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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 19 Jan 2025 07:57:27 AM IST
Vaastu Shastra - फ़ोटो Vaastu Shastra
Vaastu Shastra: भारतीय परंपरा में देवी-देवताओं की पूजा लगभग हर घर में की जाती है, और हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। हालांकि, हर व्यक्ति के इष्ट देवता अलग-अलग होते हैं। हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान सिर्फ मंदिरों में ही नहीं, बल्कि हर कण-कण में वास करते हैं। दिन-प्रतिदिन के कामों में व्यस्तता के कारण लोग अक्सर मंदिर जाने में असमर्थ होते हैं, इसलिये वे घर के भीतर ही मंदिर, पूजा घर या किसी कोने में भगवान की मूर्ति स्थापित कर लेते हैं, ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे। लेकिन अगर घर के किसी गलत स्थान पर मंदिर या पूजा की चौकी रख दी जाए तो पूजा का सही फल प्राप्त नहीं होता है।
पंडित श्रीधर शास्त्री, जो हरिद्वार के विद्वान ज्योतिषी हैं, बताते हैं कि घर में पूजा के स्थान और मंदिर के लिए कुछ विशेष दिशाओं का पालन करना चाहिए। घर में मंदिर स्थापित करने के लिए सबसे शुभ दिशा ईशान कोण है। इसके अलावा, पूर्व उत्तर दिशा, पूर्व दिशा या पश्चिम दिशा में मंदिर बनवाने से भी घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है।
ईशान कोण में मंदिर का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, ईशान कोण को देवताओं का वास स्थल माना गया है। यह दिशा बुद्धि और विवेक का प्रतीक भी मानी जाती है। मंदिर को इस दिशा में स्थापित करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव समाप्त होता है। ईशान कोण में मंदिर होने से घर में सुख, समृद्धि, धन, वैभव, मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही परिवार में शांति और स्थिरता बनी रहती है।
दक्षिण दिशा में मंदिर का नुकसान
वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा में मंदिर बनवाना या मंदिर का मुंह दक्षिण दिशा में रखना घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकता है। इससे घर में गृहक्लेश की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। दक्षिण दिशा को पितरों का स्थान माना गया है, और इस दिशा में मंदिर बनाने से पितृदोष उत्पन्न हो सकता है। पितरों की नाराजगी घर की सुख-समृद्धि, आर्थिक स्थिति, सम्मान, और तरक्की को रोक सकती है। इसलिए वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा में मंदिर बनाने की सख्त मनाही है।
घर में पूजा करने के लिए सही दिशा का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है। मंदिर को सही दिशा में स्थापित करने से न केवल घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और शांति भी आती है। इसलिए, वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर स्थापित करने से पहले उसकी दिशा का ध्यान रखना चाहिए। ईशान कोण में मंदिर स्थापित करना सबसे शुभ माना गया है, जबकि दक्षिण दिशा में मंदिर स्थापित करना घर में नकारात्मक ऊर्जा और समस्याओं का कारण बन सकता है।