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हमने चरवाहा विद्यालय वाले राज्य को डिजिटल बिहार में बदल दिया: नीतीश ने गिनाईं शिक्षा में 20 वर्षों की उपलब्धियां, लालू-राबड़ी राज पर तीखा हमला

मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया के जरिये ये बताया कि उन्होंने लालू-राबड़ी के बदतर राज की पूरी तस्वीर ही बदल दिया। बिहार की शिक्षा क्रांति की कहानी साझा करते हुए कहा कि 2005 से पहले शिक्षा चौपट थी, अब हर टोले में स्कूल और हर बच्चे के लिए पढ़ाई का अधिकार है

बिहार

02-Nov-2025 08:31 PM

By First Bihar

PATNA: Bihar Assembly Election के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार सोशल मीडिया के जरिये अपने करीब 20 सालों के कार्यकाल की उपलब्धियां गिना रहे हैं. नीतीश कुमार ने एक बार फिर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स (X)’ पर अपनी सरकार की उपलब्धियों का ब्योरा पेश किया है। इस बार उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में पिछले 20 वर्षों में हुए बदलावों का विस्तार से विवरण दिया है. उन्होंने लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के कार्यकाल पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि “उस दौर में शिक्षा व्यवस्था को भद्दा मजाक बना दिया गया था, चरवाहा विद्यालय खोलकर लोगों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया। हमने बिहार में शिक्षा की सूरत बदल दी।”


2005 से पहले बिहार की शिक्षा चौपट थी

नीतीश कुमार ने अपने पोस्ट में लिखा है—“वर्ष 2005 से पहले बिहार में शिक्षा का हाल बहुत बुरा था। सरकारी स्कूलों के भवन जर्जर थे, शिक्षकों की भारी कमी थी, और 12.5% बच्चे स्कूल से बाहर थे। उस वक्त सत्ता में बैठे लोगों ने शिक्षा को मजाक बना दिया था। बच्चियां पांचवीं के बाद पढ़ाई छोड़ने को मजबूर थीं, और उच्च शिक्षा की स्थिति दयनीय थी।”


मुख्यमंत्री ने कहा कि 1990 से 2005 तक शिक्षकों की नियुक्ति नाम मात्र की हुई थी, जिससे छात्र-शिक्षक अनुपात 65:1 तक पहुंच गया था। यानि 65 बच्चों को पढ़ाने के लिए एक टीचर होता था. उस दौर में उच्च और तकनीकी शिक्षा संस्थानों की लगभग न के बराबर थी और छात्रों को बाहर के राज्यों में पलायन करना पड़ता था।


हमारी सरकार बनते ही शिक्षा को बनाया प्राथमिकता

नीतीश कुमार ने बताया कि 24 नवंबर 2005 को सरकार बनने के बाद शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। उन्होंने लिखा है —“हमने शिक्षा के बजट में लगातार बढ़ोतरी की। वर्ष 2005 में जहां बजट 4,366 करोड़ रुपये था, वहीं 2025-26 में यह बढ़कर 60,964 करोड़ रुपये हो गया है. यह राज्य के कुल बजट का 22% है।” राज्य में सरकारी स्कूलों की संख्या 2005 के 53,993 से बढ़कर 75,812 हो गई है और अब बिहार के  97.6% टोलों में सरकारी स्कूल हैं। सभी पंचायतों में उच्च विद्यालय स्थापित किए गए हैं ताकि छात्राओं को दूर नहीं जाना पड़े।


शिक्षकों की नियुक्ति में रिकॉर्ड

नीतीश कुमार ने शिक्षकों की नियुक्ति को अपनी सरकार की बड़ी उपलब्धि बताया है. उन्होंने कहा है कि 2024 में 2,38,744 नए शिक्षक, और 2025 में 36,947 प्रधान शिक्षक व 5,971 प्रधानाध्यापक नियुक्त किए गए। इसके अलावा 3.68 लाख नियोजित शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा के बाद नियमित करने की प्रक्रिया चल रही है। नीतीश ने कहा है- “आज बिहार में लगभग 6 लाख सरकारी शिक्षक कार्यरत हैं. हमने देश में शिक्षकों की सबसे बड़ी नियुक्ति प्रक्रिया को अंजाम दिया है।”


डिजिटल शिक्षा

मुख्यमंत्री ने बताया है कि राज्य के अधिकांश स्कूलों में अब कंप्यूटर लैब, ई-लाइब्रेरी और साइंस लैब की सुविधा दी जा रही है। इसके अलावा ग्रामीण छात्रों के लिए अत्याधुनिक पुस्तकालय, हाईस्पीड इंटरनेट और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं।


लड़कियों की शिक्षा में ऐतिहासिक सुधार

नीतीश कुमार ने लिखा कि साइकिल योजना और पोशाक योजना ने लड़कियों की शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव लाया। उन्होंने कहा है- “पहले जहां बहुत कम बच्चियां स्कूल जाती थीं, आज मैट्रिक और इंटरमीडिएट में छात्राओं की संख्या छात्रों से अधिक है।” वर्ष 2001 में महिलाओं की साक्षरता दर 33.57% थी, जो अब बढ़कर 73.91% हो गई है।


उच्च शिक्षा में भी बड़ा विस्तार

नीतीश कुमार के अनुसार, “2005 में जहां केवल 10 सरकारी विश्वविद्यालय थे, आज 21 राजकीय, 4 केंद्रीय और 8 निजी विश्वविद्यालय हैं।” राज्य के सभी प्रखंडों में डिग्री कॉलेज स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया है कि बिहार में अब IIT, IIM, AIIMS, NIFT, NLU, CIMP, IIIT और अन्य राष्ट्रीय संस्थान स्थापित किए गए हैं, जिससे छात्रों को राज्य से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं रही।


तकनीकी और मेडिकल शिक्षा में क्रांति

नीतीश कुमार ने बताया कि अब सभी 38 जिलों में इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित हो चुके हैं। पॉलिटेक्निक संस्थान 13 से बढ़कर 46, और आईटीआई 23 से बढ़कर 152 हो गए हैं। मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी लगातार बढ़ी है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि दरभंगा एम्स समेत 21 नए सरकारी मेडिकल कॉलेज निर्माणाधीन हैं, जिससे बिहार में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की कुल संख्या 35 हो जाएगी। नीतीश कुमार ने कहा कि 2005 से पहले बिहार में  जहां इंजीनियरिंग कॉलेजों में केवल 460 सीटें थीं, अब यह संख्या 14,469 हो गई है।


बिहार की साक्षरता अब 80% के करीब

नीतीश कुमार ने कहा कि दो दशकों की मेहनत का नतीजा यह है कि बिहार की कुल साक्षरता दर अब लगभग 80% तक पहुंच चुकी है। उन्होंने लिखा है— “यह सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं, बल्कि हमारी प्रतिबद्धता और प्राथमिकता की तस्वीर है। बिहार में शिक्षा अब हर बच्चे का अधिकार है।”


हमने कहा, और पूरा किया

नीतीश कुमार ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के आखिर में लिखा है-“राज्य के बच्चे-बच्चियों और युवाओं को अच्छी शिक्षा देने के लिए हमने जो काम किए हैं, उसे आपलोग याद रखिएगा। आगे भी हम ही काम करेंगे। हम जो कहते हैं, उसे पूरा करते हैं। जय बिहार!”