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24-Sep-2025 02:11 PM
By First Bihar
BIHAR NEWS : बिहार में अगले महीने विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान होने की पूरी संभावना जताई जा रही है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज होती जा रही हैं। इसी बीच बुधवार को सासाराम में उस वक्त हंगामा खड़ा हो गया, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संवाद कार्यक्रम से पहले ही जदयू कार्यकर्ताओं के दो गुट आपस में भिड़ गए। यह विवाद करगहर विधानसभा क्षेत्र से जुड़े दो नेताओं – पूर्व आईएएस अधिकारी दिनेश राय और पूर्व विधायक वशिष्ठ सिंह – के समर्थकों के बीच हुआ। दोनों ही नेता आगामी विधानसभा चुनाव में जदयू टिकट की दावेदारी कर रहे हैं और लंबे समय से उनके समर्थकों के बीच तनातनी का माहौल बना हुआ था। बुधवार को यह विवाद खुलकर सामने आ गया।
कार्यक्रम स्थल पर दोनों नेताओं के समर्थक पहुंचे थे। शुरुआत में केवल हल्की-फुल्की नोकझोंक और बहस हुई, लेकिन देखते ही देखते मामला बढ़कर धक्का-मुक्की और हाथापाई तक जा पहुँचा। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगे। शोरगुल और हंगामे के चलते मौके पर अफरा-तफरी मच गई। कार्यक्रम की तैयारियों में जुटे कार्यकर्ता भी असमंजस में पड़ गए। कुछ देर के लिए स्थिति इतनी बिगड़ गई कि मंच तक संदेश पहुँचाने की नौबत आ गई। मंच से कार्यकर्ताओं को संयम बरतने और शांत रहने की अपील की गई, ताकि मुख्यमंत्री के संवाद कार्यक्रम पर इसका असर न पड़े।
झड़प की सूचना मिलते ही मौके पर तैनात पुलिस बल ने तुरंत हस्तक्षेप किया। दोनों गुटों को अलग किया गया और स्थिति को काबू में लाने का प्रयास किया गया। पुलिसकर्मियों ने समझाने-बुझाने के साथ कड़े तेवर भी दिखाए, जिसके बाद धीरे-धीरे माहौल शांत हुआ। हालांकि, इस दौरान कुछ देर तक तनावपूर्ण स्थिति बनी रही।
करगहर विधानसभा क्षेत्र से जुड़े दोनों नेता जदयू टिकट के प्रमुख दावेदार माने जाते हैं। यही वजह है कि उनके समर्थकों के बीच पहले से ही खींचतान चल रही थी। बुधवार की घटना ने साफ कर दिया कि पार्टी के भीतर गुटबाजी किस हद तक गहरी है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं जदयू की चुनावी रणनीति पर असर डाल सकती हैं। एक ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनाव से पहले पार्टी की एकजुटता का संदेश देना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर इस तरह की झड़पें विपरीत संदेश देती हैं।
हंगामे की सूचना मिलते ही मौके पर मौजूद जदयू के वरिष्ठ नेताओं ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने दोनों पक्षों के कार्यकर्ताओं को समझाया और यह भरोसा दिलाया कि टिकट वितरण का फैसला पार्टी नेतृत्व करेगा। सभी को संगठन की मर्यादा बनाए रखने की अपील की गई। वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप और पुलिस की सख्ती के बाद आखिरकार माहौल सामान्य हुआ और संवाद कार्यक्रम की तैयारियां जारी रह सकीं।
बिहार की राजनीति में टिकट बंटवारा हमेशा से सबसे संवेदनशील मुद्दों में से एक रहा है। किसी भी सीट पर एक से अधिक दावेदार सामने आते हैं और इससे गुटबाजी बढ़ जाती है। सासाराम में हुआ ताजा विवाद इस बात का संकेत है कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, ऐसे टकराव और तेज हो सकते हैं। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का संवाद कार्यक्रम निर्धारित समय पर आयोजित करने की तैयारी पूरी की जा रही है। लेकिन इस घटना ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि बिहार की सियासत में टिकट की लड़ाई किस कदर कार्यकर्ताओं के बीच टकराव की वजह बन सकती है।