Bihar News: बिहार में 17.29 करोड़ की लागत यहां बनने जा रहा सब-जेल, 25 एकड़ भूमि का होगा अधिग्रहण; सरकार ने जारी किया आदेश Bihar News: बिहार में 17.29 करोड़ की लागत यहां बनने जा रहा सब-जेल, 25 एकड़ भूमि का होगा अधिग्रहण; सरकार ने जारी किया आदेश Indigo Crisis: इंडिगो संकट थमने के आसार, DGCA ने रोस्टर संबंधी आदेश तत्काल प्रभाव से वापस लिया Indigo Crisis: इंडिगो संकट थमने के आसार, DGCA ने रोस्टर संबंधी आदेश तत्काल प्रभाव से वापस लिया Bihar Crime News: बिहार के लापरवाह थानेदार पर गिरी गाज, DIG ने किया लाइन क्लोज; कारोबारी की संदिग्ध मौत का मामला Nitish Kumar : 10वीं बार CM बनें नीतीश कुमार को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की बधाई, भारतीय लोकतंत्र में रचा ऐतिहासिक रिकॉर्ड Bihar Assembly : अमरेंद्र पांडे ने किया शपथ ग्रहण, बिहार विधानसभा में हुई सदस्यता पक्की; दो दिन की गैरहाजरी के बाद हुई वापसी Bihar News: बिहार में बारात निकलने से पहले दूल्हे की मौत, पुलिस जांच में जुटी Bihar Investment : बिहार में निवेशकों के लिए बड़ा अवसर, मुख्य सचिव से बिना अपॉइंटमेंट मिलें, हर सप्ताह इस दिन होगी उद्योग वार्ता Bihar Assembly : सच हुई CM की भविष्यवाणी, विपक्ष 35 सदस्यों तक सिमटा, नीतीश ने सदन में इशारों में पत्रकारों से की बात
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 10 Feb 2025 06:35:19 AM IST
Dharm News - फ़ोटो Dharm News
ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को मायावी ग्रह कहा गया है, क्योंकि इनका प्रभाव रहस्यमयी और गूढ़ होता है। वर्तमान में राहु मीन राशि में और केतु कन्या राशि में स्थित हैं। मई महीने में ये दोनों ग्रह राशि परिवर्तन करेंगे। ज्योतिष के अनुसार, राहु और केतु वक्री चाल चलते हैं और एक राशि में लगभग डेढ़ साल तक रहते हैं। इनकी चाल और स्थिति जीवन में महत्वपूर्ण घटनाओं को प्रभावित करती हैं।
राहु और केतु का ग्रहण से संबंध
ज्योतिष के अनुसार, सूर्य और चंद्र ग्रहण राहु और केतु के कारण ही लगते हैं। राहु के प्रभाव से ग्रहण के समय पृथ्वी पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है, इसलिए इस दौरान शुभ कार्यों को करने से मना किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राहु और केतु का पौराणिक संबंध समुद्र मंथन से जुड़ा है? आइए जानते हैं इस रहस्यमयी कथा के बारे में।
स्वरभानु कौन थे?
सनातन शास्त्रों के अनुसार, राहु और केतु स्वरभानु नामक असुर के अंग हैं। स्वरभानु की माता का नाम होलिका और पिता का नाम विप्रचिति था। समुद्र मंथन के दौरान अमृत की प्राप्ति हुई थी। इस अमृत को लेकर देवताओं और दानवों के बीच विवाद हुआ।
भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत वितरण किया, लेकिन उन्होंने यह अमृत केवल देवताओं को देना शुरू किया। उस समय असुर स्वरभानु देवताओं की पंक्ति में जाकर बैठ गए। सूर्य और चंद्र देव ने स्वरभानु को पहचान लिया और भगवान विष्णु को इसकी सूचना दी।
स्वरभानु का वध और राहु-केतु का जन्म
भगवान विष्णु ने तुरंत सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का सिर और धड़ अलग कर दिया। लेकिन तब तक स्वरभानु अमृत पान कर चुका था, इसलिए वह अमर हो गया। उसका सिर राहु और धड़ केतु के रूप में परिवर्तित हो गया। तभी से राहु और केतु ग्रह बन गए, जो ज्योतिषीय गणना में विशेष स्थान रखते हैं।
राहु और केतु की सूर्य और चंद्र से शत्रुता
पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्वरभानु का सिर (राहु) और धड़ (केतु) सूर्य और चंद्र को अपना शत्रु मानते हैं, क्योंकि उनकी पहचान इन्हीं के द्वारा की गई थी। राहु और केतु के कारण ही ग्रहण लगता है, जिसमें सूर्य और चंद्र ग्रहण विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
समुद्र मंथन का संबंध
समुद्र मंथन से 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी। सबसे पहले हलाहल विष निकला, जिसे भगवान शिव ने पीकर तीनों लोकों की रक्षा की। अमृत, जो सबसे कीमती रत्न था, देवताओं को मिला, लेकिन स्वरभानु ने इसे छल से ग्रहण किया और राहु-केतु के रूप में अमर हो गया।
राहु और केतु के ज्योतिषीय प्रभाव
राहु व्यक्ति के जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं, रहस्यमयी घटनाओं और भ्रम को बढ़ाता है।
केतु आध्यात्मिकता, त्याग और मोक्ष का कारक है।
इन दोनों ग्रहों के गोचर और दशा जीवन में गहरे प्रभाव डालते हैं।
राहु-केतु की शांति के लिए हवन, पूजा और मंत्रजप करना शुभ माना गया है।
राहु और केतु केवल खगोलीय घटनाओं से जुड़े ग्रह नहीं हैं, बल्कि इनका गहरा पौराणिक और ज्योतिषीय महत्व है। इनकी रहस्यमयी शक्तियां और प्रभाव मानव जीवन के भौतिक और आध्यात्मिक पहलुओं को प्रभावित करती हैं। राहु-केतु से जुड़ी इस पौराणिक कथा को समझने से इनके प्रभाव को जानने और इनके उपाय करने में मदद मिलती है।