1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Fri, 12 Dec 2025 01:32:06 PM IST
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Shivraj Patil: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल का शुक्रवार को लातूर में निधन हो गया। वे लगभग 91 वर्ष के थे। सुबह करीब 6:30 बजे लातूर स्थित अपने घर "देववर" में उन्होंने अंतिम सांस ली। शिवराज पाटिल के निधन की खबर के बाद सियासी गलियारे में शोक की लहर फैल गई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने अपनी संवेदनाएँ व्यक्त की हैं।
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि “उनका निधन अत्यंत दुःखद है। स्व० शिवराज पाटिल ने अपने लंबे राजनीतिक करियर में देश के लिए कई प्रतिष्ठित पदों पर काम किया और देश की संवैधानिक प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाई। भारतीय राजनीति में उनके योगदान को हमेशा याद किया जायेगा। उनके निधन से राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है।
सीएम नीतीश कुमार ने एक्स पर लिखा, “पूर्व केंद्रीय मंत्री, वरिष्ठ राजनेता श्री शिवराज पाटिल जी का निधन दुःखद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को चिर शांति प्रदान करें एवं दुःख की घड़ी में उनके परिजनों को धैर्य धारण करने की शक्ति दें”।
शिवराज पाटिल का जन्म 12 अक्टूबर 1935 को लातूर जिले के चाकुर में हुआ था। प्रारंभिक पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने आयुर्वेद का अभ्यास किया और इसके बाद मुंबई विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा ली। उनका राजनीतिक सफर 1967 में शुरू हुआ, जब उन्होंने लातूर नगर पालिका में काम संभाला। यह उनके लंबे और प्रभावशाली राजनीतिक करियर की शुरुआत साबित हुई।
1980 में वे पहली बार लातूर लोकसभा सीट से सांसद बने और उसके बाद लगातार सात बार इसी सीट से जीतकर संसद पहुंचे। इस उपलब्धि ने उन्हें महाराष्ट्र के सबसे प्रभावशाली नेताओं में स्थान दिलाया। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकारों में उन्होंने रक्षा, वाणिज्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और अंतरिक्ष जैसे महत्वपूर्ण विभागों में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी निभाई।
शिवराज पाटिल 1991 से 1996 तक लोकसभा के स्पीकर रहे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने लोकसभा के आधुनिकीकरण, कंप्यूटरीकरण, कार्यवाही के सीधा प्रसारण और नई लाइब्रेरी बिल्डिंग के निर्माण जैसे महत्वपूर्ण कार्य किए। यह दौर भारतीय संसद के तकनीकी और प्रशासनिक सुधार का एक महत्वपूर्ण समय माना जाता है।
2004 में चुनाव हारने के बावजूद उन्हें केंद्र में गृह मंत्री बनाया गया। लेकिन 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्हें पंजाब का राज्यपाल और चंडीगढ़ का प्रशासक नियुक्त किया गया, जहाँ उन्होंने 2010 से 2015 तक सेवा दी।