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19-Mar-2025 02:18 PM
Bihar Transport: नीतीश राज में भ्रष्टाचार को सदाचार मान लिया गया है. जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली नीतीश सरकार का अब भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार के आरोपियों से हमदर्दी हो गई है. तभी तो मंत्री से लेकर अधिकारी सब मौन हैं या फिर भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डूबकी लगा रहे हैं. अगर ऐसा नहीं तब भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मंत्री मौन क्यों हो जा रहे ? सवाल सुनकर भागने क्यों लग रहे ? परिवहन विभाग के मंत्री के साथ ऐसा ही हुआ।
परिवहन मंत्री की चुप्पी पर सवाल....नीतीश सरकार को हो क्या गया है ?
परिवहन विभाग के मंत्री शीला कुमारी से विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार के आरोपी सरकारी सेवकों को बचाने के संबंध में सवाल पूछा गया. सवाल सुनते ही मंत्री शीला कुमारी अवाक रह गईं. सवाल का लाईन खत्म होने से पहले वो समझ गईं, लिहाजा गाड़ी का शीशा बंद कर निकलने की कोशिश करने लगीं. कहने लगीं बाद में बात कर लेंगे, अभी जल्दी में हैं. समझ सकते हैं , नीतीश राज में क्या हो रहा है. यहां पूरा सिस्टम बेपटरी हो गई है. नीतीश कैबिनेट के मंत्री वो भी जेडीयू कोटे से, का भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मुंह बंद हो गया है. ऐसे में करप्शन पर जीरो टॉलरेंस की बातें सिर्फ भाषणों में रह गई है.
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर परिवहन विभाग ने रिकार्ड तोड़ दिया है. बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जिला परिवहन पदाधिकारी( DTO) बनाए जाते हैं. डीटीओ के खिलाफ भ्रष्टाचार केस होने पर सामान्य प्रशासन विभाग तुरंत कार्रवाई करता है, पर परिवहन विभाग अपने कर्मियों-अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं करता. भ्रष्टाचार केस में निलंबन की फाइल को दबाकर बैठ जाता है.उदाहरण से समझिए....नालंदा के जिला परिवहन पदाधिकारी के ठिकानों पर 7 मार्च 2025 को छापेमारी हुई, सरकार ने 10 दिनों बाद 17 मार्च को आरोपी अधिकारी को सस्पेंड कर दिया. परिवहन विभाग का खेल देखिए, आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपी अपने दो प्रवर्तन अवर निरीक्षकों को 3-4 सालों बाद भी सस्पेंड नहीं किया है. आज भी दोनों आरोपी सुशासन को ठेंगा दिखाकर आराम से नौकरी कर रहे. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज में भ्रष्टाचार अब कोई मुद्दा नहीं रह गया.