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क्रिकेट के इस नियम को बदलना चाहते हैं Sachin Tendulkar, कहा "खिलाड़ी इससे बिल्कुल खुश नहीं.."

Sachin Tendulkar: सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट के DRS में ‘अंपायर कॉल’ नियम को खत्म करने की मांग की है। रेडिट AMA सेशन में कहा, “खिलाड़ी ऑन-फील्ड फैसले से असहमत होते हैं, फिर उसी पर लौटना गलत।”

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 26 Aug 2025 09:35:39 AM IST

Sachin Tendulkar

प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google

Sachin Tendulkar: क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने डीआरएस (डिसीजन रिव्यू सिस्टम) में ‘अंपायर कॉल’ नियम को खत्म करने की मांग उठाई है। सोमवार को सोशल मीडिया साइट रेडिट पर ‘Ask Me Anything’ सेशन के दौरान एक फैन के सवाल पर सचिन ने कहा कि खिलाड़ी ऑन-फील्ड अंपायर के फैसले से असहमत होने पर ही डीआरएस का सहारा लेते हैं, लेकिन ‘अंपायर कॉल’ नियम के कारण कई बार वही फैसला बरकरार रहता है जो तर्कसंगत नहीं है। सचिन का मानना है कि तकनीक को पूरी तरह से फैसला देना चाहिए जैसा टेनिस में होता है, जहां गेंद या तो ‘इन’ होती है या ‘आउट’। इस बयान ने क्रिकेट जगत में फिर से डीआरएस नियमों पर बहस छेड़ दी है।


‘अंपायर कॉल’ नियम तब लागू होता है, जब डीआरएस में बॉल-ट्रैकिंग तकनीक के नतीजे पूरी तरह स्पष्ट नहीं होते। खासकर एलबीडब्ल्यू के मामले में अगर गेंद का 50% से कम हिस्सा स्टंप्स को छू रहा हो तो ऑन-फील्ड अंपायर का फैसला अंतिम माना जाता है। उदाहरण के लिए अगर अंपायर ने नॉट आउट दिया और बॉल-ट्रैकिंग में गेंद का आधे से कम हिस्सा स्टंप्स पर लगता दिखे तो फैसला नॉट आउट ही रहता है। वहीं, अगर अंपायर ने आउट दिया और गेंद का छोटा-सा हिस्सा भी स्टंप्स को छूता दिखे तो बल्लेबाज आउट माना जाता है। सचिन ने कहा कि यह नियम खिलाड़ियों के लिए भ्रामक है, क्योंकि डीआरएस का मकसद तकनीक के जरिए सटीक फैसला देना है न कि ऑन-फील्ड अंपायर के फैसले को प्राथमिकता देना।


सचिन ने रेडिट सेशन में कहा कि जैसे खिलाड़ियों के खराब दौर आते हैं, वैसे ही अंपायरों के भी हो सकते हैं। तकनीक भले ही 100% सटीक न हो, लेकिन वह लगातार एकसमान रहती है। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर बॉल-ट्रैकिंग में गेंद स्टंप्स को जरा-सा भी छू रही हो तो बल्लेबाज को आउट दे देना चाहिए, बिना ‘अंपायर कॉल’ की जरूरत के। सचिन का तर्क है कि खिलाड़ी डीआरएस इसलिए लेते हैं क्योंकि उन्हें ऑन-फील्ड फैसले पर भरोसा नहीं होता। ऐसे में फैसला तकनीक के हवाले करना चाहिए न कि वापस उसी अंपायर के फैसले पर लौटना चाहिए।


यह पहली बार नहीं है जब सचिन ने ‘अंपायर कॉल’ पर सवाल उठाए हैं। साल 2020 में वेस्टइंडीज के दिग्गज ब्रायन लारा के साथ बातचीत में भी उन्होंने इस नियम को ‘खराब’ बताया था। तब उन्होंने कहा था कि अगर बॉल-ट्रैकिंग में गेंद स्टंप्स को छू रही है, चाहे थोड़ा ही क्यों न हो तो बल्लेबाज को आउट देना चाहिए। सचिन ने टेनिस का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां गेंद का फैसला ‘इन’ या ‘आउट’ होता है, बीच का कोई रास्ता नहीं। उनकी यह राय ICC के DRS नियमों में बदलाव की मांग को और मजबूत करती है और क्रिकेट प्रशंसकों के बीच इस पर चर्चा तेज हो गई है।