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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 01 Sep 2025 10:01:56 AM IST
बिहार की राजनीतिक में हलचल - फ़ोटो GOOGLE
Bihar Assembly election 2025: आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार में सियासी घमासान शुरु हो गई है। इस बीच सभी चुनावी पार्टियां सक्रिय हो गई है। ऐसे में एक अहम विधानसभा चर्चा में है। दरअसल, पटना का बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र भले ही अपने स्वरूप में सिर्फ डेढ़ दशक पुराना है, लेकिन यह अपने आप में ही खास महत्व है। पटना की पहचान वर्षों से गोलघर और गांधी मैदान जैसे ऐतिहासिक स्थलों से जुड़ी रही है, और ये दोनों ही स्थल बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
दरअसल, वर्तमान में बांकीपुर के विधायक नितिन नवीन है साथ ही बिहार सरकार में पथ निर्माण मंत्री हैं, और उन्होंने क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अगर बात करें बांकीपुर विधानसभा सीट का गठन की गठन का तो वर्ष 2008 में हुए परिसीमन के बाद इसका गठन हुआ। इससे पूर्व यह पटना पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के रूप में जानी जाती थी। इस सीट पर कभी कांग्रेस, भाकपा, जनता दल, जनक्रांति दल और निर्दलीय उम्मीदवारों को भी जीत मिली थी, लेकिन 1995 में भाजपा के नवीन किशोर प्रसाद सिन्हा के जीतने के बाद से यह सीट भाजपा का मजबूत गढ़ बन गई।
उन्होंने लगातार चार बार (1995, 2000, 2005 फरवरी और नवंबर) जीत हासिल की। उनके निधन के बाद 2006 के उपचुनाव में उनके पुत्र नितिन नवीन ने कांग्रेस के अजय कुमार सिंह को हराकर इस राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया। नितिन नवीन अब तक इस सीट से चार बार जीत चुके हैं और इस बार वे अपने पिता का रिकॉर्ड तोड़ने की तैयारी में हैं। उन्होंने 2006 के उपचुनाव में 65,347 वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी, और तब से उनकी जीत का सिलसिला बना हुआ है। हालांकि हर चुनाव में राजद और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी बदले, पर वे इस सीट को भाजपा से नहीं छीन पाए। बांकीपुर विधानसभा में पटना नगर निगम के कुल 25 वार्ड शामिल हैं, जिनमें से 19 पूरी तरह इस क्षेत्र में आते हैं, जबकि 6 वार्ड आंशिक रूप से कुम्हरार और दीघा विधानसभा क्षेत्र से जुड़े हुए हैं।
पिछले पांच वर्षों में बांकीपुर क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं पूरी हुई हैं। इनमें जेपी गंगा पथ का विस्तार, लोहिया पथचक्र टू का निर्माण, अशोक राजपथ पर बिहार का पहला डबल डेकर पुल, मंदिरी और बांकरगंज नाले का निर्माण, तथा 150 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से सड़कों का विकास और मीठापुर फ्लाईओवर का काम शामिल है। नितिन नवीन का कहना है कि वे हमेशा क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता देते हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सहयोग से कई परियोजनाओं को अंजाम दिया गया है।
हालांकि, कांग्रेस महानगर अध्यक्ष शशि रंजन का आरोप है कि राजधानी का हिस्सा होने के बावजूद बांकीपुर में बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। बारिश के मौसम में जलजमाव, नल-जल योजना की विफलता, भ्रष्टाचार, और नागरिक सुविधाओं की कमी इस क्षेत्र की प्रमुख समस्याएं हैं। जिन वादों पर अब तक काम नहीं हुआ है, उनमें अतिक्रमण से मुक्ति, ट्रैफिक जाम की समस्या का समाधान, पार्किंग व्यवस्था और सार्वजनिक सुविधाओं का अभाव शामिल है।
बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र की एक खास बात यह है कि यहां मतदाता शिक्षित और जागरूक होते हुए भी मतदान प्रतिशत काफी कम रहता है। 2020 में सिर्फ 35.92% वोटिंग हुई थी, जबकि 2010 में यह 36.96% और 2015 में 40.25% थी। यह स्थिति चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों दोनों के लिए चुनौती बनी हुई है।
इतिहास की बात करें तो इस सीट (पूर्व में पटना पश्चिम) ने बिहार को दो मुख्यमंत्री भी दिए हैं। 1962 में कांग्रेस के कृष्ण बल्लभ सहाय यहाँ से जीतकर बिहार के चौथे मुख्यमंत्री बने, जबकि 1967 में जनक्रांति दल के महामाया प्रसाद सिन्हा ने उन्हें हराकर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह भी उल्लेखनीय है कि उनकी पार्टी के महज 13 विधायक थे, लेकिन उन्होंने कर्पूरी ठाकुर जैसे दिग्गज नेताओं को पीछे छोड़ दिया।
इस बार के चुनाव में भाजपा के लिए जहां नितिन नवीन को एक और जीत दिलाकर रिकॉर्ड बनाने का लक्ष्य है, वहीं महागठबंधन की कोशिश होगी कि भाजपा के इस गढ़ को भेद सके। जनसुराज जैसी नई राजनीतिक ताकतें भी मैदान में सक्रिय हैं, जो शहरी मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में लगी हैं। यदि वे अपना उम्मीदवार खड़ा करते हैं तो लंबे समय बाद बांकीपुर में त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना भी बन सकती है। कुल मिलाकर, आने वाले चुनावों में बांकीपुर एक बार फिर से बिहार की राजनीति के केंद्र में रहने वाला है।