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17-Apr-2025 05:27 PM
By First Bihar
Bihar News: बिहार में बेतिया की कोर्ट ने तत्कालीन डीएम दिलीप कुमार के खिला गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया है. कोर्ट ने अधिकारी को सरेंडर करने का निर्देश दिया है. फिलहाल वह पंजाब सरकार के सीनियर अधिकारी के रूप में तैनात हैं.
दरअसल, पश्चिम चंपारण के तत्कालीन जिलाधिकारी (डीएम) दिलीप कुमार को बेतिया न्यायालय ने बड़ा झटका दिया है। अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी (एसडीजेएम) शशांक शेखर की अदालत ने उनकी ओर से दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 205 के तहत व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट की मांग को खारिज कर दिया है।
साथ ही, न्यायालय में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है और उनकी गिरफ्तारी के लिए जमानतीय वारंट भी जारी कर दिया है। न्यायाधीश ने अभियुक्त की ओर से बार-बार छूट की याचिकाएं दाखिल किए जाने पर नाराजगी जताई है और मुकदमे की अगली सुनवाई की तिथि 6 मई 2025 निर्धारित की है।
दरअसल, यह मामला परिवाद संख्या - 2260/2008 से संबंधित है, जिसमें तत्कालीन डीएम दिलीप कुमार को अभियुक्त बनाया गया था। वर्तमान में दिलीप कुमार पंजाब सरकार के एनआरआई विभाग में प्रधान सचिव के पद पर कार्यरत हैं। उनके खिलाफ व्यवहार न्यायालय बेतिया के अधिवक्ता ब्रजराज श्रीवास्तव ने वर्ष 2008 में परिवाद दायर किया था। परिवाद की जांच के उपरांत अदालत ने अभियुक्त के विरुद्ध कई धाराओं में संज्ञान लिया था और उन्हें न्यायालय में उपस्थित होने के लिए सम्मन भी जारी किया गया था। इसके बावजूद अभियुक्त न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए।
दिलीप कुमार ने 20 सितंबर 2024 को अदालत में धारा 205 के अंतर्गत एक आवेदन देकर व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट तथा अपने अधिवक्ता को मुकदमे में पैरवी करने की अनुमति देने की मांग की थी। आवेदन में उन्होंने यह तर्क दिया था कि वे पंजाब सरकार में एक उच्च पद पर कार्यरत हैं और सरकारी कार्यों में अत्यधिक व्यस्त हैं। इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने बहस की। कई तिथियों पर सुनवाई भी हुई, लेकिन अंततः अदालत ने अभियुक्त को कोई राहत नहीं दी और उनका आवेदन खारिज कर दिया।
पूरा मामला साल 2008 में आयोजित एक शांति समिति की बैठक से जुड़ी है। बताया जाता है कि बेतिया के तत्कालीन डीएम दिलीप कुमार ने महावीरी झंडा विवाद के समाधान के लिए यह बैठक बुलाई थी। इस बैठक में अधिवक्ता मंच बिहार प्रदेश के मंत्री ब्रजराज श्रीवास्तव और योग भारती के राष्ट्रीय निदेशक विजय कश्यप भी आमंत्रित थे। बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने को कहा, लेकिन वादी ब्रजराज श्रीवास्तव और विजय कश्यप ने उसमें कुछ संशोधन की मांग की।
इस पर डीएम नाराज हो गए और दोनों को बैठक से बाहर कर, दूसरे कमरे में बैठने को कहा। बैठक समाप्त होने के बाद जिलाधिकारी सादे लिबास में कुछ लोगों के साथ वहां पहुंचे और दोनों के साथ कथित तौर पर गाली-गलौज और मारपीट की। इसके बाद दोनों को हथकड़ी लगाकर नगर थाना में बंद करा दिया गया। रात साढ़े नौ बजे हाजत में पहुंचकर पुलिस से उनकी पिटाई कराई गई और फिर रात 12 बजे उन्हें जेल भेज दिया गया।