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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 26 Mar 2025 06:03:47 PM IST
प्रतीकात्मक तस्वीर - फ़ोटो Google
Bihar liquor Ban News: बिहार में अप्रैल 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने शराब की बिक्री और सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था। इसे राज्य में अपराध और सामाजिक कुप्रभावों को कम करने के उद्देश्य से लागू किया गया था। हालांकि, आठ साल बाद भी शराबबंदी को लेकर विवाद और चुनौतियां बनी हुई हैं।
बिहार में शराबबंदी के बाद सरकारी आकड़ों के मुताबिक, मद्य निषेध एवं आबकारी विभाग के अनुसार, 2016 से अब तक संदिग्ध जहरीली शराब से 266 मौतें दर्ज की गई हैं, जिनमें से 156 की पुष्टि हो चुकी है। शराबबंदी के दौरान अवैध शराब के कारोबार को रोकने के लिए प्रशासन ने कई कड़े कदम उठाए हैं। सरकारी आकड़ें कि माने तो अगस्त 2024 तक 8.43 लाख मामले दर्ज किए गए और 12.7 लाख लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें 234 लोग बिहार से बाहर के थे। इस अवधि में 3.46 करोड़ लीटर शराब जब्त की गई, जिसमें से 98% (लगभग 3.38 करोड़ लीटर) नष्ट कर दी गई। शराब की तस्करी में इस्तेमाल किए गए 1.24 लाख वाहन जब्त किए गए, जिनमें से 71,727 वाहनों की नीलामी कर 327.13 करोड़ रुपये की वसूली की गई है |
वहीँ ,शराबबंदी को लेकर अब राजनीतिक और सामाजिक बहस तेज हो गई है। विपक्षी दलों और कुछ वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि शराबबंदी से अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं, बल्कि इससे कई नई समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं।हाल ही में बीजेपी के पूर्व केंद्रीय मंत्री और आरा के पूर्व सांसद आर.के. सिंह ने खुलकर शराबबंदी का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी से युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है, वे नशे की चपेट में आ रहे हैं और अवैध शराब के धंधे में लग रहे हैं। उनके अनुसार, यह कानून हटाया जाना चाहिए क्योंकि इससे प्रशासन का ध्यान अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों से भटक रहा है।
लिहाजा शराबबंदी की आलोचना भी हो रही है क्योंकि इसके बावजूद राज्य में अवैध शराब का कारोबार तेजी से बढ़ा है। कानूनी शराब उपलब्ध न होने के कारण लोग जहरीली शराब पीने को मजबूर हो रहे हैं, जिससे मौत के मामले बढ़ रहे हैं। कानून-व्यवस्था पर भी दबाव बढ़ गया है क्योंकि पुलिस और प्रशासन का अधिकतर ध्यान शराबबंदी कानून लागू कराने में लगा रहता है। इसके अलावा, कई युवा नशे की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जिससे नई विकट सामाजिक समस्याएं पैदा हो रही हैं।
आपको बता दे कि बिहार में शराबबंदी (Prohibition) के आठ साल पूरे होने के बाद भी यह नीति विवादों से घिरी हुई है।हालाँकि सरकार का दावा है कि इससे सामाजिक शांति आई है और अपराध में कमी आई है, जबकि आलोचकों का कहना है कि अवैध शराब का कारोबार आग की तरह तेजी से फैल रहा है. साथ ही अब शराब माफिया होम डिलीवरी के तहत शराब की सप्लाई में लगे हुए हैं | कानून के दुरुपयोग के मामले सामने आ रहे हैं। अब यह देखने का विषय है कि बिहार सरकार इस नीति में कोई बदलाव करेगी या इसे जारी रखेगी। क्या शराबबंदी को पूरी तरह सफल बनाने के लिए और कड़े कदम उठाए जाएंगे, या इसे हटाने की मांग पर विचार होगा?