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06-Oct-2025 10:49 AM
By First Bihar
Bihar Politics : बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर उम्मीदवार तय करने को लेकर हाल ही में दो दिनों तक लगातार बैठकें आयोजित की गईं। लेकिन पार्टी सूत्रों की मानें तो इन बैठकों का कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आ सका। पार्टी के अंदर इस बात को लेकर मतभेद स्पष्ट रूप से देखने को मिले कि कौन से सीट पर कौन सा उम्मीदवार सबसे उपयुक्त रहेगा। यही वजह है कि अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि अधिकांश निर्णय दिल्ली से ही लिए जाएंगे और बिहार में केवल उम्मीदवारों के नामों का औपचारिक ऐलान किया जाएगा।
भाजपा के अंदर यह प्रक्रिया पहले से ही जटिल मानी जा रही थी। पार्टी की बिहार चुनाव समिति ने दो दिनों तक तीन घंटे लगातार बैठकें कीं, लेकिन इन बैठकों में 125 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार तय करने को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई। पार्टी के अंदर यह समझा जा रहा है कि मतभेद मुख्य रूप से यह लेकर थे कि कौन सी सीट पर कौन उम्मीदवार सबसे उपयुक्त होगा। सूत्रों का कहना है कि इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि पहले सीट बंटवारे का मामला फाइनल होगा, और उसके बाद ही उम्मीदवारों पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
पार्टी के अंदर यह भी चर्चा रही कि जिन उम्मीदवारों के नाम जिला संगठन से केंद्रीय नेतृत्व तक भेजे जाते हैं, उन्हें कुछ छोटे नामों में सीमित कर दिया जाएगा। पार्टी के अंदर के सूत्रों ने बताया कि बिहार बीजेपी की चुनाव समिति ने जिला संगठनों से आए कुल नामों को ध्यान से छांटकर केंद्रीय नेतृत्व तक भेजने का निर्णय किया है। यह प्रक्रिया इस बात को सुनिश्चित करेगी कि केंद्रीय नेतृत्व के पास पूरी जानकारी रहे और वे अंतिम निर्णय आसानी से ले सकें।
विशेष रूप से इस बैठक में भाजपा ने अपनी वर्तमान स्थिति का भी आकलन किया। पार्टी ने पिछले चुनाव में जीतने वाली 80 सीटों के अलावा उन 30 सीटों पर भी विचार किया जहां पिछली बार हार हुई थी। यह चर्चा इसलिए महत्वपूर्ण थी ताकि पार्टी अपनी रणनीति को मजबूत कर सके और हार वाली सीटों पर अधिक जोर दे। पार्टी के अंदर यह चर्चा चल रही थी कि कौन से उम्मीदवारों को पुनः मैदान में उतारा जाए और किन सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया जाए।
भाजपा के भीतर इस बैठक की निष्कर्षहीनता का मुख्य कारण यह माना जा रहा है कि स्थानीय संगठन और केंद्रीय नेतृत्व के बीच मतभेद स्पष्ट थे। जिला स्तर पर पार्टी कार्यकर्ता और नेताओं ने अपनी पसंद के उम्मीदवारों को आगे बढ़ाने की कोशिश की, जबकि केंद्रीय नेतृत्व ने अपनी रणनीति के अनुसार उम्मीदवारों को चुनने का प्रयास किया। इस प्रक्रिया में मतभेद के कारण बैठक लंबित रही और किसी भी सीट पर अंतिम सहमति नहीं बन पाई।
भाजपा सूत्रों के अनुसार, अब रणनीति यह है कि बिहार में उम्मीदवारों का अंतिम चयन केंद्रीय नेतृत्व करेगा। पार्टी का मानना है कि यह तरीका उम्मीदवार तय करने में पारदर्शिता और संगठनात्मक अनुशासन को बनाए रखेगा। इस प्रक्रिया में जिला स्तर पर पार्टी संगठन अपनी प्राथमिकता वाले नाम प्रस्तुत करेगा, लेकिन अंतिम निर्णय दिल्ली से लिया जाएगा। इसके बाद ही उम्मीदवारों के नामों का औपचारिक ऐलान बिहार में किया जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारा और उम्मीदवार तय करना पार्टी की चुनावी रणनीति का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। बिहार में भाजपा के लिए यह चुनाव काफी चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि राज्य में पिछले कई चुनावों में पार्टी ने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए काफी प्रयास किए हैं। ऐसे में उम्मीदवार तय करने की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गलती पार्टी की जीत की संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है।
पार्टी के अंदर यह भी चर्चा रही कि आगामी चुनाव में सीटों का बंटवारा इस तरह से किया जाए कि पार्टी अपनी वर्तमान स्थिति को बनाए रखे और पिछली बार हार हुई सीटों पर भी मजबूत उम्मीदवार उतारे। सूत्रों का कहना है कि सीटों का सही बंटवारा और उम्मीदवारों का चयन पार्टी की जीत के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।
भाजपा की यह निष्कर्षहीन बैठक यह भी दर्शाती है कि बिहार में स्थानीय नेताओं और केंद्रीय नेतृत्व के बीच मतभेद कितना गहरा है। बिहार के स्थानीय नेता चाहते हैं कि उनका सुझाव ज्यादा महत्व रखे, जबकि केंद्रीय नेतृत्व का मानना है कि रणनीति के तहत उम्मीदवारों का चुनाव होना चाहिए।
बहरहाल बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है। लेकिन उम्मीदवार तय करने की प्रक्रिया अभी भी पूरी तरह से अंतिम रूप नहीं ले पाई है। अब पार्टी की नजर दिल्ली पर है, जहां केंद्रीय नेतृत्व अंतिम निर्णय लेगा और उम्मीदवारों की सूची बिहार में घोषित की जाएगी। यह प्रक्रिया पार्टी की चुनावी रणनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है और इस पर पार्टी के भविष्य की दिशा काफी हद तक निर्भर करेगी।