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06-Aug-2025 11:17 AM
By First Bihar
Bihar News: बिहार के भागलपुर जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। सन्हौला प्रखंड के मध्य विद्यालय मडड्डा में मंगलवार को सहायक शिक्षक संजय कुमार साह ने कक्षा में पढ़ रही पांच छात्राओं की बेरहमी से पिटाई कर दी, जिसके चलते सभी छात्राएं बेहोश हो गईं। घटना से आक्रोशित ग्रामीणों और अभिभावकों ने स्कूल में तालाबंदी कर दी और आरोपी शिक्षक को बर्खास्त करने की मांग की।
बताया जा रहा है कि छात्राएं स्कूल की प्रार्थना सभा में शामिल हो रही थीं, तभी शिक्षक संजय साह ने बिना किसी उकसावे के उनकी पिटाई शुरू कर दी। प्रत्यक्षदर्शियों और छात्राओं के अनुसार, शिक्षक ने बाल पकड़कर उन्हें जमीन पर पटक दिया और गर्दन पर मुक्के मारे। पिटाई से घायल छात्राओं को तत्काल सन्हौला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। एक छात्रा की मां, जो घटना के वक्त खेत में धान की रोपाई कर रही थीं, उन्होंने बताया कि ग्रामीणों से सूचना मिलते ही वे स्कूल पहुंचीं। जब अभिभावकों ने संजय साह से इस अमानवीय व्यवहार का कारण पूछा, तो उन्होंने जवाब दिया, "क्या आप लोग अपने बच्चों को घर में नहीं पीटते?" इस बयान से ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश फैल गया। उन्होंने एकजुट होकर स्कूल में तालाबंदी कर दी।
घटना के समय शिक्षक संजय साह की पत्नी नमिषा कुमारी, जो उसी विद्यालय में शिक्षिका हैं, भी स्कूल में मौजूद थीं। लेकिन जैसे ही मामले की जांच के लिए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अजेयेश्वर पांडेय पहुंचे, दोनों पति-पत्नी विद्यालय से फरार हो गए। प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए गए थे। बीईओ ने जांच प्रतिवेदन सौंप दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि संजय साह पहले भी कई विवादों में लिप्त रहे हैं और एक बार पहले भी उन्हें निलंबित किया जा चुका है।
ग्रामीणों ने एक लिखित शिकायत प्रखंड प्रशासन को सौंपी है, जिसमें उन्होंने संजय साह को तत्काल बर्खास्त करने और उन पर कानूनी कार्रवाई की मांग की है। बच्चों की सुरक्षा को लेकर ग्रामीणों और अभिभावकों में भारी असंतोष है। बीडीओ शेखर सुमन ने कहा, “जांच रिपोर्ट प्राप्त हो गई है। आवश्यक विभागीय और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है, और दोषी को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।” बिहार में शिक्षा व्यवस्था को लेकर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं, और इस तरह की घटनाएं सरकारी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े करती हैं। यह घटना केवल एक शिक्षक की हिंसा नहीं, बल्कि एक बड़े तंत्र की विफलता को भी दर्शाती है।