ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar Weather: बिहार के तापमान में गिरावट लगातार जारी, इस दिन से लोगों को झेलनी होगी कड़ाके की सर्दी Bihar Election 2025: BJP की रणनीति पर हो रहा NDA में कैंडिडेट का चयन, जानिए क्यों बिहार में हो रही इस बात की चर्चा ; ये है असली वजह Bihar Election: 4 बार के MLA और पूर्व सांसद RJD छोड़ जन सुराज में शामिल, कहा "उस पार्टी में घुटन महसूस हो रही थी" Bihar Election 2025: शाह ने BJP को लेकर बनाया खास प्लान, लालू के खास इलाके से करेंगे रैली की शुरुआत Bihar Election 2025: JDU में इस बार कुल इतने विधायकों का कटा टिकट, लिस्ट में बड़का नेता जी का नाम भी शामिल Bihar Election: 18 नहीं बल्कि इतनी सीटों पर लड़ेगी VIP, सहनी को राजद से मिला यह विशेष ऑफर महागठबंधन में नहीं सुलझ पाया है सीट बंटवारे का फॉर्मूला, कांग्रेस ने जारी की कैंडिडेट के नाम की पहली लिस्ट, इतने नेता शामिल AIMIM में टिकट बंटवारे को लेकर बवाल, प्रदेश अध्यक्ष पर टिकट बेचने का गंभीर आरोप BIHAR ELECTION 2025: बेतिया में कांग्रेस के खिलाफ अल्पसंख्यक समुदाय का विरोध, टिकट बंटवारे में अनदेखी का आरोप BIHAR ELECTION 2025: बड़हरा से RJD ने रामबाबू सिंह पर जताया भरोसा, सिंबल मिलते ही क्षेत्र में जश्न

Dharm News: मायावी ग्रहों की पौराणिक कथा, जानें इसका ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को मायावी ग्रह माना गया है, क्योंकि ये व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। इनका संबंध न केवल ज्योतिषीय घटनाओं से है, बल्कि ये सनातन पौराणिक कथाओं से भी जुड़े हुए हैं।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 10 Feb 2025 06:35:19 AM IST

Dharm News

Dharm News - फ़ोटो Dharm News

ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को मायावी ग्रह कहा गया है, क्योंकि इनका प्रभाव रहस्यमयी और गूढ़ होता है। वर्तमान में राहु मीन राशि में और केतु कन्या राशि में स्थित हैं। मई महीने में ये दोनों ग्रह राशि परिवर्तन करेंगे। ज्योतिष के अनुसार, राहु और केतु वक्री चाल चलते हैं और एक राशि में लगभग डेढ़ साल तक रहते हैं। इनकी चाल और स्थिति जीवन में महत्वपूर्ण घटनाओं को प्रभावित करती हैं।


राहु और केतु का ग्रहण से संबंध

ज्योतिष के अनुसार, सूर्य और चंद्र ग्रहण राहु और केतु के कारण ही लगते हैं। राहु के प्रभाव से ग्रहण के समय पृथ्वी पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है, इसलिए इस दौरान शुभ कार्यों को करने से मना किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राहु और केतु का पौराणिक संबंध समुद्र मंथन से जुड़ा है? आइए जानते हैं इस रहस्यमयी कथा के बारे में।


स्वरभानु कौन थे?

सनातन शास्त्रों के अनुसार, राहु और केतु स्वरभानु नामक असुर के अंग हैं। स्वरभानु की माता का नाम होलिका और पिता का नाम विप्रचिति था। समुद्र मंथन के दौरान अमृत की प्राप्ति हुई थी। इस अमृत को लेकर देवताओं और दानवों के बीच विवाद हुआ।

भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत वितरण किया, लेकिन उन्होंने यह अमृत केवल देवताओं को देना शुरू किया। उस समय असुर स्वरभानु देवताओं की पंक्ति में जाकर बैठ गए। सूर्य और चंद्र देव ने स्वरभानु को पहचान लिया और भगवान विष्णु को इसकी सूचना दी।


स्वरभानु का वध और राहु-केतु का जन्म

भगवान विष्णु ने तुरंत सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का सिर और धड़ अलग कर दिया। लेकिन तब तक स्वरभानु अमृत पान कर चुका था, इसलिए वह अमर हो गया। उसका सिर राहु और धड़ केतु के रूप में परिवर्तित हो गया। तभी से राहु और केतु ग्रह बन गए, जो ज्योतिषीय गणना में विशेष स्थान रखते हैं।


राहु और केतु की सूर्य और चंद्र से शत्रुता

पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्वरभानु का सिर (राहु) और धड़ (केतु) सूर्य और चंद्र को अपना शत्रु मानते हैं, क्योंकि उनकी पहचान इन्हीं के द्वारा की गई थी। राहु और केतु के कारण ही ग्रहण लगता है, जिसमें सूर्य और चंद्र ग्रहण विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।


समुद्र मंथन का संबंध

समुद्र मंथन से 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी। सबसे पहले हलाहल विष निकला, जिसे भगवान शिव ने पीकर तीनों लोकों की रक्षा की। अमृत, जो सबसे कीमती रत्न था, देवताओं को मिला, लेकिन स्वरभानु ने इसे छल से ग्रहण किया और राहु-केतु के रूप में अमर हो गया।


राहु और केतु के ज्योतिषीय प्रभाव

राहु व्यक्ति के जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं, रहस्यमयी घटनाओं और भ्रम को बढ़ाता है।

केतु आध्यात्मिकता, त्याग और मोक्ष का कारक है।

इन दोनों ग्रहों के गोचर और दशा जीवन में गहरे प्रभाव डालते हैं।

राहु-केतु की शांति के लिए हवन, पूजा और मंत्रजप करना शुभ माना गया है।


राहु और केतु केवल खगोलीय घटनाओं से जुड़े ग्रह नहीं हैं, बल्कि इनका गहरा पौराणिक और ज्योतिषीय महत्व है। इनकी रहस्यमयी शक्तियां और प्रभाव मानव जीवन के भौतिक और आध्यात्मिक पहलुओं को प्रभावित करती हैं। राहु-केतु से जुड़ी इस पौराणिक कथा को समझने से इनके प्रभाव को जानने और इनके उपाय करने में मदद मिलती है।