इनमें से 11 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में 45% से अधिक मुकदमे लंबित हैं। बिहार में सर्वाधिक 70.7% मुकदमे तीन साल से अधिक समय से लंबित हैं, जो कि देश में सबसे अधिक हैं।
पटना हाईकोर्ट की स्थिति कुछ बेहतर है, जहां 52.9% मुकदमे पांच साल तक के हैं। 10 से 20 साल पुराने मामलों का प्रतिशत 28.9% है, जबकि 20 साल से पुराने मामलों का 18.3% है। राष्ट्रीय औसत के मुकाबले बिहार की स्थिति में भी सुधार की आवश्यकता है।
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के अनुसार, 1987 में ला कमिशन ने प्रत्येक दस लाख की आबादी पर 50 जजों की अनुशंसा की थी। वर्तमान में, बिहार में निचली अदालतों में प्रति दस लाख आबादी पर 11.8 जज हैं, जो राष्ट्रीय औसत 14 से कम है। पटना हाईकोर्ट में जजों के 35.8% पद रिक्त हैं, जबकि बिहार के निचली अदालतों में जजों के 23.9% पद खाली हैं।
इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि बिहार में निचली अदालतों में 26.6% जज महिलाएं हैं, जबकि बिहार हाईकोर्ट में केवल 2.9% महिला जज हैं। यह आंकड़े देश भर के अन्य राज्यों के मुकाबले कम हैं, और यह दर्शाता है कि महिला जजों की संख्या में वृद्धि की आवश्यकता है। बिहार की न्यायिक व्यवस्था में लंबित मुकदमों की स्थिति और जजों के खाली पदों की समस्या को देखते हुए सुधार की आवश्यकता है, ताकि न्याय जल्दी और प्रभावी रूप से मिल सके।