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10-Aug-2025 09:03 AM
By First Bihar
Bihar Bhumi: बिहार के जहानाबाद जिले में निबंधन विभाग ने जमीन रजिस्ट्री में पारदर्शिता और राजस्व वृद्धि के लिए कड़ा कदम उठाया है। जिले के 43 मौजों को चिह्नित किया गया है, जहां अब बिना भौतिक सत्यापन के जमीन रजिस्ट्री नहीं होगी। इसके लिए विभाग ने एक विशेष टीम गठित की है जो रजिस्ट्री से पहले जमीन की भौगोलिक स्थिति और दस्तावेजों की जांच के लिए मौके पर जाएगी। यह नया नियम हेराफेरी रोकने और राजस्व लक्ष्य हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में विभाग ने 106% राजस्व लक्ष्य हासिल कर रिकॉर्ड बनाया और 2.96 करोड़ रुपये की हेराफेरी पकड़कर वसूली भी की थी।
नए नियम के तहत जहानाबाद अंचल के 13, काको के 27, मखदुमपुर के एक और रतनी फरीदपुर के दो मौजों में रजिस्ट्री से पहले भौतिक सत्यापन अनिवार्य होगा। पहले इन मौजों में रजिस्ट्री वासिका नवीस और मालिक के बयान के आधार पर हो जाती थी, जिससे हेराफेरी की संभावना रहती थी। अब गठित टीम जमीन की प्रकृति, जैसे आवासीय या कृषि योग्य का सत्यापन करेगी और निर्धारित स्टांप शुल्क के अनुसार राजस्व तय करेगी। सरकार ने 10 डिसमिल तक की जमीन को आवासीय माना है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इससे बड़े रकबे की जमीनें भी आवासीय होने के बावजूद कृषि के रूप में दर्ज की जाती थीं, जिससे राजस्व का नुकसान होता था।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में निबंधन विभाग ने 57.22 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 61.14 करोड़ रुपये की वसूली कर पिछले पांच साल का रिकॉर्ड तोड़ा। निबंधन पदाधिकारी ऋषि कुमार सिन्हा और कार्यालय अधीक्षक नवीन रंजन की अगुआई में गठित टीम ने 122 मामलों में हेराफेरी पकड़ी, जहां आवासीय या व्यावसायिक जमीन को कृषि योग्य या एक मंजिला मकान को कमतर दिखाकर राजस्व चोरी की गई। इन मामलों में 2.96 करोड़ रुपये की वसूली की गई, जिसमें 10% अतिरिक्त जुर्माना भी शामिल है। विभाग ने संदिग्ध दस्तावेजों की जांच के लिए स्थल निरीक्षण को प्राथमिकता दी, जिससे राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
यह नई व्यवस्था न केवल राजस्व वृद्धि में सहायक होगी बल्कि जमीन रजिस्ट्री में धोखाधड़ी पर भी अंकुश लगाएगी। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 62.94 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसे हासिल करने के लिए विभाग ने जांच का दायरा बढ़ाया है। भौतिक सत्यापन से जमीन की वास्तविक स्थिति का आकलन होगा, जिससे स्टांप शुल्क में पारदर्शिता आएगी। यह कदम बिहार में डिजिटल और पारदर्शी भूमि प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जो आम लोगों को हेराफेरी से बचाने और सरकारी खजाने को मजबूत करने में मदद करेगा।