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Pradosh Vrat 2025: भगवान शिव को लगाएं ये भोग, सारी मनोकामनाएं होगी पूरी

प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व हिंदू संस्कृति में अत्यंत विशिष्ट और पूजनीय माना जाता है। हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर किया जाने वाला यह व्रत, विशेष रूप से माघ माह का आखिरी प्रदोष व्रत, जो रविवार को पड़ता है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 09 Feb 2025 06:30:24 AM IST

Pradosh Vrat 2025

Pradosh Vrat 2025 - फ़ोटो Pradosh Vrat 2025

Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक ऐसा धार्मिक अनुष्ठान है, जिसे हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर विशेष महत्ता दी जाती है। माना जाता है कि त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा-अर्चना का विधान है। इस दिन प्रदोष व्रत करने से बिगड़े हुए काम जल्दी पूर्ण हो जाते हैं, जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी प्रकार की बाधाएँ दूर हो जाती हैं।


माघ पूर्णिमा में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व

माघ माह का आखिरी प्रदोष व्रत जब रविवार को पड़ता है, तो इसे "रवि प्रदोष व्रत" के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव अपनी प्रिय वस्तुओं का भोग स्वीकार करते हैं, जिससे भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को प्रिय भोग अर्पित करने से:

आर्थिक तंगी दूर होती है,

संतान-सुख प्राप्त होता है,

करियर में उन्नति होती है,

घर में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है, और समस्त बाधाओं का निवारण होता है।


प्रदोष व्रत की पूजा थाली में शामिल करें ये भोग

यदि आप भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत की पूजा थाली में निम्नलिखित भोग शामिल कर सकते हैं:


आर्थिक तंगी का समाधान:

सूखे मेवे का भोग – सूखे मेवे जैसे बादाम, किशमिश, अंजीर आदि अर्पित करने से आर्थिक संकट में सुधार माना जाता है। साथ ही महादेव के मंत्रों का जप करने से धन संबंधी सभी बाधाएँ दूर हो जाती हैं।


संतान-सुख के लिए:

पूजा थाली में खीर, आलू का हलवा और दही शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि इन प्रिय वस्तुओं का भोग लगाने से संतान-सुख की प्राप्ति होती है और परिवार में खुशहाली बनी रहती है।


नकारात्मक ऊर्जा का नाश:

सफेद बर्फी या सफेद मिठाई का भोग अर्पित करें। सफेद वस्तुएँ भगवान शिव को प्रिय होती हैं, जिनका भोग लगाने से घर में उत्पन्न नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है और चंद्र दोष भी दूर होता है।


बिजनेस में वृद्धि के लिए:

यदि आप अपने व्यवसाय में उन्नति की कामना रखते हैं, तो पूजा में भांग और धतूरा अर्पित करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से व्यापार में वृद्धि होती है और नए अवसर प्राप्त होते हैं।


पूजा अर्चना के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

शुद्धता और सज्जा:

प्रदोष व्रत के दिन पूजा थाली और आसपास का वातावरण स्वच्छ एवं शुद्ध होना चाहिए। साथ ही भगवान शिव की मूर्ति या प्रतिमा को सजाकर रखें।

मंत्र जाप:

पूजा के दौरान "ॐ नमः शिवाय" का जप करें। मंत्र जाप से ऊर्जा में स्थिरता आती है और शिव जी की कृपा का अनुभव होता है।

उपवास एवं व्रत:

प्रदोष व्रत के दिन उपवास रखना भी शुभ माना जाता है। उपवास के पश्चात हल्का भोजन ग्रहण करने से पूजा का फल और भी बढ़ जाता है।


प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व अतुलनीय है। त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा से न केवल जीवन में सुख-समृद्धि आती है, बल्कि बिगड़े हुए काम भी शीघ्र पूर्ण हो जाते हैं। अपने-अपने राशि अनुसार भगवान शिव को प्रिय भोग अर्पित करके आप नकारात्मक ऊर्जा, आर्थिक तंगी एवं अन्य समस्याओं को दूर कर सकते हैं। इस प्रकार प्रदोष व्रत आपके जीवन में खुशहाली और समृद्धि के द्वार खोलता है। उपरोक्त जानकारी धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित है। इसे वैज्ञानिक प्रमाण के रूप में न लें। किसी भी उपाय को अपनाने से पूर्व संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।