ब्रेकिंग न्यूज़

PMCH Run For Good Health: स्वस्थ जीवन के लिए हजारों डॉक्टर्स और पूर्व छात्र दौड़े बिहार में अपराधी बेलगाम: खटाल से दूध लेकर घर लौट रही बुजुर्ग महिला को बनाया निशाना India vs Pakistan ICC Champions Trophy 2025: भारत की जीत के लिए बाबा गरीबनाथ मंदिर में विशेष पूजा Nitish Kumar को इतना डर: अपने वार्ड में CM के कार्यक्रम में पहुंचे पार्षद को पुलिस ने धक्के मार कर निकाला, शिलापट्ट पर था नाम फिर भी जलील हुए वैशाली में नाव हादसा: सेल्फी लेने के चक्कर में 6 बच्चे डूबे, 2 की लाश बरामद CO Shreya Mishra Video Viral: 'थोड़ा बढ़ा के दीजिए...'! महिला CO का घूस लेते वीडियो हुआ था वायरल...तब सरकार ने किया था सस्पेंड, अब इस शर्त के साथ हुए निलंबन मुक्त Bihar News: पति को छोड़ बच्चे को लेकर मुस्लिम लड़के के साथ भागी महिला, हसबैंड और लवर कर रहे यह दावा MAHA SHIVRATRI: महाशिवरात्रि के 2 दिन पहले बेगूसराय में चमत्कार, श्रद्धालुओं की उमड़ी भारी भीड़ Bihar Ias Ofiicer News: बिहार के 7 वरिष्ठ IAS अफसर 18 दिनों के लिए जा रहे 'मसूरी', अपर मुख्य सचिव से लेकर प्रधान सचिव के हैं नाम, जानें... Kameshwar Chaupal : राम मंदिर के ट्रस्टी रहे कामेश्वर चौपाल आवास में लाखों की चोरी, श्राद्ध में गया था परिवार

Rangbhari Ekadashi: रंगभरी एकादशी कब; शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत का महत्व

रंगभरी एकादशी हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती के रंगोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह एकादशी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में आती है और इसे होली के उत्सव की शुरुआत मानी जाती है।

Rangbhari Ekadashi

23-Feb-2025 01:48 PM

Rangbhari Ekadashi: रंगभरी एकादशी हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखती है। यह फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव माता पार्वती को काशी लेकर आए थे और उनके साथ रंग खेलकर इस पर्व की शुरुआत की थी। इस एकादशी को शिव और विष्णु भक्त विशेष रूप से मनाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजन करने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।


रंगभरी एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारंभ: 09 मार्च 2025 को रात 07:45 बजे से

एकादशी तिथि समाप्त: 10 मार्च 2025 को सुबह 07:44 बजे तक

व्रत पालन की तिथि: 10 मार्च 2025

व्रत पारण का समय: 11 मार्च 2025 को सुबह 06:35 बजे से 08:00 बजे तक


शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:59 से 05:48 तक

विजय मुहूर्त: दोपहर 02:30 से 03:17 तक

गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:24 से 06:49 तक

निशिता मुहूर्त: रात 12:07 से 12:55 तक

सूर्योदय: सुबह 06:36

सूर्यास्त: शाम 06:26


रंगभरी एकादशी का धार्मिक महत्व

रंगभरी एकादशी का सीधा संबंध शिव और पार्वती से है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव माता पार्वती को विवाह के पश्चात काशी लाए थे। काशीवासियों ने उनका भव्य स्वागत किया और रंग-गुलाल उड़ाकर उत्सव मनाया। इसलिए इस एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना भी विशेष रूप से की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।


रंगभरी एकादशी व्रत एवं पूजन विधि

स्नान और संकल्प:

प्रातःकाल जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।

भगवान विष्णु और शिव की आराधना करने का निश्चय करें।


पूजा विधि:

भगवान विष्णु और शिव-पार्वती की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।

चंदन, फूल, धूप, दीप, अक्षत और नैवेद्य अर्पित करें।

गुलाल और अबीर अर्पित करें, जिससे यह पर्व और भी शुभ माना जाता है।

भगवान को तुलसी पत्र अर्पित करें।

विष्णु सहस्रनाम या शिव मंत्रों का जाप करें।


रंगोत्सव मनाएं:

इस दिन शिव भक्त रंग और गुलाल खेलते हैं।

काशी में इस अवसर पर विशेष भव्य आयोजन होते हैं।


रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन:

इस दिन रात्रि जागरण करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

भगवान शिव और विष्णु के भजन-कीर्तन करें।


व्रत पारण:

अगले दिन प्रातः स्नान कर भगवान का पूजन करें।

ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा दें।

फिर उचित समय पर व्रत पारण करें।


दान का महत्व

रंगभरी एकादशी के दिन दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस दिन अन्न, वस्त्र, धन और जरूरतमंदों को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है।


महत्वपूर्ण मंत्र

भगवान विष्णु मंत्र:

ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु ।यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।


तुलसी स्तोत्र:

वृंदा, वृन्दावनी, विश्वपुजिता, विश्वपावनी।पुष्पसारा, नंदिनी च तुलसी, कृष्णजीवनी।।


रंगभरी एकादशी केवल एक व्रत नहीं, बल्कि भक्तों के लिए एक बड़ा पर्व है। यह दिन शिव और विष्णु भक्तों के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत, पूजन, भजन-कीर्तन और दान करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। काशी में इस दिन का विशेष महत्व है, जहां भगवान शिव और माता पार्वती के रंग उत्सव का भव्य आयोजन किया जाता है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।