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Bihar News: स्वतंत्रता सेनानी रामधारी सिंह उर्फ जगमोहन सिंह का निधन, देश की आजादी में निभाई थी अहम भूमिका

Bihar News: जमुई जिले के स्वतंत्रता सेनानी रामधारी सिंह उर्फ जगमोहन सिंह का 111 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस से प्रेरित होकर अंग्रेजों के खिलाफ कई आंदोलनों में भाग लिया और कई बार जेल गए।

Bihar News

23-Jul-2025 05:51 PM

By Dheeraj Kumar

Bihar News: जमुई जिले के बरहट प्रखंड के गादी कटौना गांव निवासी और देश की आजादी की लड़ाई में सक्रिय भागीदारी निभाने वाले 111 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी रामधारी सिंह का मंगलवार की रात उनके पैतृक निवास पर निधन हो गया। उनके निधन की खबर फैलते ही पूरे जिले में शोक की लहर दौड़ गई।


जिला प्रशासन की ओर से एसडीएम सौरभ कुमार ने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। उनके साथ एसडीपीओ सतीश सुमन, बीडीओ श्रवण कुमार पांडेय, मुखिया कपिलदेव प्रसाद, थाना अध्यक्ष विकास कुमार, पूर्व जिला परिषद सदस्य अरविंद कुमार राव सहित कई गणमान्य लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।


स्वतंत्रता सेनानी के बड़े पुत्र चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि रामधारी सिंह 1940 के दशक में महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस से प्रेरित होकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे। अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन के दौरान उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया। मुंगेर के खड़गपुर में अंग्रेजों पर किए गए हमले में उन्हें गोली भी लगी थी और गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।


इतना ही नहीं, उन्होंने बरहट प्रखंड के मलयपुर और हवेली खड़गपुर स्थित ब्रिटिश थाना भवनों में आगजनी कर अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला था। इसके चलते उन्हें एक बार फिर जेल जाना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आजादी की लड़ाई जारी रखी।


बताया जाता है कि अंग्रेजी हुकूमत ने उनके घर पर पोस्टर लगाकर आत्मसमर्पण नहीं करने पर गोली मारने का आदेश तक जारी किया था। इसके बावजूद उन्होंने कभी घुटने नहीं टेके और अपने साथियों के साथ मिलकर देश को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई।


उनके निधन की खबर मिलते ही बड़ी संख्या में लोग अंतिम दर्शन के लिए उनके आवास पर उमड़ पड़े। जिले के बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधि और आमजन ने उनके योगदान को याद करते हुए गहरी संवेदना व्यक्त की। जिलेवासी आज भी रामधारी सिंह के बलिदान और देशभक्ति को नहीं भूले हैं। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा।