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25-Nov-2025 02:47 PM
By Viveka Nand
Bihar News: बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद कई अफसर धनकुबेर बन गए. खास कर वैसे अधिकारी जिनके कंधों पर शराबबंदी कानून को सफल बनाने की जिम्मेदारी थी. अधिकारियों ने शराब माफियाओं से मिलकर दोनों हाथ से माल बनाया. यूं कहें कि पिछले 9-10 सालों में धनकुबेर बन गए. मद्य निषेध विभाग के अधिकारी भ्रष्टाचार के मामले में इन दिनों चर्चा में हैं. औरंगाबाद के उत्पाद अधीक्षक अनिल कुमार आज़ाद पर स्पेशल विजिलेंस यूनिट का शिकंजा कसा, तब भ्रष्टाचार से अर्जित करोड़ों की अवैध संपत्ति का खुलासा हुआ है. इसके बाद यह विभाग फिर से सुर्खियों में आ गया है. बता दें, इस विभाग के अफसर करप्शन के मामले में पहले से ही चर्चा में रहे हैं.
उप्र से शराब की सप्लाई कराने के आरोपी को फील्ड पोस्टिंग..दूसरी तरफ विभागीय कार्यवाही भी
मद्य निषेध विभाग भ्रष्टाचार में लिप्त वैसे अधिकारी(उत्पाद अधीक्षक) को सम्मानित करते रहा है. वर्ष 2024 में जिला पुलिस के एसपी की रिपोर्ट में उत्पाद अधीक्षक को बेनकाब किया गया, शराब माफियाओं से मिलीभगत साबित होने के बाद थाने में मुकदमा दर्ज किया गया. हद तो तब हो गई जब मद्य निषेध विभाग ने फिर से उक्त अधिकारी को फील्ड में उत्पाद अधीक्षक बना कर पोस्टिंग दे रखा है. एक तरफ विभाग विभागीय कार्यवाही भी चला रहा, दूसरी तरफ आरोपी अधिकारी को फील्ड में उसी पद पर पोस्टिंग देकर उपकृत कर रहा. बात बक्सर जिले के तत्कालीन उत्पाद अधीक्षक दिलीप कुमार पाठक की हो रही है.
दिलीप पाठक के खिलाफ दर्ज हुआ था केस..एसपी की रिपोर्ट में भी आरोप सही
तत्कालीन उत्पाद अधीक्षक दिलीप कुमार पाठक के खिलाफ शराब माफियाओं से मिलकर उप्र से बिहार में शराब सप्लाई की बात प्रमाणित हुई थी. जांच में यह बात सामने आई थी कि उत्पाद अधीक्षक की भूमिका संदिग्ध है. इसके बाद बक्सर जिले के औद्योगिक थाना क्षेत्र में 21 जून 2024 को दर्ज कांड सं- 132/2024 में ये अप्राथमिक अभियुक्त बनाए गए. बक्सर पुलिस अधीक्षक की सुपरविजन रिपोर्ट में भी दिलीप कुमार पाठक के खिलाफ आरोप सही साबित हुए। इधर, मद्य निषेध विभाग ने आरोपी अफसर के निलंबन के बाद फिर से पोस्टिंग दे दी. दिलीप कुमार पाठक वर्तमान में जहानाबाद जिले के उत्पाद अधीक्षक के तौर पर पदस्थापित हैं. यानि फिर से फील्ड पोस्टिंग...। इधर विभाग ने 26 अगस्त 2025 के प्रभाव से इन आरोपों को लेकर विभागीय कार्यवाही चलाने का निर्णय लिया है. पटना के मद्य निषेध उपायुक्त रेणु कुमारी सिन्हा को संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया है. विभागीय कार्यवाही जारी है, और आरोपी उत्पाद अधीक्षक दिलीप कुमार पाठक को जहानाबाद में उसी पद पर पदस्थापित किया गया है. इस तरह से विभाग में खेल चल रहा है.
अब आइए ताजा मामले पर- क्यों चर्चा में हैं उत्पाद अधीक्षक रैंक के अफसर?
रविवार को स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने औरंगाबाद के उत्पाद अधीक्षक अनिल कुमार आज़ाद के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का केस दर्ज कर कई ठिकानों पर छापेमारी की .स्पेशल विजिलेंस यूनिट की रेड में उत्पाद अधीक्षक के ठिकानों से अकूत संपत्ति का पचा चला है. तीन बैंक लॉकरों को भी सीज किया गया है, उन्हें एक से दो दिनों के भीतर खोला जाएगा. प्राथमिक रिपोर्ट में दावा था कि अनिल आज़ाद ने अपनी सेवा अवधि के दौरान 1.58 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित की है. इसी आधार पर एसवीयू की टीम ने रविवार को छापेमारी में पटना, जहानाबाद और औरंगाबाद स्थित उनके आवास, पैतृक घर, कार्यालय को खंगाला था. इसमें चार करोड़ से अधिक की संपत्ति मिली थी.
एसवीयू के अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती तलाशी में ही कई अहम दस्तावेज, जमीन खरीद-बिक्री के कागज, बैंक खातों और निवेश से जुड़े रिकॉर्ड मिले हैं. कई संपत्तियों के दस्तावेज ऐसे मिले हैं जिनकी कीमत कागजों में कम दर्ज है जबकि वास्तविक बाजार मूल्य कई गुना अधिक है. एसवीयू अब इन संपत्तियों की खरीद के स्रोत, भुगतान के तरीके और वास्तविक मालिकाना हक की जांच कर रही है. संपत्ति की सही स्थिति स्पष्ट तभी होागी जब यह जांच होने के साथ लॉकरों को खोल कर चेक कर लिया जाएगा. एसवीयू का अनुमान है कि इनमें नकदी, सोना, आभूषण या निवेश संबंधी अहम दस्तावेज मिल सकते हैं. जांच टीम बैंक लॉकरों की इन्वेंटरी प्रक्रिया वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ पूरी करेगी और इसके आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी.
