महागठबंधन में नहीं सुलझ पाया है सीट बंटवारे का फॉर्मूला, कांग्रेस ने जारी की कैंडिडेट के नाम की पहली लिस्ट, इतने नेता शामिल AIMIM में टिकट बंटवारे को लेकर बवाल, प्रदेश अध्यक्ष पर टिकट बेचने का गंभीर आरोप BIHAR ELECTION 2025: बेतिया में कांग्रेस के खिलाफ अल्पसंख्यक समुदाय का विरोध, टिकट बंटवारे में अनदेखी का आरोप BIHAR ELECTION 2025: बड़हरा से RJD ने रामबाबू सिंह पर जताया भरोसा, सिंबल मिलते ही क्षेत्र में जश्न Patna Crime News: बिहार में चुनावी तैयारियों के बीच पटना से JDU नेता अरेस्ट, इस मामले में हुई गिरफ्तारी Patna Crime News: बिहार में चुनावी तैयारियों के बीच पटना से JDU नेता अरेस्ट, इस मामले में हुई गिरफ्तारी Bihar Election 2025: पूर्व IPS शिवदीप लांडे ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर दाखिल किया नामांकन, बिहार चुनाव में दिखाएंगे ताकत Bihar Election 2025: पूर्व IPS शिवदीप लांडे ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर दाखिल किया नामांकन, बिहार चुनाव में दिखाएंगे ताकत Bihar Election 2025: बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, RLJP चीफ पशुपति पारस का बड़ा एलान Bihar Election 2025: बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, RLJP चीफ पशुपति पारस का बड़ा एलान
1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Thu, 25 Sep 2025 06:11:27 PM IST
- फ़ोटो Reporter
Bihar Politics: जद(यू) प्रदेश कार्यालय में पार्टी प्रदेश प्रवक्ता अरविंद निषाद और पार्टी मीडिया पैनलिस्ट किशोर कुणाल ने संयुक्त तौर पर मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस और आरजेडी पर तीखा हमला बोला और कहा कि महागठबंधन की ओर से कल आयोजित तथाकथित “अति पिछड़ा अधिकार संकल्प पत्र” महज़ चुनावी ढोंग और अति पिछड़ा वर्ग को भरमाने की एक विफल कोशिश है। तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जो दिखावटी चिंता जताई है, वह दरअसल उनके लंबे राजनीतिक इतिहास की सच्चाई को छिपाने का प्रयास है।
यह वही राजद है, जिसने 15 वर्षों के शासन में न तो अति पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया और न ही उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कोई ठोस कदम उठाया। यही कांग्रेस पार्टी है, जिसने अपने दशकों के शासनकाल में अति पिछड़ों की उपेक्षा की, काका कालेलकर आयोग की सिफारिशों को ठुकराया और आरक्षण व्यवस्था को लगातार कमजोर किया। आज जब नीतीश कुमार ने अति पिछड़ा वर्ग विभाग और आयोग बनाकर मजबूत रोडमैप तैयार कर दिया है, तब चुनावी मौसम देखकर विपक्ष दिखावटी घोषणाओं का सहारा ले रहा है।
तेजस्वी यादव को यह बताना चाहिए कि क्यों उनके परिवार के शासनकाल में अति पिछड़ों को अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया गया? क्यों पंचायत चुनावों में आरक्षण देने का विरोध किया गया? क्यों सुप्रीम कोर्ट तक जाकर अति पिछड़ों के हक छीने गए?
इसके उलट नीतीश कुमार ने सत्ता में आते ही अति पिछड़ा वर्ग आयोग और विभाग का गठन किया, पंचायत और नगर निकाय चुनावों में 20% आरक्षण लागू किया, न्यायिक सेवाओं तक में आरक्षण सुनिश्चित कराया और जिलों में जननायक कर्पूरी ठाकुर छात्रावास की स्थापना कर छात्र-छात्राओं के लिए शिक्षा व छात्रवृत्ति का प्रावधान किया। यही नहीं, अति पिछड़ा वर्ग को ठेकेदारी व रोजगार में भी अवसर प्रदान किए और उनके सम्मानजनक जीवन के लिए योजनाओं को धरातल पर उतारा।
महागठबंधन के नेताओं ने कल के कार्यक्रम में जननायक कर्पूरी ठाकुर की तस्वीर तक नहीं लगाई और राहुल गांधी को “जननायक” बताकर अति पिछड़ा वर्ग के असली आइकॉन का अपमान किया। सवाल है – क्या राहुल गांधी अब बिहार की जनता से “जननायक की उपाधि चोरी” के लिए माफी मांगेंगे?
अति पिछड़ा समाज आज सजग है और वह जानता है कि उसके अधिकारों की असली रक्षा करने वाला सिर्फ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी का नेतृत्व है। चुनावी बारात देखकर कोहरा रोपने की कोशिश करने वाले तेजस्वी यादव और उनके सहयोगियों को अति पिछड़ा वर्ग कभी माफ नहीं करेगा।
तेजस्वी यादव से अहम सवाल:
1. तेजस्वी यादव, आपके परिवार ने 15 साल तक सत्ता संभाली, तब अति पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन क्यों नहीं हुआ — क्या अब चुनावी मौसम में ही आपको उनकी याद आती है?
2. राहुल गांधी, जब आपकी पार्टी ने काका कालेलकर आयोग की रिपोर्ट ठुकराकर पिछड़ों का भविष्य दफना दिया, तो आज आप किस मुंह से “अति पिछड़ा अधिकार” की बात कर रहे हैं?
3. राहुल गांधी, असली जननायक कर्पूरी ठाकुर को भूलकर खुद को “जननायक” बताने का नाटक क्या अति पिछड़ा समाज को मूर्ख समझने की आपकी पार्टी की नई रणनीति है?
4. कांग्रेस और राजद बताएं कि जननायक कर्पूरी ठाकुर की तस्वीर से परहेज़ क्यों — क्या उनके असली योगदान से आपकी झूठी राजनीति बेनकाब हो जाती है?
5. महागठबंधन के नेताओं को बताना चाहिए — नीतीश कुमार जी ने आयोग, विभाग, आरक्षण और छात्रावास दिए; आपने 70 साल में क्या दिया सिवाय छलावे और खोखले वादों के?