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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 16 Jan 2025 08:18:52 AM IST
Kumbh Mela 2025 - फ़ोटो Kumbh Mela 2025
Kumbh Mela 2025: कुंभ मेला भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और आस्था का एक ऐसा संगम है, जो सनातन धर्म की गहराई, उसकी व्यापकता और सामाजिक एकता को प्रतिबिंबित करता है। यह न केवल हिंदू संस्कृति की जड़ों को मजबूत बनाता है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए भारतीय परंपराओं का प्रतीक भी है। कुंभ मेला, जो हजारों साल पुरानी परंपरा का हिस्सा है, भारत की सांस्कृतिक चेतना, उत्सवधर्मिता और सर्वग्राह्यता का जीता-जागता उदाहरण है।
इतिहास और प्राचीन उल्लेख
कुंभ मेले का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। ऐतिहासिक रूप से इसका आरंभ 850 साल पहले बताया गया है, जबकि कुछ दस्तावेज इसे 525 ईसा पूर्व का मानते हैं। गुप्त काल में कुंभ मेले को सुव्यवस्थित रूप मिला, और सम्राट हर्षवर्धन के शासनकाल (617-647 ई.) में इसके प्रमाणिक विवरण सामने आते हैं।
वेदों और पुराणों में भी कुंभ का उल्लेख मिलता है। ऋग्वेद में प्रयाग और स्नान तीर्थ का वर्णन है। महाभारत में प्रयाग स्नान को पापों से मुक्ति और स्वर्ग प्राप्ति का साधन बताया गया है। 7वीं शताब्दी में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी कुंभ मेले का वर्णन किया है। मत्स्य पुराण और अन्य प्राचीन ग्रंथों में तीर्थ यात्रा और प्रयाग के महत्व पर जोर दिया गया है।
कुंभ मेले की महत्ता
कुंभ मेला न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की संप्रभुता, संपूर्णता और सार्वभौमिकता का प्रतीक है। यह श्रद्धालुओं को एकसूत्र में बांधता है और उनकी आस्था को सशक्त करता है। कुंभ स्नान से जुड़े धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह व्यक्ति को निष्कलंक बनाता है और आत्मा को शुद्ध करता है।
कुंभ मेला भारत की धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का अमूल्य हिस्सा है। यह आयोजन न केवल आस्था का पर्व है, बल्कि भारतीय परंपराओं, सहिष्णुता और सामाजिक एकता का अद्भुत उदाहरण है। कुंभ मेला विश्व को भारतीय संस्कृति की गहराई और उसकी व्यापकता से परिचित कराता है।