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03-Aug-2025 07:23 AM
By First Bihar
Bihar News: बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी से लेकर नेपाल के पशुपतिनाथ धाम को जोड़ने वाली बहुप्रतीक्षित सड़क परियोजना फिलहाल अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है। दरभंगा-जयनगर फोरलेन सड़क, जो आमस-दरभंगा एक्सेस कंट्रोल्ड हाईवे का विस्तार मानी जा रही थी, अब केंद्र सरकार की नई शर्तों के चलते अधर में लटक गई है।
पथ निर्माण विभाग के अधिकारियों के अनुसार, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने हाल ही में इस परियोजना की समीक्षा बैठक में दरभंगा-जयनगर मार्ग को गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे से जोड़ने की शर्त रख दी है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि जब तक एक्सप्रेस-वे की निर्माण योजना पूरी तरह स्पष्ट नहीं होती, तब तक इस फोरलेन सड़क पर कार्य शुरू नहीं हो सकता।
दरभंगा से जयनगर तक लगभग 38 किमी लंबी प्रस्तावित सड़क। दरभंगा से बनवारीपट्टी तक 14 किमी सड़क की स्वीकृति वर्ष 2023 में मिल चुकी है। निर्माण की जिम्मेदारी एनएच डिवीजन को दी गई है। वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में इस परियोजना के लिए ₹1300 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसमें जयनगर बाईपास का निर्माण प्रस्तावित, 15 किमी ग्रीनफील्ड सड़क का समावेश और जयनगर में एक इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट (ICP) का निर्माण भी इस परियोजना में शामिल।
मंत्रालय की ओर से शर्त रखी गई है कि जब तक गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे का स्पर लिंक दरभंगा में तय नहीं हो जाता और उसका एलाइनमेंट अंतिम रूप से स्वीकृत नहीं होता, तब तक जयनगर तक की फोरलेन सड़क का निर्माण न किया जाए। इसका सीधा असर यह है कि दरभंगा-जयनगर मार्ग पर काम अगले कई वर्षों तक टल सकता है, क्योंकि फिलहाल एक्सप्रेस-वे के लिए जमीन अधिग्रहण तक शुरू नहीं हुआ है। पथ निर्माण विभाग के अधिकारियों ने अब इस मसले को लेकर केंद्र सरकार से पुनः पत्राचार करने का निर्णय लिया है ताकि परियोजना को टुकड़ों में ही सही, चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जा सके।
यह सड़क धार्मिक और व्यापारिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। वाराणसी, बोधगया और दरभंगा जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्रों से नेपाल स्थित जनकपुर और पशुपतिनाथ तक सड़क मार्ग से सीधी, तेज और सुरक्षित यात्रा संभव हो सकेगी। दरभंगा एयरपोर्ट से नेपाल और मिथिलांचल के जिलों को बेहतर कनेक्टिविटी मिल सकेगी। विशेषज्ञों के अनुसार, इस सड़क के निर्माण से भारत-नेपाल व्यापार को भी नई गति मिलेगी। इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट का निर्माण व्यापार, सुरक्षा और कस्टम प्रबंधन में सुविधा प्रदान करेगा।
परियोजना को पुनर्जीवित करने के लिए बिहार सरकार और पथ निर्माण विभाग को केंद्र सरकार से लचीली नीति की मांग करनी होगी, ताकि प्राथमिक चरणों में स्वीकृत हिस्सों पर कार्य जल्द प्रारंभ हो सके। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह परियोजना समय पर पूरी नहीं हुई, तो यह न केवल बजटीय संसाधनों की बर्बादी होगी, बल्कि धार्मिक पर्यटन, व्यापार और सीमा क्षेत्र के विकास की संभावनाएं भी धीमी पड़ जाएंगी।