CBI Raid in Patna: पटना में CBI का बड़ा एक्शन, छापेमारी कर शातिर को दबोचा; जानिए.. क्या है मामला? CBI Raid in Patna: पटना में CBI का बड़ा एक्शन, छापेमारी कर शातिर को दबोचा; जानिए.. क्या है मामला? Bihar Politics: तेजस्वी यादव का कलेजा क्यों फट रहा..? बिहार BJP ने किया खुलासा Bihar Crime News: बारात में डांस के दौरान जमकर हुई हर्ष फायरिंग, बुजुर्ग शख्स को लगी गोली Viral Video: शिक्षक ने क्लासरूम को बना दिया ठेका, मासूम बच्चों को परोसी शराब; वीडियो वायरल होते ही DM ने ले लिया बड़ा एक्शन सहरसा में बारात से लौट रही कार पलटी, तेज रफ्तार बना हादसे की वजह, 6 लोग घायल Bihar Crime News: झूठे प्यार का झांसा देकर लड़कियों का पॉर्न बनाता था मो. साहिल, साथ देती थी शातिर महबूबा; हैरान कर देगी पूरी कहानी Parliament vs Judiciary: अगर कानून बनाना सुप्रीम कोर्ट का काम है, तो संसद भवन को ताला लगा देना चाहिए ...वक्फ अधिनियम पर भाजपा सांसद का तीखा हमला! Bihar Education News: सरकारी स्कूलों के बच्चों की 'ऑनलाइन हाजिरी' शुरू होने वाली है, शिक्षा विभाग के ACS ने दी पूरी जानकारी Bihar News: मौत बनकर आई आंधी! बेटी की डोली उठने से पहले पिता की गई जान, घर आनी थी बारात
Vice President Statement Controversy: वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 142 को "लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ परमाणु मिसाइल" बताया था। सिब्बल ने कहा कि इस बयान से उन्हें दुख और आश्चर्य हुआ है।
सिब्बल ने साफ कहा, "भारत में राष्ट्रपति केवल नाममात्र का प्रधान होता है। राष्ट्रपति कैबिनेट के सुझावों पर काम करता है, उसके पास कोई व्यक्तिगत अधिकार नहीं होता। यह संविधान की मूल भावना है, और उपराष्ट्रपति को यह बात ज़रूर पता होनी चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा, "आज न्यायपालिका ही एकमात्र संस्था है, जिस पर पूरे देश का भरोसा बना हुआ है। जब सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पसंद नहीं आते, तो वह न्यायपालिका पर आरोप लगाने लगती है। अनुच्छेद 142 की शक्ति संविधान ने खुद सुप्रीम कोर्ट को दी है, जिससे वह पूर्ण न्याय कर सकता है।"
क्या है अनुच्छेद 142?
अनुच्छेद 142 भारतीय संविधान का वह प्रावधान है जो सुप्रीम कोर्ट को ‘पूर्ण न्याय’ सुनिश्चित करने का अधिकार देता है। इसके तहत कोर्ट ऐसा कोई भी आदेश या निर्देश दे सकता है जो न्याय के हित में हो।
उपराष्ट्रपति का क्या था बयान?
गुरुवार को उपराष्ट्रपति धनखड़ ने राज्यसभा के प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा था कि “अनुच्छेद 142 लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ परमाणु मिसाइल बन चुका है, जिसे कोर्ट कभी भी इस्तेमाल कर सकता है।” उन्होंने यह भी कहा कि अब न्यायपालिका कानून बनाने और कार्यपालिका का काम करने लगी है, जिसकी कोई जवाबदेही नहीं है।
राजनीतिक बयानबाज़ी या संवैधानिक बहस?
यह बयानबाज़ी अब संवैधानिक बहस का रूप ले चुकी है। जहां एक ओर धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट की भूमिका पर सवाल उठाए, वहीं सिब्बल जैसे अनुभवी नेता और वकील इसे संविधान की आत्मा पर हमला मान रहे हैं। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और गहराने की संभावना है।